इस्माइली मुस्लिमों के धार्मिक लीडर आगा खान का निधन:88 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, 49वीं पीढ़ी के इमाम थे
इस्माइली मुसलमानों के धार्मिक और आध्यात्मिक नेता और अरबपति आगा खान का मंगलवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया। AP न्यूज ने आगा खान फाउंडेशन के हवाले से बताया कि शिया इस्माइली मुसलमानों के 49वें वंशानुगत इमाम आगा खान चतुर्थ का पुर्तगाल में निधन हो गया। उनके उत्तराधिकारी की घोषणा बाद में की जाएगी। आगा खान के 3 बेटे और 1 बेटी है। आगा खान का असली नाम प्रिंस शाह करीम अल हुसैनी था। उनका जन्म 13 दिसंबर, 1936 को जिनेवा में हुआ था और उन्होंने अपना शुरुआती बचपन केन्या के नैरोबी में बिताया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इस्लामी हिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने वाले आगा खान 20 साल की उम्र में इस्माइली मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता बन गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी अनुमानित संपत्ति 800 मिलियन डॉलर से 13 अरब डॉलर तक मानी जाती है। उन्होंने विकासशील देशों में घरों, अस्पतालों और स्कूलों के लिए बड़ा दान दिया। 1957 में दी गई आगा खान की उपाधी 19 अक्टूबर 1957 को तंजानिया के दार-एस-सलाम में उन्हें आधिकारिक रूप से आगा खान चतुर्थ की उपाधि दी गई। आगा खान के अनुयायी उन्हें पैगंबर मुहम्मद का वंशज मानते थे। उनके पास ब्रिटिश, फ्रांसीसी, स्विस और पुर्तगाली नागरिकता थी। उन्हें घोड़े पालने का भी शौक था। उन्होंने 2012 में वैनिटी फेयर मैगजीन से कहा था- हमारे यहां पैसे कमाने को बुराई नहीं माना जाता है। इस्लामी नैतिकता यह है कि अगर खुदा ने आपको समाज में एक खास जगह दी है तो समाज के लिए आपकी नैतिक जिम्मेदारी बढ़ जाती है। मुस्लिम समाज और पश्चिम दुनिया के बीच ब्रिज माना जाता था इस्लामी संस्कृति के समर्थक आगा खान को मुस्लिम समाज और पश्चिम दुनिया के बीच ब्रिज माना जाता था। उन्होंने बांग्लादेश, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान में कई हॉस्पिटल बनवाए। आगा खान ने दो बार शादी की थी। पहली शादी 1969 में पूर्व ब्रिटिश मॉडल सारा क्रोकर पूल से हुई, जिनसे उनकी एक बेटी और दो बेटे थे। 1995 में दोनों का तलाक हो गया। 1998 में उन्होंने जर्मनी में जन्मी गैब्रिएल लीनिंगन से शादी की, जिनसे उनका एक बेटा हुआ। 2014 में दोनों का तलाक हो गया। वैनिटी फेयर मैगजीन ने 2013 में आगा खान के बारे में लिखा था- बहुत कम लोग आध्यात्मिक और भौतिक, पूर्व और पश्चिम, मुस्लिम और ईसाई के बीच की खाई को इतनी खूबसूरती से पाट पाते हैं, जितनी खूबसूरती से वह पाटते हैं। कौन हैं इस्माइली मुस्लिम? इस्माइली मुस्लिम शिया इस्लाम का एक मस्लक, यानी उप-संप्रदाय है, इसे खोजा मुसलमान, आगाखानी मुसलमान और निजारी मुसलमान भी कहते हैं। ये अनुयायियों के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा शिया उप-संप्रदाय है। इस्माइली मुस्लिम कुरान की व्याख्या को इमाम के जरिए मानते हैं। इस्माइली मुस्लिम जहां इबादत करते हैं उस जगह को जमातखाना कहते हैं। --------------------------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... ट्रम्प बोले- ईरान मेरी हत्या करे, तो नेस्तनाबूद कर देना:प्रतिबंध लगाने से जुड़े आदेश पर साइन किए, ईरान का तेल निर्यात निशाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को अपने सलाहकारों को निर्देश दिया कि अगर ईरान उनकी हत्या करता है तो उसे पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए। ट्रम्प का ये बयान मीडिया से बातचीत के दौरान आया। उस वक्त ट्रम्प ईरान पर दबाव डालने से जुड़े आदेश पर साइन कर रहे थे। यहां पढ़ें पूरी खबर...

इस्माइली मुस्लिमों के धार्मिक लीडर आगा खान का निधन: 88 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, 49वीं पीढ़ी के इमाम थे
Kharchaa Pani - भारतीय इस्माइली मुस्लिम समुदाय के लिए एक दुखद दिन जब उनके प्रिय नेता, आगा खान IV का निधन हो गया। 88 वर्षीय आगा खान ने 49 वर्षों तक इस्माइली मुस्लिमों के धार्मिक नेता के रूप में अपनी सेवा दी और अब उनकी अनुपस्थिति ने पूरे समुदाय को शोक में डाल दिया है।
आगा खान का जीवन और कार्य
आगा खान IV, जिनका जन्म 13 दिसंबर 1936 को हुआ था, न केवल एक धार्मिक नेता थे, बल्कि एक समाजसेवी और शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने विश्व स्तर पर इस्माइली समुदाय की भलाई के लिए अनेक परियोजनाएं शुरू की। आगा खान ने स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी वजह से लाखों लोगों को बेहतर जीवन जीने का अवसर मिला।
आस्था और समुदाय की एकता
आगा खान का मानना था कि धार्मिक शिक्षाएं समाज को केवल नैतिक दिशा प्रदान नहीं करतीं, बल्कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में भी कार्य करती हैं। उन्होंने इस्माइली समुदाय को एकजुट रखने के लिए कई कदम उठाए और उन्हें हमेशा एक महान भावना से जोड़ने की कोशिश की। आगा खान ने इस्माइली धार्मिक शिक्षाओं का पालन करने के साथ-साथ मानवता की भलाई के लिए भी काम किया।
आगा खान का निधन और उसका प्रभाव
आगा खान का निधन इस्माइली समुदाय के लिए एक अधूरा अध्याय है। उनके निधन से इस समुदाय के लिए एक बड़ा रिक्त स्थान पैदा हो गया है। उनकी विदाई पर विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने संवेदनाएं व्यक्त की हैं। यह सभी के लिए महत्वपूर्ण है कि हम उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाते रहें और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलें।
आशा की किरण
इस दुखद अवसर पर, यह याद रखना जरूरी है कि आगा खान ने हमें बताने का प्रयास किया था कि शिक्षा और सेवा का कार्य कभी खत्म नहीं होता। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने समुदाय में उतार-चढ़ाव के बावजूद एकजुट रहें। आगा खान की शिक्षाएं एक अमूल्य धरोहर हैं, जिन्हें संरक्षित करना हमारे लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष
आगा खान IV के निधन से एक युग का अंत हो गया है, लेकिन हमें उनकी शिक्षाओं और कार्यों को जीवित रखना चाहिए। इस्माइली समुदाय को उनके योगदान की याद हमेशा रहेगी। हम सभी को उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है, ताकि हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें।
इस दुखद घड़ी में, हम सभी एकजुट होकर उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करते हैं।
अधिक अपडेट के लिए, कृपया kharchaapani.com पर जाएं।
Keywords
Ismaili Muslims, Aga Khan death, religious leader, Imam, humanitarian work, community impact, 88 years old, spiritual leader, education, social work, condolences.What's Your Reaction?






