स्पॉटलाइट-महाकुंभ में रोज इकट्ठा हो रहा करोड़ों लीटर मल:ये आखिर जाता कहां है, इसके निपटारे में इसरो तक के वैज्ञानिक जुटे
इतनी बड़ी संख्या में इंसानी वेस्ट को मैनेज कैसे किया जा रहा है, ISRO जैसे संस्थानों का इसमें कैसा योगदान है, सिर्फ आस्था का प्रतीक ही नहीं टेक्नोलॉजिकल डेवलेपमेंट की मिसाल कैसे है महाकुंभ-2025, जानेंगे स्पॉटलाइट में

स्पॉटलाइट-महाकुंभ में रोज इकट्ठा हो रहा करोड़ों लीटर मल: ये आखिर जाता कहां है, इसके निपटारे में इसरो तक के वैज्ञानिक जुटे
Kharchaa Pani - लेखक: सवा देवी, टीम नैटानागरी
परिचय
इस साल आयोजित हुए महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, लेकिन इस बार एक नया मुद्दा सामने आया है। हर दिन यहां करोड़ों लीटर मल का उत्पादन हो रहा है, और यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यह मल जाता कहां है। इस समस्या के निपटारे के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने भी अपनी सेवाएं दी हैं।
महाकुंभ में मल प्रबंधन की चुनौती
महाकुंभ के दौरान, लाखों लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं और इसकी वजह से भारी मात्रा में मल उत्पन्न होता है। यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी चिंताजनक है। पिछले वर्षों में इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए, इस बार प्रशासन ने इसरो के वैज्ञानिकों की मदद ली है।
क्या है मल का निपटारा?
महाकुंभ में इकट्ठा होने वाले इस मल को उचित तरीके से प्रबंधित करने की आवश्यकता है। प्रशासन ने मल के निपटारे के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि:
- मल को इकट्ठा करने के लिए विशेष टैंकरों का उपयोग किया जा रहा है।
- इसरो के वैज्ञानिकों ने उपग्रहों की मदद से स्थिति का पता लगाने का काम किया है।
- डीजिटली डाटा जुटाकर इस मल के निपटारे की योजना बनाई जा रही है।
इसरो का योगदान
इसरो के वैज्ञानिकों ने इस चुनौती का सामना करने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करने की योजना बनाई है। इसके अंतर्गत मल के स्थायी निपटारे के लिए विभिन्न तरीकों को अपनाने पर विचार किया जा रहा है, जैसे कि बायोगैस प्लांट और कम्पोस्टिंग की तकनीक।
नागरिकों की जिम्मेदारी
इस महाकुंभ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे अपनी जिम्मेदारी समझें और सार्वजनिक स्थानों पर अपने कचरे को सही तरीके से फेंकें। इससे न केवल वातावरण को साफ रखने में मदद मिलेगी, बल्कि स्वच्छता के प्रति भी जागरूकता बढ़ेगी।
निष्कर्ष
महाकुंभ में उत्पन्न हो रहे करोड़ों लीटर मल को प्रबंधित करना एक गंभीर चुनौती है, लेकिन यह केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के सहयोग से ही संभव है। इसरो की तकनीकी मदद से इस समस्या का समाधान ढूंढना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें मिलकर अपने पर्यावरण का ध्यान रखना होगा।
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