आज से गुप्त नवरात्रि शुरू:साल में चार बार ऋतु परिवर्तन के समय आता है देवी पूजा का नौ दिवसीय उत्सव नवरात्रि
आज (30 जनवरी) माघ शुक्ल प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। माघ मास की गुप्त नवरात्रि 6 फरवरी तक रहेगी। इस नवरात्रि में देवी सती से उत्पन्न हुईं दस महाविद्याओं की कृपा पाने के लिए साधना की जाती है। हिन्दी पंचांग में एक साल में चार बार नवरात्रियां आती हैं। देवी पूजा के उत्सव का संबंध ऋतु परिवर्तन से है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्माचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ऋतुओं का संधिकाल और नवरात्रि का संबंध

आज से गुप्त नवरात्रि शुरू: साल में चार बार ऋतु परिवर्तन के समय आता है देवी पूजा का नौ दिवसीय उत्सव नवरात्रि
लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेतानागरी
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गुप्त नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का त्योहार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह नौ दिनों का उत्सव माता दुर्गा की पूजा का है, जो हर साल चार बार मनाया जाता है, जिनमें से एक है गुप्त नवरात्रि। इस बार गुप्त नवरात्रि का आयोजन आज से शुरू हो रहा है। इस समय देवी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तगण उपवास और भक्ति भाव से पूजा करते हैं।
ऋतु परिवर्तन और देवी पूजन
नवरात्रि के पर्व का आयोजन साल में दो बार आता है, विशेष रूप से चैत्र और आश्विन मास में। लेकिन गुप्त नवरात्रि विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह ऋतु परिवर्तन के समय होती है। इस अवधि में, बुराई पर अच्छाई की जीत और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए देवी की आराधना की जाती है।
पूजा विधि और अनुष्ठान
गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्तगण सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और फिर देवी को फूल, दीपक और नैवेद्य अर्पित करते हैं। इस दौरान वे विशेष मन्त्रों का जप करते हैं। उपवास के दौरान फल और दूध का सेवन किया जाता है।
उपवास और भक्ति
इस गुप्त नवरात्रि के उपवास का भी अपना एक विशेष महत्व है। कई लोग इस दौरान केवल फल का सेवन करते हैं। इससे न केवल शरीर को detoxification मिलता है बल्कि मन की शांति भी प्राप्त होती है। यह समय देवी की उपासना के साथ-साथ आत्मा की शुद्धि का भी है।
नवरात्रि के नौ दिनों का क्रम
गुप्त नवरात्रि में प्रत्येक दिन एक विशेष देवी की पूजा की जाती है। पहले दिन साध्वीशीला, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंद माता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, और अंत में नवमी को सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है।
निष्कर्ष
गुप्त नवरात्रि का यह पावन पर्व हमें सिखाता है कि नकारात्मकता से मुक्ति और सकारात्मकता को अपनाना चाहिए। इस अवसर पर भक्तों की आस्था और श्रद्धा को देखते हुए निश्चित रूप से देवी की कृपा प्राप्त होगी। तो चलिए, इस गुप्त नवरात्रि में माता मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और आस्था को समर्पित करें।
कम शब्दों में कहें तो, गुप्त नवरात्रि विशेष उपासना, उपवास और देवी पूजा का समय है, जहाँ श्रद्धालु सभी नौ दिन माता दुर्गा की आराधना में लीन रहते हैं।
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