फरवरी में व्यापार घाटा कम होकर ₹1.21 लाख करोड़ हुआ:ये अगस्त 2021 के बाद सबसे कम, देश में इंपोर्ट 13.59% घटा

एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी के कारण भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापारिक व्यापार घाटा फरवरी 2025 में घटकर 14.05 बिलियन डॉलर (1.21 लाख करोड़ रुपए) हो गया। पिछले महीने जनवरी में यह 22.99 बिलियन डॉलर (1.99 लाख करोड़ रुपए) था। ये घाटा अगस्त 2021 बाद से सबसे कम है। फरवरी में मर्चेंडाइस एक्सपोर्ट 3.20 लाख करोड़ रुपए रहा। जनवरी में ये 3.16 लाख करोड़ रुपए था। इसमें 1.25% की बढ़ोतरी हुई है। देश में इंपोर्ट 13.59% कम हुआ इंपोर्ट की बात करें तो फरवरी में भारत का इंपोर्ट 4.42 लाख करोड़ रुपए रहा। ये जनवरी के मुकाबले 73,000 करोड़ रुपए कम है। पिछले महीने भारत में 5.15 लाख करोड़ रुपए का इंपोर्ट हुआ था। क्या होता है ट्रेड डेफिसिट? जब एक निश्चित टाइम पीरियड को दौरान देश का इंपोर्ट यानी विदेशों से मंगाए गए सामान की वैल्यू देश के एक्सपोर्ट यानी देश देश के बाहर भेजी जाने वाली सामानों की वैल्यू से ज्यादा हो जाता है। ऐसी स्थिती में भारत का पैसा विदेशों में ज्यादा चला जाता है, इसी स्थिती को ट्रेड डेफिसिट या व्यापार घाटे कहा जाता है। इसे निगेटिव बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जब कोई देश बेचने से ज्यादा खरीदता है, तो उसे ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है।

Mar 17, 2025 - 17:34
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फरवरी में व्यापार घाटा कम होकर ₹1.21 लाख करोड़ हुआ:ये अगस्त 2021 के बाद सबसे कम, देश में इंपोर्ट 13.59% घटा

फरवरी में व्यापार घाटा कम होकर ₹1.21 लाख करोड़ हुआ:ये अगस्त 2021 के बाद सबसे कम, देश में इंपोर्ट 13.59% घटा

Kharchaa Pani द्वारा प्रस्तुत, लेख हमारे टीम नेटानागरी की ओर से। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत देते हुए, फरवरी 2023 में व्यापार घाटा कम होकर ₹1.21 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा अगस्त 2021 के बाद सबसे कम है, जो कि एक महत्वपूर्ण विकास है।

व्यापार घाटा: अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

व्यापार घाटा वास्तव में एक देश के आयात और निर्यात के बीच का संतुलन दर्शाता है। जब एक देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है, तो उसे व्यापार घाटा होता है। फरवरी में इस घाटे के घटने का अर्थ है कि भारत की नीतियों और वैश्विक मांग में कोई सकारात्मक बदलाव आया है। इससे यह सिद्ध होता है कि भारत की निर्यात प्रवृत्तियों में सुधार हो रहा है।

इंपोर्ट में कमी: कारण और परिणाम

जानकारी के अनुसार, फरवरी में देश में इंपोर्ट में 13.59% की कमी आई है। यह कमी कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार, कच्चे माल की कीमतों में कमी और घरेलू उत्पादन की वृद्धि। यह स्थिति भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है, जहां सरकार ने मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों पर जोर दिया है।

रिपोर्ट के विशेष आंकड़े

फरवरी में भारत का निर्यात ₹2.55 लाख करोड़ था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.49% घटा है। हालाँकि, घाटा कम होना एक सकारात्मक संकेत है। इस स्थिति का मुख्य कारण वैश्विक मांग की कमी और कई देशों में मंदी का प्रभाव हो सकता है, लेकिन इसके पीछे की नीतिगत पहल और घरेलू उत्पादन में वृद्धि को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

प्रभावित उद्योग

व्यापार घाटे में कमी का सबसे बड़ा प्रभाव निर्यातकों पर देखने को मिलेगा। खासतौर पर वस्त्र, औषधि, और कृषि उत्पादों के क्षेत्र में इस स्थिति का सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे विदेशी बाजार में हमारी उपस्थिति बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

वास्तव में, फरवरी में व्यापार घाटा कम होना और इंपोर्ट में कमी आना भारत की लगातार बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का संकेत है। यह सकारात्मक बदलाव न केवल विभिन्न उद्योगों के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

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