टैरिफ क्या है, जिस पर ट्रम्प का इतना जोर:भारत को धमका रहे; क्या इसमें छूट के बदले टेस्ला को एंट्री देंगे मोदी

तारीख 25 नवंबर जगह- मार-ए-लागो, फ्लोरिडा राष्ट्रपति चुनाव में जीत के महज 20 दिन बाद ही ट्रम्प ने ऐलान किया कि वो शपथ लेते ही कनाडा-मेक्सिको पर 25% और चीन पर 10% टैरिफ लगाएंगे। ट्रम्प के इस ऐलान भर से ही इन देशों की करेंसी में गिरावट आ गई थी। 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद ट्रम्प ने ऐसा ही किया। उन्होंने इसके लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किए। हालांकि ट्रम्प ने शर्तों को मानने के बाद कनाडा और मेक्सिको पर लगे टैरिफ को 30 दिनों के लिए टाल दिया। चीन पर 4 फरवरी से टैरिफ लागू हो गया है। ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल में भी टैरिफ को लेकर काफी आक्रामक हैं। वे इसका इस्तेमाल दूसरे देशों से अपनी शर्तों को मनवाने के लिए कर रहे हैं। ट्रम्प की टैरिफ धमकी वाले देशों में भारत, ब्राजील और यूरोपीय यूनियन भी शामिल हैं। इस स्टोरी में जानेंगे क्या है टैरिफ जिसे लेकर दुनिया के देश परेशान हैं और ट्रम्प इसे लेकर इतने आक्रामक क्यों हैं। अगर भारत पर टैरिफ लगा तो इसका क्या असर होगा.... आसान शब्दों में कहें तो टैरिफ दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाने वाला टैक्स है। यह टैक्स आयात करने वाली कंपनी पर लगाया जाता है। जैसे कोई अमेरिकी कंपनी भारत को 10 लाख रुपए की कार भेज रही है। भारत ने उस पर 25% का टैरिफ लगा रखा है तो उस कंपनी को हर कार पर भारत सरकार को 2.25 लाख रुपए का टैक्स देना होगा। यानी कि भारत में आकर वह कार 12.25 लाख की हो जाएगी। टैरिफ पर ट्रम्प इतने आक्रामक क्यों हैं? ट्रम्प के टैरिफ को लेकर आक्रामक होने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका का व्यापार घाटा कम करना है। अमेरिकी कंपनियों की भलाई और दुनियाभर के देशों से व्यापार असंतुलन को ठीक करने के लिए ट्रम्प यह कदम उठा रहे हैं। 2023 में अमेरिका को चीन से 30.2%, मेक्सिको से 19% और कनाडा से 14.5% व्यापार घाटा हुआ। कुल मिलाकर ये तीनों देश 2023 में अमेरिका के 670 अरब डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपए के व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि ट्रम्प ने सबसे पहले इन्हीं देशों पर टैरिफ लगाया। टैरिफ लगाने के फायदे क्या हैं? दरअसल, टैरिफ से दो फायदे होते हैं। पहला, इससे सरकार को रेवेन्यू मिलता है। दूसरा देशी कंपनियां, विदेशी कंपनियों का मुकाबला कर पाती हैं। उदाहरण के तौर पर चीन की कंपनियां मोबाइल फोन बनाती हैं। यह कंपनी अपने फोन अमेरिका बेचने पहुंचती है। लेकिन अमेरिका में भी बहुत सारी कंपनियां फोन बनाती हैं। अगर चीनी कंपनी वहां अपने सस्ते और आकर्षक फोन बेचना शुरू कर दें तो अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा। इसके साथ ही सरकार के रेवेन्यू पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में रेवेन्यू हासिल करने और घरेलू कंपनियों को बचाने के लिए सरकार टैरिफ लगाएगी। टैरिफ लगाने से चीनी फोन महंगे हो जाएंगे और फोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनियां उनका मुकाबला कर पाएंगीं। अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में भारत भारत सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में शामिल रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 1990-91 तक औसत टैरिफ 125% तक था। उदारीकरण के बाद यह कम होता चला गया। 2024 में भारत का एवरेज टैरिफ रेट 11.66 % था। ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत सरकार ने टैरिफ रेट में बदलाव किया। द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने टैरिफ के 150%, 125% और 100% वाली दरों को समाप्त कर दिया है। अब भारत में सबसे ज्यादा टैरिफ रेट 70% है। भारत में लग्जरी कार पर 125% टैरिफ था, अब यह 70% कर दिया गया है। ऐसे में साल 2025 में भारत का एवरेज टैरिफ रेट घटकर 10.65% हो चुका है। आमतौर पर सभी देश टैरिफ लगाते हैं। किसी देश में इसका रेट कम और किसी में ज्यादा हो सकता है। हालांकि, बाकी देशों से तुलना की जाए तो भारत सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है। चीन, कनाडा जैसे देशों पर टैरिफ लगने से क्या भारत को फायदा एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीनी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी मार्केट में भारतीय सामान की बिक्री बढ़ेगी। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की एक एनालिसिस के मुताबिक, जब ट्रम्प के पहले कार्यकाल में चीन के साथ टैरिफ वॉर शुरू हुआ था, तो इससे व्यापारिक फायदा पाने वाले देशों में भारत चौथे नंबर पर था। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा, 'अमेरिका के टैरिफ लगाने से चीन और उसके व्यापारिक सहयोगी देश जैसे- दक्षिण कोरिया और जापान भी प्रभावित होंगे, लेकिन भारत को इससे फायदा होगा, क्योंकि अमेरिकी बाजार में उसे चीन जैसे देशों की कंपनियों से कम टक्कर मिलेगी। इसके अलावा ऐसी कंपनियां जिनकी चीन और भारत दोनों जगह फैक्ट्रियां हैं, उन्हें भारत में ज्यादा ऑर्डर मिलने लगेंगे।' ट्रम्प के टैरिफ एक्शन से भारत सुरक्षित ट्रम्प शपथ लेने के बाद कनाडा, मैक्सिको, कोलंबिया और चीन (ट्रम्प चीन के अलावा बाकी देशों पर टैरिफ हटा चुके हैं) पर लगा चुके हैं। हालांकि अब तक भारत ट्रम्प के टैरिफ एक्शन से बचा हुआ है। भारत ने ट्रम्प के टैरिफ से बचने के लिए अपने यहां कई अमेरिकी सामानों पर टैरिफ कम करना शुरू कर दिया है। 1 फरवरी को पेश हुए बजट में भारत ने अमेरिका से आने वाले सामान जैसे- 1600 सीसी से कम इंजन की मोटरसाइकिल, सैटेलाइट के लिए ग्राउंड इंस्टॉलेशन और सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस जैसे सामानों पर टैक्स घटा दिए हैं। रेसिप्रोकल टैरिफ प्लान क्या है जो जैसे को तैसा की तर्ज पर काम करेगा ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ यानी कि जैसे को तैसा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। ट्रम्प ने कहा कि जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा है कि रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा मंगलवार या बुधवार को की जाएगी और इसे तुरंत लागू कर दिया जाएगा। यह टैरिफ हर देश पर लागू होगा। भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा तो निर्यात पर क्या असर पड़ेगा? अगर अमेरिका ने भारत

Feb 13, 2025 - 11:34
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टैरिफ क्या है, जिस पर ट्रम्प का इतना जोर:भारत को धमका रहे; क्या इसमें छूट के बदले टेस्ला को एंट्री देंगे मोदी

टैरिफ क्या है, जिस पर ट्रम्प का इतना जोर: भारत को धमका रहे; क्या इसमें छूट के बदले टेस्ला को एंट्री देंगे मोदी

Kharchaa Pani

लेखक: स्नेहा शर्मा, वैवाहिक रस्तोगी, टीम नेटानागरी

परिचय

हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को टैरिफ के मुद्दे पर खुली चुनौती दी है। इस लेख में हम यह समझेंगे कि टैरिफ वास्तव में क्या है, और ट्रम्प का भारत पर दबाव डालने का क्या मतलब है। क्या मोदी सरकार इस दबाव के बीच टेस्ला जैसी कंपनियों को रियायत देने के लिए तैयार हो जाएगी? आइए, इस मुद्दे की गहराई में जाएं।

टैरिफ का मतलब

टैरिफ एक प्रकार का कर होता है जिसे किसी देश द्वारा आयातित या निर्यातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करना और विदेशी उत्पादों की लागत को बढ़ाना होता है। जब राज्यों के बीच व्यापार की बात आती है, तो टैरिफ का मुद्दा जटिल हो जाता है। ट्रम्प ने अपने अधीन अमेरिका में कई बार भारतीय उत्पादों पर उच्च टैरिफ को प्रमुखता दी है।

ट्रम्प का भारत पर दबाव

हालिया बातचीत में, ट्रम्प ने भारत को ख़ुद को संभालने की चेतावनी दी है। उनके अनुसार, उच्च टैरिफ के कारण अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। वे उम्मीद करते हैं कि भारत इन टैरिफ को कम करेगा ताकि अमेरिकी कंपनियों, जैसे कि टेस्ला, के लिए भारत में निवेश करना आसान हो सके। ट्रम्प का यह बयान वैश्विक व्यापारिक माहौल में एक नई बहस को जन्म दे रहा है।

क्या मोदी सरकार रियायत देगी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार हमेशा से व्यापार को बढ़ावा देने और घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों की एंट्री, विशेषकर अगर इस पर कुछ छूट दी जाती है, तो यह भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में एक बड़ी क्रांति ला सकती है। लेकिन क्या मोदी सरकार इस दबाव के आगे झुककर नीति में बदलाव करने के लिए तैयार होगी? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है।

निष्कर्ष

टैरिफ का मुद्दा न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए सही नीतियों का चयन करना होगा। क्या मोदी सरकार ट्रम्प के दबाव को नजरअंदाज कर पाएगी, या फिर टेस्ला को एंट्री देने के लिए टैरिफ में रियायत देगी? भविष्य के घटनाक्रमों पर सभी की नजर होगी।

इस लेख में हमने देखा कि कैसे टैरिफ और विदेशी निवेश एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारत को चाहिए कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए सही निर्णय ले। ताजा जानकारी के लिए, kharchaapani.com पर जाएं।

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