SC बोला- पेड़ काटना इंसान की हत्या से भी बदतर:बिना इजाजत नहीं काट सकते; प्रति पेड़ 1 लाख के जुर्माने को मंजूरी दी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी बदतर है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों पर कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए। SC ने अवैध रूप से काटे गए प्रत्येक पेड़ के लिए एक लाख रुपए का जुर्माना लगाने को मंजूरी दी है। साथ ही जुर्माने के खिलाफ लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति संबंधित अधिकारी या संस्थान से अनुमति लिए बिना पेड़ नहीं काट सकता। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एक याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक व्यक्ति ने पेड़ काटने पर जुर्माना लगाने पर जुर्माना और कार्रवाई न करने की मांग की थी। कानून और पेड़ों को हल्के में नहीं लिया जा सकता बेंच ने सीनियर एडवोकेट एडीएन राव के सुझाव को स्वीकार कर लिया कि अपराधियों को यह स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि कानून और पेड़ों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है और न ही लिया जाना चाहिए। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का बेंचमार्क भी तय किया है कि ऐसे मामलों में कितना जुर्माना लगाया जाना चाहिए। 454 पेड़ काटने पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपए जुर्माना न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है, जिसमें शिव शंकर अग्रवाल ने पिछले वर्ष काटे गए 454 पेड़ों के लिए प्रति पेड़ 1 लाख रुपए (कुल- 4.54 करोड़) का जुर्माना लगाया गया था। अग्रवाल का केस लड़ रहे सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल ने गलती स्वीकार कर ली है और माफी मांगी है। साथ ही न्यायालय से जुर्माना राशि कम करने का आग्रह किया है, जिसे उन्होंने बहुत ज्यादा बताया है। मुकुल ने कहा कि अग्रवाल को उस जमीन पर नहीं बल्कि पास के किसी स्थान पर भी पौधारोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने जुर्माना राशि कम करने से इनकार कर दिया। पास के क्षेत्रों में पौधारोपण करने की अनुमति दे दी। क्या है ताज ट्रेपेजियम जोन? ताज ट्रेपेजियम जोन उत्तर प्रदेश के आगरा में ताजमहल और अन्य विरासत स्मारकों के आसपास 10,400 वर्ग किलोमीटर का संरक्षित क्षेत्र है। इन ऐतिहासिक स्थलों को खतरे में डालने वाले प्रदूषण और पर्यावरणीय गिरावट को रोकने के लिए इसकी स्थापना की गई थी। अदालत ने 1996 में TTZ में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का निर्देश दिया था। ----------------------------------------------- पर्यावरण को लेकर SC के आदेश की ये खबरें भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली में पेड़ों की गिनती का आदेश:कहा- स्थिति बहुत विनाशकारी, रोज 3000 मीट्रिक टन सॉलिड वेस्ट निकल रहा दिल्ली में पेड़ों की गिनती की जाएगी। 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने ट्री सेंसस (Tree Census) आदेश दिया। दिल्ली ट्री अथॉरिटी से बेंच ने कहा- 50 या उससे अधिक पेड़ों की कटाई के लिए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) मंजूरी की परमिशन लेनी होगी। पूरी खबर पढ़ें...

SC बोला- पेड़ काटना इंसान की हत्या से भी बदतर: बिना इजाजत नहीं काट सकते; प्रति पेड़ 1 लाख के जुर्माने को मंजूरी दी
Kharchaa Pani
लेखिका: नीतू शर्मा, टीम नेटानागरी
भूमिका
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें पेड़ों की कटाई को मानव हत्या से भी बदतर माना गया है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि बिना इजाजत के पेड़ काटना कहीं अधिक गंभीर अपराध है। यह निर्णय न केवल पर्यावरण संरक्षण के महत्व को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने से हमारी जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
जुर्माने की नई प्रक्रिया
न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के पेड़ काटता है, तो उसे प्रति पेड़ एक लाख रुपये के जुर्माने का सामना करना पड़ेगा। यह निर्णय पेड़ काटने की बढ़ती घटनाओं को नियंत्रित करने में सहायक साबित होगा। न्यायमूर्ति ने इस मुद्दे पर फटकार लगाते हुए कहा कि केवल पर्यावरण की रक्षा ही नहीं, बल्कि हमारे आने वाली पीढ़ियों की स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए भी आवश्यक है कि हम इस तरह के कृत्यों को कठोरता से नकारें।
पर्यावरणवादियों की प्रतिक्रिया
पर्यावरणीय संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्हें उम्मीद है कि यह कदम हमारे वनस्पति और जीवन जैव विविधता की रक्षा के लिए एक सकारात्मक पहल साबित होगा। पर्यावरणविदों का मानना है कि यह कानून आदिवासी क्षेत्रों और वन्य जीवन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस निर्णय के पीछे का मूल उद्देश्य वनों की कटाई को खत्म करना बताता है और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करना है।
भविष्य की संभावना
इस निर्णय के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और स्थानीय प्रशासन कैसे नियमों का पालन करवाएंगे। इस कदम से यह अपेक्षा की जा रही है कि प्रशासन इस संबंध में ठोस कदम उठाएगा और लोगों को पेड़ लगाने एवं उनके संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा। यह एक ऐसा समय है जब हमें प्राकृतिक संसाधनों का सही और सुरक्षित उपयोग करना चाहिए एवं इसे अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोकर रखना चाहिए।
निष्कर्ष
सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय निश्चित रूप से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें इसे गंभीरता से लेना होगा और अपने आस-पास के पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
कम शब्दों में कहें तो, हमारे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हम सभी का धर्म भी है।
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