CBI पर आरोप-कोलकाता रेप-मर्डर केस की सही जांच नहीं की:सुप्रीम कोर्ट ने पेरेंट्स को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की परमिशन दी
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पीड़ित के पेरेंट्स को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दे दी। परिवार की मांग है कि, इस मामले में CBI ने सही से जांच नहीं की। याचिका में मुख्य आरोपी संजय रॉय के अलावा अन्य आरोपियों के शामिल होने का पता लगाने के लिए आगे की जांच की मांग की गई। पीड़ित के पिता ने कहा, हमने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके 54 सवाल पूछे हैं। अदालत को उन सवालों के जवाब देने हैं ताकि मेरी बेटी को न्याय मिले। मेरी बेटी के रेप और मर्डर में कई लोग शामिल हैं। और सबूतों से छेड़छाड़ में कई लोग शामिल हैं। पुलिस ने जांच के लिए डॉग स्क्वॉड को बुलाया था, लेकिन हमें अभी तक इसकी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट करुणा नंदी ने पीड़ित पक्ष की ओर से बात रखी, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता CBI की ओर से पेश हुए। परिवार ने कहा था- CBI जांच से संतुष्ट नहीं, नए सिरे से जांच चाहते हैं 20 जनवरी को सेशंस कोर्ट ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है, इसलिए फांसी की सजा नहीं दे सकते। हालांकि पीड़ित परिवार ने कहा था वे CBI जांच से संतुष्ट नहीं हैं और नए सिरे से जांच चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पेरेंट्स के वकील को चेतावनी थी दी कि वे कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में दिए गए बयानों को लेकर सतर्क रहें, क्योंकि इस मामले में संजय रॉय को दोषी करार दे दिया गया है। अब जानिए संजय रॉय कैसे पकड़ा गया था आरजी कर हॉस्पिटल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली थी। CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय नाम के सिविक वॉलंटियर को 10 अगस्त को अरेस्ट किया था। पुलिस को सेमिनार हॉल से एक टूटा हुआ ब्लूटूथ इयरफोन मिला था। ये दोषी के फोन से कनेक्ट हो गया था। संजय की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून पाया गया था। संजय का DNA मौके पर मिले सबूतों से मैच हुआ था। संजय के शरीर पर चोट के जो 5 निशान मिले थे, वे उसे 24 से 48 घंटे के दौरान लगे थे। यह ब्लंट फोर्स इंजरी हो सकती है, जो पीड़ित से अपने बचाव के दौरान हुई होगी। इसी के जरिए पुलिस संजय को पकड़ने में कामयाब रही। दोषी संजय रॉय अस्पताल की पुलिस चौकी पर तैनात रहता था संजय ने 2019 में कोलकाता पुलिस में डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रुप के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करना शुरू किया था। इसके बाद वेलफेयर सेल में चला गया। अच्छे नेटवर्क की बदौलत उसने कोलकाता पुलिस की चौथी बटालियन में घर ले लिया। इस घर की वजह से आरजी कर अस्पताल में नौकरी मिली। वह अक्सर अस्पताल की पुलिस चौकी पर तैनात रहता था। संजय की कई शादियां असफल रहीं। रॉय ने बताया कि वह घटना वाली रात दो बार रेड-लाइट एरिया में गया था। 3 लोगो पर शक, 2 को जमानत मिली थी संजय रॉय के अलावा मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी आरोपी बनाया गया, लेकिन CBI 90 दिन के अंदर घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई, जिस कारण सियालदह कोर्ट ने 13 दिसंबर को घोष को इस मामले में जमानत दे दी। CBI ने 25 अगस्त को सेंट्रल फोरेंसिक टीम की मदद से कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में संजय समेत 9 आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया था। इनमें आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, ASI अनूप दत्ता, 4 फेलो डॉक्टर, एक वॉलंटियर और 2 गार्ड्स शामिल थे। ---------------------------- कोलकाता रेप-मर्डर केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... कोलकाता रेप-मर्डर, पेरेंट्स ने दोबारा जांच की याचिका वापस ली:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक कोर्ट सजा सुना चुकी, आप एफिडेविट में बयानों पर सतर्क रहें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पूरी खबर पढ़ें...

CBI पर आरोप: कोलकाता रेप-मर्डर केस की सही जांच नहीं की
Kharchaa Pani
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कोलकाता के एक रेप-मर्डर केस में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा की जा रही जांच पर सवाल उठाए हैं। अदालत ने पीड़ित परिवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दी है। यह मामला पिछले कुछ महीनों से चर्चा का विषय बना हुआ है और इसके पीछे कई प्रभावशाली तर्क और घटनाएँ हैं।
मामले का संदर्भ
कोलकाता में पिछले साल एक 20 वर्षीय युवती की निर्मम हत्या और उसके साथ दुष्कर्म की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस मामले में सीबीआई ने जांच शुरू की, लेकिन पीड़ित परिवार और उनके वकील लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि जांच में लापरवाही बरती गई है। स्वाभाविक रूप से, इस तरह के मामलों में अदालत का संरक्षण महत्वपूर्ण हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट का विचार
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, पीड़ित के माता-पिता को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दी। अदालत ने CBI की कार्रवाई को संदिग्ध मानते हुए कहा कि अगर आवश्यकतानुसार जांच नहीं की गई तो न्याय का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
सामाजिक संदर्भ
इस मामले ने केवल कानूनी जगत में ही नहीं, बल्कि समाज में भी बड़ा हलचल मचाया है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता महसूस होती है। बहुत-सी महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और यह मामला उनके लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है।
परिवार की प्रतिक्रिया
पीड़ित के माता-पिता ने कहा है कि वे न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ेंगे और जब तक उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल जाता, वे लड़ाई जारी रखेंगे। उनका कहना है कि जब तक सही धाराओ में आरोपियों को नहीं पकड़ा जाता, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे।
आगे की राह
इस तरह के मामलों में न्याय मिलने में अक्सर समय लगता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक नई उम्मीद जगाई है। सभी की निगाहें अब कलकत्ता हाईकोर्ट पर रहेंगी। क्या वहां पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा? यह सवाल सभी के जहन में है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने सभी को यह संदेश दिया है कि प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है और सही जांच एक आवश्यक तत्व है। अगर समाज में बदलाव लाना है, तो सही तरीके से न्याय दिलाने की आवश्यकता है।
खिलाफी करने वाले आरोपी को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा।
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