7 निगमों में मुकाबला फाइनल, 3 में विरोधी का इंतजार:कांग्रेस में हुड्‌डा को फ्रीहैंड नहीं, तीनों गुट साधे; BJP में खट्‌टर–सैनी की चली

हरियाणा के 10 नगर निगमों में मेयर चुनाव के लिए कांग्रेस और BJP का मुकाबला फाइनल हो गया है। दोनों पार्टियों ने यहां अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसमें कांग्रेस ने 2024 के विधानसभा चुनाव में की गलती नहीं दोहराई। कांग्रेस ने पूर्व CM भूपेंद्र हुड्‌डा को फ्रीहैंड देने के बजाय सिरसा सांसद कुमारी सैलजा और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव के करीबियों को भी मेयर टिकट दी है। हालांकि, हुड्‌डा ग्रुप के 5 लोगों को टिकट देकर नाराज भी नहीं किया। भाजपा में सीधे तौर पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर और CM नायब सैनी की चली है। इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत और कृष्णपाल गुर्जर की पसंद का भी ख्याल रखा गया है। BJP ने 6, कांग्रेस ने 3 ही महिलाओं पर भरोसा जताया भाजपा ने अभी तक 9 निगमों में मेयर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमें 6 महिलाओं को टिकट दी गई है, जिसमें गुरुग्राम से राजरानी मल्होत्रा, पानीपत से कोमल सैनी, करनाल से रेणू बाला, फरीदाबाद से प्रवीन जोशी, अंबाला से सैलजा सचदेवा और यमुनानगर से सुमन बहमनी को टिकट दी है। वहीं, कांग्रेस ने 7 मेयर उम्मीदवारों में सिर्फ 3 महिलाओं को ही टिकट दी है। इनमें गुरुग्राम से सीमा पाहुजा, अंबाला से अमीषा चावला और यमुनानगर से किरणा देवी शामिल हैं। 3 नगर निगमों में भाजपा का अपने ही बागियों से मुकाबला कांग्रेस ने 2 नगर निगमों में भाजपा के बागियों को टिकट दी है। इनमें रोहतक से सूरजमल किलोई शामिल हैं, जिन्होंने 2024 के विधानसभा चुनाव में कलानौर से टिकट न मिलने पर भाजपा छोड़ दी थी। उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार राम अवतार वाल्मीकि से होगा। जो खुद 3 बार कलानौर से चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं, करनाल में कांग्रेस ने मनोज वधवा को टिकट दी है। वधवा ने 2014 में मनोहर लाल खट्‌टर के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, बाद में वह भाजपा में आ गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में चले गए। अब उनका मुकाबला यहां से भाजपा की 2 बार की मेयर रेणुबाला से होगा। इनके अलावा गुरुग्राम से सीमा पाहुजा भी पहले भाजपा में रहीं। वह 2024 में गुरुग्राम सीट से विधानसभा का टिकट मांग रहीं थी, लेकिन भाजपा ने मुकेश शर्मा को टिकट दे दी। इसके बाद सीमा पाहुजा कांग्रेस में चली गईं। अब उन्हें पूर्व CM भूपेंद्र हुड्‌डा से करीबी की वजह से टिकट मिला है। उनका मुकाबला भाजपा की राजरानी मल्होत्रा से होगा। 3 पंजाबी वर्सेज वैश्य और 2 में पंजाबी वर्सेज पंजाबी का मुकाबला भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक जिन निगमों में मेयर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, उनमें सबसे ज्यादा 3 निगमों में पंजाबी वर्सेज वैश्य का मुकाबला है। हिसार में भाजपा ने पंजाबी समुदाय से प्रवीन पोपली तो कांग्रेस ने वैश्य समाज से कृष्ण सिंगला को उम्मीदवार बनाया है। करनाल में भाजपा ने वैश्य समुदाय से रेणु बाला को तो कांग्रेस ने पंजाबी मनोज वधवा को टिकट दी है। सोनीपत में कांग्रेस ने पंजाबी कमल दीवान और भाजपा ने वैश्य समुदाय से राजीव जैन को टिकट दी है। वहीं, 2 निगम ऐसे हैं, जहां दोनों पार्टियों ने पंजाबी उम्मीदवारों को उतारा है। इनमें गुरुग्राम में भाजपा ने राजरानी मल्होत्रा और कांग्रेस ने सीमा पाहुजा को टिकट दी है। अंबाला में भाजपा ने सैलजा सचदेवा तो कांग्रेस ने अमीषा चावला को टिकट दी है। रोहतक और यमुनानगर में मेयर की सीट रिजर्व होने की वजह से दोनों तरफ SC चेहरे हैं। रोहतक में भाजपा ने राम अवतार वाल्मीकि और कांग्रेस ने सूरजमल किलोई को टिकट दी। वहीं, यमुनानगर में भाजपा ने सुमन बहमनी और कांग्रेस ने किरणा देवी को उम्मीदवार बनाया है।

Feb 16, 2025 - 06:34
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7 निगमों में मुकाबला फाइनल, 3 में विरोधी का इंतजार:कांग्रेस में हुड्‌डा को फ्रीहैंड नहीं, तीनों गुट साधे; BJP में खट्‌टर–सैनी की चली

7 निगमों में मुकाबला फाइनल, 3 में विरोधी का इंतजार: कांग्रेस में हुड्‌डा को फ्रीहैंड नहीं, तीनों गुट साधे; BJP में खट्‌टर–सैनी की चली

Kharchaa Pani

लेखक: सुमिता शर्मा, आस्था वर्मा, टीम नेटनागरी

परिचय

चुनावों का माहौल गरम है और हर तरफ राजनैतिक गतिविधियों की गहमा-गहमी देखी जा रही है। इस बार 7 निगमों में मुकाबला अपने अंतिम दौर में पहुँच चुका है, जिसमें तीन निगमों में अभी भी विरोधी पक्ष का इंतज़ार किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी अपने भीतर गंठबंधन साधने की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी के भीतर खट्टर-सैनी ने अपनी भूमिका को मज़बूत किया है।

कांग्रेस पार्टी की चुनौतियाँ

कांग्रेस में हर स्तर पर गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। वरिष्ठ नेता हुड्‌डा को कहीं भी स्वतंत्रता नहीं मिल रही है। पार्टी के भीतर तीन प्रमुख गुट हैं जो अपने-अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं। स्थिति यह है कि निर्णय लेने में अधिक समय लग रहा है, जिससे पार्टी की रणनीति कमजोर हो रही है। अलग-अलग गुटों की मांगें और नीतियाँ पारस्परिक संघर्ष पैदा कर रही हैं, जिससे संगठन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं।

भाजपा में सैनी-खट्टर की दगदगी

वहीं, बीजेपी की ओर से खट्‌टर और सैनी की मजबूती नज़र आ रही है। दोनों नेताओं ने मिलकर अपने सामने एक मजबूत फेस बनाने में सफलता हासिल की है। उनकी प्रभावी सामूहिक रणनीति ने विधानसभा चुनावों में पार्टी को बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के लिए खट्‌टर और सैनी ने कई जनसभाएँ también आयोजित की हैं, जहां उन्होंने सरकार की उपलब्धियों को सामने रखा।

विपक्ष का इंतज़ार

तीन निगमों में अभी भी विपक्षी पार्टी का इंतजार किया जा रहा है। ये निगम चुनावी मैदान में संभावित संघर्ष का संकेत देते हैं। जहाँ कांग्रेस अपनी आंतरिक चुनौतियों से जूझ रही है, वहीं बीजेपी ने पहले से ही चुनावी रणनीति में अनेक प्लान तैयार कर लिया है। इस स्थिति में विपक्ष को अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने का मौका मिलने वाला है।

निष्कर्ष

राजनीतिक उपद्रव से भरी चुनावी प्रक्रिया में प्रत्येक पार्टी अपनी ताकत और कमजोरियों के साथ सामने आ रही है। कांग्रेस को अपने आंतरिक विवादों को हल करने की आवश्यकता है, जबकि बीजेपी अपने नेता खट्‌टर और सैनी पर भरोसा कर रही है। अगले कुछ हफ्तों में हमें यह देखने को मिलेगा कि कैसे यह मुकाबला आगे बढ़ता है और कौन सी पार्टी आखिरकार बाजी मारेगी।

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