जामिया मिलिया इस्लामिया- 10 स्टूडेंट हिरासत में:2 पीएचडी छात्रों के सपोर्ट में प्रदर्शन किया था, यूनिवर्सिटी बोली- पढ़ाई रोकी, गेट तोड़ा
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के 10 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया है। इन छात्रों ने दो पीएचडी स्टूडेंट के खिलाफ कार्रवाई को लेकर 10 फरवरी को यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रदर्शन किया था। दोनों पीएचडी स्टूडेंट ने 15 दिसंबर 2024 में जामिया प्रतिरोध दिवस का आयोजन किया था। यह 2019 में सीएए विरोध प्रदर्शन की याद में एनिवर्सरी के तौर पर मनाया गया था। इसके बाद मैनेजमेंट ने इनके खिलाफ 25 फरवरी तक डिसिप्लिनरी एक्शन लेने की बात कही थी। यूनिवर्सिटी का आरोप- संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, गेट तोड़ा यूनिवर्सिटी ने विश्वविद्यालय की संपत्ति को हुए नुकसान, दीवारों को नुकसान पहुंचाने और क्लास में बाधा डालने को गंभीरता से लेते हुए यह एक्शन लिया है। यूनिवर्सिटी के बयान में कहा गया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मामले को सुनने के लिए एक कमेटी गठन की। लेकिन छात्रों ने बात करने से इनकार कर दिया। यूनिवर्सिटी ने दावा किया कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने सेंट्रल कैंटीन सहित यूनिवर्सिटी के संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा सिक्योरिटी एडवाइजर का गेट तोड़ दिया, जिसके बाद प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। गुरुवार सुबह यूनिवर्सिटी प्रशासन और प्रॉक्टोरियल टीम ने कड़े कदम उठाते हुए स्टूडेंट्स को धरना स्थल से हटा दिया और उन्हें यूनिवर्सिटी कैंपस से बाहर निकाल दिया। बयान में कहा गया है- "पुलिस से कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध किया गया।" प्रदशर्नकारी छात्रों की 4 मांगे... --------------------------------- प्रदर्शन से जुड़ी ये भी खबर पढ़ें... दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में 2 गुटों के बीच झड़प: चश्मदीद स्टूडेंट बोला- फिलीस्तीन जिंदाबाद के नारे लगे दिल्ली के जामिया मीलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में मंगलवार को दिवाली के कार्यक्रम के दौरान दो गुटों में झड़प हो गई। चश्मदीदों ने बताया कि झड़प के दौरान कुछ स्टूडेंट ने फिलिस्तीन के समर्थन के नारे भी लगाए। उन्होंने महिला स्टूडेंट पर अभद्र टिप्पणियां कीं। घायल हुए छात्रों को देर रात अस्पताल पहुंचाया गया। पूरी खबर पढ़ें... नौकरी में दिक्कत है, कलमा पढ़ो, सब ठीक हो जाएगा:जामिया के प्रोफेसर्स पर धर्मांतरण का आरोप, रजिस्ट्रार बोले- मेरा जवाब खुदा देगा 'मुझे जामिया मिल्लिया इस्लामिया में काम करते हुए डेढ़-दो साल ही हुए थे। मेरा बार-बार ट्रांसफर किया गया। इनमें दो डिपार्टमेंट तो ऐसे थे, जहां मैं अकेला स्टाफ था। मैं फॉरेन लैंग्वेज डिपार्टमेंट में था। वहां बैठने तक की जगह नहीं थी। मैं घर से चादर लेकर जाता था, उसी को बिछाकर बैठता। प्यून का काम भी मैं ही करता था।’ पूरी खबर पढ़ें...

जामिया मिलिया इस्लामिया- 10 स्टूडेंट हिरासत में: 2 पीएचडी छात्रों के सपोर्ट में प्रदर्शन किया था, यूनिवर्सिटी बोली- पढ़ाई रोकी, गेट तोड़ा
खर्चा पानी द्वारा प्रस्तुत, इस समाचार में हम आपको जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई घटनाओं की जानकारी देंगे। कुछ छात्रों ने दो पीएचडी छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन किया, जिसके चलते 10 छात्रों को हिरासत में लिया गया। इस घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय प्रशासन की चिंता को बढ़ा दिया है। यह मामला न केवल शिक्षा पर बल्कि छात्रों के अधिकारों पर भी सवाल उठा रहा है।
घटनाक्रम का विस्तृत विवरण
जामिया मिलिया इस्लामिया में हाल ही में कुछ छात्रों ने दो पीएचडी छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब विश्वविद्यालय ने कथित तौर पर इन छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने विश्वविद्यालय के गेट को तोड़ने का भी प्रयास किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। प्रशासन ने छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन बात बढ़ गई और अंततः पुलिस को बुलाना पड़ा।
यूनिवर्सिटी का प्रतिक्रिया
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि प्रदर्शन के चलते शांति भंग हो गई और इससे पढ़ाई में बाधा आई। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रदर्शनों से न केवल शैक्षणिक माहौल प्रभावित होता है, बल्कि इससे छात्रों का भविष्य भी संकट में पड़ जाता है। प्रशासन ने छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए पुलिस की मदद लेने का निर्णय लिया।
छात्रों की प्रतिक्रिया
जामिया के छात्रों ने इस गिरफ्तारी को अनुचित बताया है। उनका कहना है कि वे अपने सहपाठियों के अधिकारों के लिए खड़े हुए थे और यह उनके लोकतांत्रिक अधिकार का उल्लंघन है। छात्रों के अनुसार, ऐसी कार्रवाई से छात्र एकजुटता नहीं दिखा सकेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने का अधिकार मांगा है।
समुदाय में प्रभाव
इस घटना के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र समुदाय में गुस्सा देखने को मिल रहा है। कई छात्र संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और जल्द से जल्द हिरासत में लिए गए छात्रों को रिहा करने की मांग की है। इसके अलावा, इस मामले ने अन्य विश्वविद्यालयों में भी छात्रों को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है।
निष्कर्ष
जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया है। छात्रों के अधिकारों और कर्तव्यों पर उठने वाले सवालों ने एक नई बहस का आगाज़ कर दिया है। यहां यह समझना जरूरी है कि शैक्षणिक माहौल को सुचारू बनाए रखने के लिए संवाद और समझदारी बहुत आवश्यक है। आगे बढ़कर, हमें यह देखने की जरूरत है कि क्या यह घटनाएं नीति परिवर्तन के लिए एक प्रेरणा बन सकती हैं।
कम शब्दों में कहें तो, जामिया के छात्रों की ओर से उठाई गई आवाज़ ने न केवल उन्हें ही, बल्कि शिक्षा प्रणाली को भी नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया है।
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