मणिपुर CM की रेस में फिर मैतेई चेहरे:भाजपा विधायक बोले- तीन नामों पर 22 MLA सहमत; 10 मार्च से पहले बन सकती है सरकार
मणिपुर में भाजपा एक बार फिर से मैतेई कम्युनिटी के नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है। दैनिक भास्कर को सूत्रों ने बताया कि सीएम की रेस में तीन नाम आगे चल रहे हैं। तीनों मैतेई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह भी मैतेई समुदाय के हैं। हालांकि कुकी के साथ भाजपा के कई मैतेई विधायक अब उनके खिलाफ हैं। मणिपुर में कुकी-मैतेई के बीच 3 मई 2023 से हिंसा हो रही है। बीरेन सिंह पर हिंसा के दौरान मैतेइयों को कुकी के खिलाफ उकसाने के आरोप हैं। 9 फरवरी को उन्होंने CM पद से इस्तीफा दे दिया। नए सीएम के नाम पर विधायकों में सहमति नहीं बनने पर केंद्र ने 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। राज्य में अभी विधानसभा भंग नहीं हुई है। ऐसे में भाजपा 10 मार्च से पहले सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। 60 सीटों वाले मणिपुर विधानसभा में भाजपा के 37 विधायक हैं। इनमें 27 मैतेई, 6 कुकी, 3 नगा और 1 मुस्लिम हैं। NDA के कुल 42 विधायक हैं। इसमें नेशनल पीपल्स फ्रंट (NPF) के भी 5 विधायक शामिल हैं। मैतेई भाजपा विधायक बोले- तीनों में सत्यब्रत पहली पसंद बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मैतेई गुट के भाजपा विधायक दो खेमे में बंट गए हैं। एक गुट बीरेन सिंह को फिर से सीएम बनाने के समर्थन में है तो दूसरा इसके खिलाफ। एंटी बीरेन कैंप के कई भाजपा विधायक इंफाल के होटलों में डेरा डाले हुए हैं। इनमें संगाई कॉन्टिनेंटल होटल में रुके एक मैतेई भाजपा विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर भास्कर को बताया, 'ज्यादातर विधायकों के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर थोकचोम सत्यब्रत सिंह, युमनाम खेमचंद सिंह और थोकचोम राधेश्याम सिंह के नाम पर चर्चा हो रही है। 22 विधायक इनके समर्थन में हैं।' 'तीनों में टी सत्यब्रत हमारी पहली पसंद हैं। अगर आलाकमान खेमचंद सिंह और राधेश्याम सिंह को मुख्यमंत्री बनाएगी, तो भी हमें मंजूर होगा। इनके अलावा किसी और का नाम सामने आया, तो हम विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे।' क्या बीरेन सिंह की वापसी संभव है? इसके जवाब में विधायक ने कहा, 'हम उनका समर्थन कभी नहीं करेंगे। हम उनकी तानाशाही और मनमानी के खिलाफ हैं। हमने ही उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कभी भी अपने विधायकों पर भरोसा नहीं किया। गृह, वित्त, IT जैसे सभी बड़े मंत्रालयों का बंटवारा नहीं किया। सब विभाग अपने पास रखे। ज्यादातर मैतेई विधायक उनसे नाराज हैं।’ बीरेन के करीबी बोले- सभी विधायकों में CM बनने की होड़ बीरेन सिंह के करीबी और भाजपा विधायक एल सुसींद्रो मैतेई ने बताया, ‘सभी विधायकों में मुख्यमंत्री बनने का कॉम्पिटिशन चल रहा है। सबको लगता है कि वह मुख्यमंत्री बनने के लायक है। कोई यह समझने के लिए तैयार नहीं है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी एक ही है। सरकार तभी बनेगी, जब लोग बलिदान देने के लिए तैयार होंगे।’ 'पूर्व सीएम बीरेन सिंह तो हमेशा राज्य में शांति चाहते थे, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर बंदूक और बम हमले की घटनाओं को बढ़ावा देते रहे। बीरेन सिंह को लगा होगा इस्तीफा देने से ही सब ठीक हो पाएगा, इसलिए उन्होंने पद छोड़ दिया।' '10 मार्च से पहले हो सकता है नए CM के नाम का ऐलान' मणिपुर राजनीति और हिंसा मामलों पर लंबे समय से रिपोर्टिंग करने वाले सीनियर जर्नलिस्ट एन सत्यजीत बताते हैं, ‘भाजपा सरकार बार-बार कह रही है कि मणिपुर विधानसभा अभी सस्पेंडेड एनिमेशन में है। यानी विधानसभा भंग नहीं हुई है। इससे दोबारा चुनाव की संभावना कम है।' '10 मार्च से संसद सत्र शुरू होने वाला है। विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश करेगा। इसलिए भाजपा चाहेगी कि वह 10 मार्च से पहले नया सीएम ढूंढकर सरकार बना लें। हालांकि तब तक कुछ नहीं हुआ तो राज्य में लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन लागू रहने की संभावना है।’ एक्सपर्ट बोले- चुनाव के बिना सरकार बनाने की संभावना कम मणिपुर स्पीकर ट्रिब्यूनल में विधायकों की अयोग्यता से जुड़े एक मामले पर केस लड़ रहे मणिपुर हाईकोर्ट के वकील एन भूपेंद्र मैतेई कहते हैं, ‘राज्यपाल से मिलकर कोई भी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। हालांकि सदन में बहुमत साबित करना होगा। उसके लिए राज्यपाल को सदन बुलाना पड़ेगा, जिसकी संभावना न के बराबर है। ऐसा क्यों? इस पर भूपेंद्र कहते हैं, ‘संविधान के अनुच्छेद 174(1) के मुताबिक विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतर नहीं हो सकता है। मणिपुर में विधानसभा का अंतिम सत्र 12 अगस्त 2024 को पूरा हुआ था और अगला सत्र छह महीने के अंदर बुलाया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।' '10 फरवरी से बजट सत्र शुरू होने से पहले ही बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। छह महीने के भीतर अगला सत्र नहीं बुलाने पर किसी विधानसभा को भंग माना जाता है। ऐसा हुआ तो नए चुनाव के बिना सरकार बनाने की संभावना कम है। हालांकि मणिपुर के केस में एक अपवाद हो सकता है। ऐसा हुआ तो बिना चुनाव के भाजपा सरकार में वापसी कर सकती है। JDU नेता बोले- CM का नाम तय हुआ तो सरकार बनने में देर नहीं जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सीनियर नेता और पूर्व चीफ सेक्रेटरी ओइनम नबकिशोर सिंह ने कहते हैं, ‘CM के नाम पर भाजपा विधायकों में आम सहमति नहीं बन पा रही है। बीरेन सिंह के बाद 32 विधायकों में से किसी को भी सीएम बनाया जा सकता था और सरकार चल सकती थी। अभी भी बहुत कुछ नहीं बिगड़ा है। भाजपा चाहेगी तो कभी भी सरकार बन सकती है।’ मणिपुर में मौजूदा राजनीतिक संकट को दूर करने के लिए 24 फरवरी को इंफाल में भाजपा के 32 विधायकों की बैठक बुलाई गई। हालांकि, कई विधायकों के शहर से बाहर होने का हवाला देते हुए मीटिंग टाल दी गई। अगली बैठक कब होगी, इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई। NPP नेता बोले- मैतेई CM बना तो फिर हिंसा होगी नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व DGP युमनाम जॉयकुमार ने कहा, 'पूर्व सीएम बीरेन सिंह पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है। उनके अपने विधायक उनके साथ नहीं हैं। उनकी जगह भाजपा किसी को भी मुख

मणिपुर CM की रेस में फिर मैतेई चेहरे: भाजपा विधायक बोले- तीन नामों पर 22 MLA सहमत; 10 मार्च से पहले बन सकती है सरकार
Kharchaa Pani
लेखक: साक्षी शर्मा, रिया वर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
मणिपुर में मुख्यमंत्री पद की प्रत्याशा में एक बार फिर मैतेई चेहरे सामने आए हैं। भाजपा विधायक ने यह खुलासा किया है कि तीन उम्मीदवारों पर 22 विधायक सहमत हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले, यह राजनीतिक गेयर शिफ्ट की तरह लग रहा है, जो 10 मार्च से पहले आ सकता है।
भाजपा के अंदरूनी समीकरण
भाजपा में इस समय मुख्यमंत्री पद के लिए कुछ चर्चा चल रही है। सूत्रों के अनुसार, तीन नाम ऐसे हैं जिन पर पार्टी के 22 विधायक सहमत हैं। इससे ये संकेत मिलते हैं कि पार्टी की अंदरूनी कलह समाप्त होने की संभावना है। लेकिन क्या यह ताज महल का निर्माण है या सिर्फ एक ख्वाब? वक्त ही बताएगा।
मैतेई समुदाय का समर्थन
मैतेई समुदाय के चेहरे को आगे रखकर भाजपा ने अगले चुनावों में अपना अधिकार मजबूत करने की योजना बनाई है। मणिपुर में पिछले कुछ सालों में मैतेई समुदाय का प्रभाव बढ़ा है, और उनकी लोकलुभावन नीतियों ने भाजपा को काफी समर्थन भी दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या ये चेहरे वास्तविकता में मुख्यमंत्री पद तक पहुँचते हैं।
स्रोत और प्रतिक्रिया
भाजपा के अंदर नेताओं का कहना है कि 10 मार्च से पहले की समय सीमा इसे वास्तविकता में बदल सकती है। सांसदों और विधायकों ने अपनी सीटों पर जनता से बात की है, और सभी एकमत हैं कि मुख्यमंत्री बनने के लिए ये चेहरे सबसे सक्षम हैं।
निष्कर्ष
मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है। चुनावी धमाकों के इस दौर में, क्या भाजपा अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन, इससे पहले कि कोई भी नाम कागज पर दस्तखत हो, हर विधायक को अपने कार्यकर्ताओं के बीच से समर्थन जुटाना होगा।
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