होलाष्टक आज से शुरू:होलाष्टक से होली तक, इन 8 दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त क्यों नहीं होते हैं?
आज (7 मार्च) फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो गया है, जो कि 13 मार्च को होलिका दहन के साथ खत्म होगा। होलाष्टक यानी होली से पहले के आठ दिन। इन आठ दिनों का महत्व काफी अधिक है, इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कार्य के मुहूर्त नहीं रहते हैं। होलाष्टक के समय में मंत्र जप, पूजा, अभिषेक, दान-पुण्य, हवन, ध्यान आदि शुभ काम करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, होलाष्टक के दिनों ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है। प्रत्येक दिन अलग-अलग ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं। अष्टमी को चंद्र, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, पूर्णिमा को राहु। इन ग्रहों की उग्रता के कारण होलाष्टक के दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। मांगलिक कामों में सभी ग्रहों की शुभ स्थिति देखी जाती है, तभी इन कामों के लिए मुहूर्त मिलते हैं। अगर ग्रहों की उग्र स्थिति में मांगलिक कार्य किए जाते हैं तो इन कामों में सफलता मिलने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। भक्त प्रह्लाद की कथा - पौराणिक कथा है कि असुरों के राजा हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए फाल्गुन कृष्ण अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक कई यातनाएं दी थीं। इतनी यातनाएं झेलते हुए भी प्रह्लाद विष्णु जी की भक्ति करता रहा, इसकारण वह सारी यातनाओं से बच गया। अंत में हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई। होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था, लेकिन विष्णु कृपा से प्रह्लाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। होलाष्टक के दिनों में कौन-कौन से शुभ काम करें होलिका दहन वाले दिन रहेगा भद्रा का साया 13 मार्च की शाम को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। 13 मार्च की सुबह करीब 10:20 बजे से रात 11:30 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा के समय में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। इस कारण 13 मार्च की रात 11.30 बजे के बाद होलिका दहन करना ज्यादा शुभ रहेगा।

होलाष्टक आज से शुरू: होलाष्टक से होली तक, इन 8 दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त क्यों नहीं होते हैं?
Kharchaa Pani द्वारा: सुमन राव, टीम नेटानागरी
होलाष्टक का पर्व हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व होली महापर्व से पूर्व का एक खास समय होता है। आज से होलाष्टक की शुरुआत हो गई है, जो 8 दिनों तक चलेगा। इस दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है। तो सवाल यह उठता है कि आखिर इस समय मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त क्यों नहीं होते हैं? आइए जानते हैं इस लेख में।
होलाष्टक का महत्व
होलाष्टक वह समय होता है जब भगवान विष्णु अपने भक्तों की भलाई के लिए धरती पर आते हैं। इस दौरान राधा और कृष्ण की लीलाएं याद की जाती हैं। यही कारण है कि इस 8 दिनों के बीच में मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता।
पारंपरिक मान्यता
अर्थात, होलाष्टक के दौरान मांगलिक कार्यों में जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, या नई शुरुआत करना अशुभ माना जाता है। ब्रह्मा और विष्णु के अनुसार, इस समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य का फल शुभ नहीं होता।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
धार्मिक आस्था के अनुसार, इस समय को आत्म सुधार के लिए माना जाता है। लोग इस अवधि में ध्यान, पूजा और मानसिक संतुलन की दिशा में बढ़ते हैं। यही कारण है कि मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए।
समय की व्याख्या
होलाष्टक 8 दिनों का होता है जिस दौरान भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। इस समय के दौरान गंगाजल का उपयोग, होली से संबंधित तैयारियाँ और तर्जनी पर्व के लिए जगत में उत्सव मनाते हैं।
निष्कर्ष
होलाष्टक एक महत्वपूर्ण समय होता है जब हमें उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो हमारी आत्मा के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमें इस अवसर का लाभ उठाकर अपनी पूजा-पाठ और ध्यान साधना में ध्यान लगाना चाहिए। इस दौरान मांगलिक कार्यों से दूरी बना कर रखना के शुभ फल की प्राप्ति का एक साधन है।
तो जब भी आप इस होलाष्टक के समय से गुजरें, याद रखें कि यह समय आत्मिक विकास और पूजा का है। आइए इसे अच्छे से मनाए और शुभकामनाएँ दें।
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