1 फरवरी को तिलकुंद चतुर्थी:भगवान गणेश के साथ ही शनि देव की पूजा का शुभ योग, तिल के लड्डू का भोग लगाएं और तिल का दान करें
शनिवार, 1 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत का नाम तिलकुंद चतुर्थी है। चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी माने गए हैं और शनिवार का कारक ग्रह शनि है, इसलिए इस दिन गणेश जी के साथ ही शनि देव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्योतिष में शनि को न्यायाधीश माना जाता है, ये ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। शनि इस समय कुंभ राशि में है और इस वजह से मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती चल रही है। वृश्चिक और कर्क राशि पर शनि का ढय्या चल रहा है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी नहीं है, उन लोगों को शनिवार और चतुर्थी के योग में शनिदेव का तेल से अभिषेक करना चाहिए। शनि के लिए काले तिल का दान करें। शनि को तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं। तिलकुंद चतुर्थी पर करं तिल से जुड़े शुभ काम तिलकुंद चतुर्थी पर पूजा-पाठ के साथ ही तिल का दान खासतौर पर करना चाहिए। पानी में काले तिल मिलाकर स्नान करें। नहाने से पहले शरीर पर तिल से बना उबटन लगा सकते हैं। गणेश जी को तिल के लड्डू का भोग लगाएं। इस दिन तिल से हवन कर सकते हैं। खाने में तिल का सेवन करें। शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्र की पूजा करें और तिल-गुड़ का भोग लगाएं। चतुर्थी पर करें ये शुभ काम

1 फरवरी को तिलकुंद चतुर्थी: भगवान गणेश के साथ ही शनि देव की पूजा का शुभ योग, तिल के लड्डू का भोग लगाएं और तिल का दान करें
Kharchaa Pani - लेखिका: साक्षी वर्मा, प्रियंका जैन, टीम नेतागड़ी
हर साल की भांति इस वर्ष भी तिलकुंद चतुर्थी का अवसर 1 फरवरी को आ रहा है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ शनि देव का भी विशेष महत्व है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना के दौरान तिल (तिल) के लड्डू का भोग लगाना और तिल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
तिलकुंद चतुर्थी का महत्व
तिलकुंद चतुर्थी का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। इस दिन श्रद्धालु इकट्ठा होकर तिल के लड्डू बनाते हैं और उन्हें भगवान को भोग के रूप में अर्पित करते हैं। भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन ध्यान और स्त्री का विशेष महत्व होता है।
भगवान गणेश और शनि देव की पूजा
तिलकुंद चतुर्थी पर भगवान गणेश के साथ शनि देव की पूजा का शुभ योग बनता है। यह समय धन, समृद्धि और सुख-शांति के लिए सर्वोत्तम है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, और शनि देव न्याय के प्रतीक हैं। इन दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तिल के लड्डू का महत्व
तिल के लड्डू का भोग इस दिन का एक विशेष हिस्सा है। तिल (तिल) का सेवन शरीर के लिए लाभदायक होता है और यह ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है। इस दिन तिल के लड्डू बनाने की विधि भी काफी सरल है। तिल को अच्छे से सेंक कर गुड़ या चीनी के साथ मिलाकर लड्डू बनाए जाते हैं। ये लड्डू उस दिन भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
तिल का दान
तिल का दान विशेषकर गरीबों और जरूरतमंदों को करना चाहिए। इस दिन ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। तिल का दान करने से श्रद्धालुओं को विशेष पुण्य मिलता है, जो उनके जीवन में सुख, समृद्धि और प्रेम लाता है।
निष्कर्ष
तिलकुंद चतुर्थी का पर्व सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। भगवान गणेश और शनि देव की पूजा करना, तिल के लड्डू का भोग लगाना और तिल का दान करना एक आदर्श श्रद्धा का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का फल जीवन भर मिलता है। अधिक जानकारी और अपडेट्स के लिए, कृपया kharchaapani.com पर जाएं।
Keywords
Tilakund Chaturthi, Ganesh Puja, Shani Dev, Til Ladoo, Til Daan, Hindu Festivals, Indian Traditions, February Festivals, Puja Rituals, Spiritual SignificanceWhat's Your Reaction?






