हाईकोर्ट जज बोले- महिलाओं की पूजा नहीं, सम्मान जरूरी:माइंडसेट बदलना होगा, जेंडर इक्वालिटी अभी भी अधूरी
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि महिलाओं को पूजा से ज्यादा सम्मान की जरूरत है। उन्हें सम्मान दिया जाए। जहां महिलाओं का सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं। हमें माइंडसेट बदलना होगा। जेंडर इक्वालिटी अभी भी अधूरी है। जस्टिस उपाध्याय मंगलवार को दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (DSLSA) के कार्यक्रम में मौजूद थे। चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि आज भी समाज में महिलाओं को पूरा सम्मान और समानता नहीं मिली है। हमें बदलाव लाने की जरूरत है। इस कार्यक्रम में चीफ गेस्ट सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केवी विश्वनाथन भी थे। साथ में दिल्ली हाईकोर्ट के कई जस्टिस मौजूद थे। कार्यक्रम में उन महिला वकीलों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने कानूनी सेवाओं में बेहतरीन योगदान दिया है। क्या है वीरांगना प्रोजेक्ट, पीड़ित महिलाओं के लिए एक पहल DSLSA ने वीरांगना प्रोजेक्ट शुरू किया है। जिसके तहत महिलाओं को पैरा-लीगल वालंटियर (PLV) के रूप में तैयार किया जा रहा है। ये महिलाएं दो दिन की ट्रेनिंग के बाद कानूनी सहायता कार्यों में शामिल होंगी। इस योजना में यौन अपराधों और एसिड अटैक पीड़ित, ट्रांसजेंडर, महिला सेक्स वर्कर्स, बाल यौन शोषण की शिकार (अब वयस्क) महिलाएं, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य नागरिक संगठनों के सदस्य शामिल हैं। DSLSA के मेंबर सेक्रेटरी राजीव बंसल ने बताया कि चयनित पैरा-लीगल वॉलंटियर्स (PLVs) को उनके सर्विस पीरियड के आधार पर भुगतान किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का मकसद सिर्फ कानूनी सहायता देना ही नहीं बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाना है। सात ही उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने आगे बताया कि 250 महिलाओं में से 104 को चुना गया, लेकिन 80 महिलाओं ने ट्रेनिंग जॉइन की है। DSLSA 4- 8 मार्च तक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उत्सव मनाएगा। क्राइम विक्टम महिलाओं के लिए होटल मैनेजमेंट कोर्स वीरांगना प्रोजेक्ट के तहत 40 यौन अपराध पीड़िताओं को दिल्ली के पूसा में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (IHM) में फूड एंड बेवरेज कोर्स कराया जाएगा। इस कोर्स की फीस 1.25 से 1.5 लाख रुपये है, लेकिन इंस्टीट्यूट ने इसे बिल्कुल मुफ्त कराने का फैसला किया है। यह बैच 8 मार्च से शुरू होगा। DSLSA जॉब फेयर का भी आयोजन कर रही है। जहां हॉस्पिटैलिटी और मैनेजमेंट सेक्टर के कई ऑर्गेनाइजेशन महिलाओं को रोजगार के अवसर देंगे। .................................. ये खबर भी पढ़ें.... SC बोला-गुजारे भत्ते का मकसद पति को सजा देना नहीं: पत्नी सम्मान से जी सके, कोर्ट इसका इंतजाम करना चाहता है सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक विवाद के मामले में 10 दिसंबर को एक आदेश दिया था कि पति अपनी पत्नी और बच्चों को 5 करोड़ रुपए का गुजारा-भत्ता दे। कोर्ट ने आदेश दिया कि पति फाइनल सेटलमेंट के तौर पर यह रकम पत्नी को दे। पूरी खबर पढ़ें...

हाईकोर्ट जज बोले- महिलाओं की पूजा नहीं, सम्मान जरूरी: माइंडसेट बदलना होगा, जेंडर इक्वालिटी अभी भी अधूरी
Kharchaa Pani
लेखक: नंदिता सिंगल, टीम नितानागरी
परिचय
हाल ही में एक उच्च न्यायालय के जज ने महिलाओं के प्रति सम्मान पर जोर देते हुए कहा कि हमें महिलाओं की पूजा करने की बजाय उन्हें वास्तविक सम्मान देना होगा। जज ने यह भी बताया कि जेंडर इक्वालिटी की दिशा में हमारे सोचने के तरीके में बदलाव लाना आवश्यक है। उनका यह बयान एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन चुका है।
महिलाओं की पूजा या सम्मान?
हमारे समाज में अक्सर महिलाओं की पूजा की जाती है, वहीं वास्तविकता में उन्हें सही सम्मान नहीं दिया जाता। उच्च न्यायालय के जज ने कहा कि जब तक हम महिलाओं को मात्र देवी के रूप में पूजा करते रहेंगे, तब तक उनके अधिकारों की रक्षा नहीं हो पाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को समान अवसर प्रदान करना बेहद जरूरी है।
जेंडर इक्वालिटी पर विचार
जज ने अपने विचार में कहा कि जेंडर इक्वालिटी केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सामजिक बदलाव का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारा सोचने का तरीका नहीं बदलता, तब तक हम महिलाओं को वह सम्मान नहीं देंगे, जिसके वे हकदार हैं। जज ने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे विचार और कार्यों में एक सामंजस्य होना चाहिए।
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा
महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। जज ने कहा कि न्यायपालिका को न केवल महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए कदम उठाने चाहिए, बल्कि इसके साथ ही उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में भी कार्य करना चाहिए।
समाज में बदलाव की आवश्यकता
सिर्फ कानून बनाने से काम नहीं चलेगा; समाज के हर व्यक्ति को महिलाओं के प्रति अपने नजरिए को बदलना होगा। यह बदलाव धीरे-धीरे संभव होगा, लेकिन इसके लिए सभी को आगे आकर प्रयास करने होंगे। जज ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने में सभी का योगदान आवश्यक है।
निष्कर्ष
महिलाओं के प्रति सम्मान देने के इस विचार को आगे बढ़ाना आज की एक आवश्यकता बन गई है। हमें केवल पूजा करने की बजाय महिलाओं को उनकी जगह प्रदान करने की दिशा में सोचना होगा। जब हम जेंडर इक्वालिटी को समझेंगे और मानेंगे, तभी हम एक सशक्त समाज की ओर बढ़ेंगे।
इस विषय पर बात जारी रहनी चाहिए, ताकि हम सभी मिलकर एक सकारात्मक बदलाव ला सकें। अधिक जानकारी के लिए, kharchaapani.com पर विजिट करें।
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