स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र:धरती ने हमें बहुत कुछ दिया है, इसे प्रणाम करें; जल को देवता मानें, अन्न का सम्मान करें
हमारी संस्कृति महान है, इसमें प्रकृति की पूजा करने का संदेश दिया गया है। हम प्रकृति के सभी अंगों की पूजा करते हैं। धरती, अंबर, अग्नि, जलवायु, निहारिका, नक्षत्र, सूर्य, चंद्र, जो भी कुछ दिखाई दे रहा है, वह सब प्रकृति के अंग हैं और प्रकृति का हर एक अंग पूजनीय है। हमें अपने बच्चों को प्रकृति का सम्मान करने की शिक्षा देनी चाहिए। हम स्वयं भी ये सीख सकते हैं कि धरती ने हमें बहुत कुछ दिया है, प्रकृति को प्रणाम करें। जल को हम देवता मानें, अन्न के प्रति आदर रखें, वृक्षों की रक्षा करें। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए विचारों में परिवर्तन कैसे आ सकता है? आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र: धरती ने हमें बहुत कुछ दिया है, इसे प्रणाम करें; जल को देवता मानें, अन्न का सम्मान करें
Kharchaa Pani
लेखक: प्रिया शर्मा, टीम नेतानगरी
परिचय
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन में ऐसे कई सूक्तियाँ हैं, जो हमें जीवन के हर पहलू को समझने में सहायता करती हैं। उनके विचारों में हमें जल, अन्न, और धरती की महत्ता का ज्ञान मिलता है। उनका कहना है कि धरती ने हमें बहुत कुछ दिया है, इसलिए हमें इसका सम्मान करना चाहिए। आइए देखते हैं उनके द्वारा बताए गए कुछ महत्वपूर्ण जीवन सूत्र।
धरती का सम्मान
स्वामी जी के अनुसार, धरती की महत्ता अत्यधिक है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में धरती को माता के समान मान्यता दी गई है। यह सिर्फ एक भौतिक संसाधन नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन देने वाली एक तत्व है। हमें धरती का सम्मान करते हुए, इसके प्रति आभार प्रकट करना चाहिए। जब हम धरती की सुरक्षा करते हैं, तब हम अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छा भविष्य सुनिश्चित करते हैं।
जल का महत्व
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि ने जल को देवता मानने का सुझाव दिया है। जल जीवन का मुख्य आधार है। उनके अनुसार, हमें जल का सही उपयोग करना चाहिए और इसे व्यर्थ नहीं करना चाहिए। जल का संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि यह न केवल हमारे जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी आवश्यक है।
अन्न का सम्मान
स्वामी जी के विचारों में अन्न का भी विशेष स्थान है। उन्होंने अन्न को जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए कहा कि इसे कभी भी बर्बाद नहीं करना चाहिए। अन्न की उत्पत्ति धरती से होती है, और इसका सही सम्मान करना जरूरी है। हमें समझना चाहिए कि अन्न का मूल्य केवल खाने में नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति का भी एक हिस्सा है।
उपसंहार
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन के ये सूत्र केवल धार्मिक या आध्यात्मिक नहीं हैं, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। उनका संदेश हमें सिखाता है कि हमें धरती, जल, और अन्न का सम्मान करना चाहिए, और इसके प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए। अगर हम इसे अपने जीवन में अपनाते हैं, तो हम एक संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं।
उनके विचारों को अपनाकर, हम अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं। स्वामी जी के जीवन सिंद्धांतों का पालन करना न केवल हमें अपने जीवन में संतुलन प्रदान करेगा, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।
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