म्यांमार भूकंप में अब तक 1644 की मौत:3400 घायल, दो दिन में 3 बड़े भूकंप; मोदी ने सैन्य सरकार के प्रमुख से बात की

म्यांमार में शनिवार दोपहर 3:30 बजे फिर भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.1 मापी गई। इस तरह बीते 2 दिन में 5 से ज्यादा तीव्रता वाले तीन भूकंप आए। शुक्रवार को 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद म्यांमार में भारी तबाही हुई। मौत का आंकड़ा 10 हजार से ज्यादा हो सकता है। यह आशंका यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने जताई। भूकंप के झटके थाईलैंड, बांग्लादेश, चीन और भारत तक महसूस किए गए। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक शनिवार तक मरने वालों का आंकड़ा 1644 हो चुका है, जबकि 3,408 से ज्यादा लोग घायल हुए और 139 लोग लापता हैं। उधर, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक 30 मंजिला इमारत गिर गई। इसमें 10 लोगों की मौत हुई। म्यांमार में शुक्रवार सुबह 11:50 बजे 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। म्यांमार और थाईलैंड में यह 200 साल का सबसे बड़ा भूकंप था। भारी तबाही के चलते म्यांमार के 6 राज्यों और पूरे थाईलैंड में इमरजेंसी लगा दी गई। भारत ने 3 खेप में भेजी राहत सामग्री विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि भारतीय नौसेना के जहाज INS सतपुड़ा और INS सावित्री ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत 40 टन रिलीफ सामग्री म्यांमार के यांगून बंदरगाह भेजे गए। इसके अलावा 118 सदस्यीय फील्ड हॉस्पिटल यूनिट आगरा से म्यांमार के मांडले शहर पहुंची। इससे पहले ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत ही भारत ने मदद के लिए 15 टन राहत सामग्री में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने के लिए तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, सोलर लैंप, जनरेटर सेट और आवश्यक दवाएं भेजी। UN ने म्यांमार को 43 करोड़ रुपए की मदद दी भीड़भाड और ट्रैफिक की वजह से रेस्क्यू में दिक्कत सड़कों पर भीड़भाड़ और ट्रैफिक जाम की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किल आ रही है। कई मेडिकल इक्विपमेंट जैसे ट्रॉमा किट, ब्लड बैग, एनेस्थेटिक्स और जरूरी दवाओं के ट्रांसपोर्ट में बाधा हो रही है। यूरोपीय यूनियन (EU) ने इमरजेंसी सहायता के दौर पर 2.7 मिलियन डॉलर (23 करोड़ रुपए) की मदद म्यांमार भेजी है। EU ने कहा कि इस मुश्किल हालात में वो म्यांमार के लोगों के साथ खड़ा है। तस्वीरों में देखिए तबाही... भूकंप में नेपीदा एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर गिरा म्यांमार भूकंप के चलते नेपीदा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर गिर गया। सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि टावर जमीन से उखड़े हुए पेड़ की तरह गिरा हुआ है। भूकंप के समय टावर में मौजूद सभी लोगों का निधन हो गया। म्यांमार में 2 दिन में आए 3 भूकंप म्यांमार में 2 दिन में 3 भूकंप आए। पहला भूकंप 28 मार्च को सुबह 7.7 तीव्रता, दूसरा 28 मार्च की ही रात 11.56 बजे 4.2 तीव्रता का और तीसरा भूकंप 29 मार्च को दोपहर 3:30 एक 5.1 की तीव्रता का आया। म्यांमार में ऐतिहासिक शाही महल मांडले पैलेस के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं, सागाइंग क्षेत्र के सागाइंग टाउनशिप में एक पुल भूकंप में पूरी तरह नष्ट हो गया। राजधानी नेपीता के अलावा क्यौकसे, प्यिन ऊ ल्विन और श्वेबो में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इन शहरों की आबादी 50 हजार से ज्यादा है। सागाइंग फॉल्ट की वजह से म्यांमार में आया भूकंप म्यांमार में धरती की सतह के नीचे की चट्टानों में मौजूद एक बहुत बड़ी दरार है, जो देश के कई हिस्सों से होकर गुजरती है। यह दरार म्यांमार के सागाइंग शहर के पास से गुजरती है इसलिए इसका नाम सागाइंग फॉल्ट पड़ा। यह म्यांमार में उत्तर से दक्षिण की तरफ 1200 किमी तक फैली हुई है। इसे 'स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट' कहते हैं, जिसका मतलब है कि इसके दोनों तरफ की चट्टानें एक-दूसरे के बगल से हॉरिजॉन्टल दिशा में खिसकती हैं, ऊपर-नीचे नहीं। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे दो किताबें टेबल पर रखी हों और उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ स्लाइड किया जाए। यह दरार अंडमान सागर से लेकर हिमालय की तलहटी तक जाती है और पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स के हिलने-डुलने से बनी है। भारतीय प्लेट उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है, जिससे सागाइंग फॉल्ट पर दबाव पड़ता है और चट्टानें बगल में सरकती हैं। म्यांमार में कई बड़े भूकंप इसी सागाइंग ​​​​​​फॉल्ट की वजह से आए हैं। इससे पहले 2012 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आ चुका है। सागाइंग फॉल्ट के पास 1930 से 1956 के बीच 7 तीव्रता वाले 6 से ज्यादा भूकंप आए थे। भूकंप से जुड़ी ये 5 खबरें भी पढ़ें..

Mar 30, 2025 - 03:34
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म्यांमार भूकंप में अब तक 1644 की मौत:3400 घायल, दो दिन में 3 बड़े भूकंप; मोदी ने सैन्य सरकार के प्रमुख से बात की

म्यांमार भूकंप में अब तक 1644 की मौत:3400 घायल, दो दिन में 3 बड़े भूकंप; मोदी ने सैन्य सरकार के प्रमुख से बात की

Kharchaa Pani | टीम नेतानागरी

वर्तमान में म्यांमार में आए भूकंपों ने देश को गहरे चट्टान में धकेल दिया है। कुल मिलाकर 1644 लोगों की जान चली गई है, जबकि 3400 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पिछले दो दिनों में तीन बड़े भूकंप आए हैं, जिन्होंने देश के कई हिस्सों में तबाही मचाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संदर्भ में म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख से बात की है, जिससे सटीक स्थिति का अनुमान लगाया जा सके।

भूकंप का कारण और प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, म्यांमार में आई भूकंप की श्रृंखला भूगर्भीय गतिविधियों का परिणाम है। यह क्षेत्र भूकंप के लिए बेहद संवेदनशील है, लेकिन एक साथ तीन बड़े भूकंप आना एक असामान्य घटना है। प्रभावित क्षेत्रों में घरों, स्कूलों और अस्पतालों को भारी नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर अब भी लोग मलबे में दबे हुए हैं। राहत एवं बचाव कार्य जोरों पर है, लेकिन भूस्खलन की स्थिति में रहस्य बना हुआ है।

सरकार की प्रतिक्रिया और सहायता

म्यांमार की सैन्य सरकार ने आपातकालीन सेवाएं सक्रिय कर दी हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति पर नजर रखने के लिए म्यांमार के सैन्य प्रमुख को फोन किया। भारत ने भी मानवीय सहायता की पेशकश की है। इस समय, राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता को तेजी से जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। राहत कार्य में स्थानीय समुदाय भी सहयोग कर रहे हैं। प्राथमिक उपचार केंद्रों की स्थापना की जा रही है, जहां घायलों का इलाज किया जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

हालांकि म्यांमार में राजनीतिक स्थिति के कारण कई देशों ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। फिर भी, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने मानवीय सहायता के लिए तैयार रहने का आश्वासन दिया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों ने अपने सदस्यों को सहायता भेजने का निर्देश दिया है। लेकिन, स्थिरता की कमी और प्रशासनिक चुनौती के चलते सहायता पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ

भूकंप के बाद म्यांमार के लिए चुनौतियाँ काफी बढ़ गई हैं। न केवल मानवता की हानि हुआ है, बल्कि बुनियादी ढांचे को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है। अगले कुछ हफ्तों में पुनर्निर्माण और पुनर्वास की कार्रवाई प्राथमिकताओं में होगी। संगठनों को स्थानीय स्तर पर सहायता पहुंचाने के लिए समन्वय बनाना होगा।

निष्कर्ष

म्यांमार में आए इस भूकंप ने अनेक परिवारों को तबाह कर दिया है। स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है, लेकिन विभिन्न सरकारों और संगठनों की मदद से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। हमारी प्रार्थना उन सभी के साथ है जो इस आपदा के शिकार हुए हैं। इस प्रकार की आपात स्थितियों में साझा प्रयास और एकता की आवश्यकता होती है।

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