रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर सकता है आरबीआई:कल से शुरू हो रही मीटिंग, पिछली बार भी ब्याज दर 0.25% घटाई थी
नए वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग कल यानी, सोमवार 7 अप्रैल से शुरू हो रही है। इस मीटिंग में रेपो रेट में 0.25% की कटौती का अनुमान लगाया गया है। यानी, आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं। 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा इस मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 आरबीआई के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। आरबीआई की मीटिंग आमतौर पर हर दो महीने में होती है। बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हो रही है। इस साल फरवरी में RBI ने रेपो रेट में 0.25% कटौती की थी फरवरी में ब्याज दर में की थी कटौती इससे पहले चालू वित्त वर्ष यानी 2024-25 की आखिरी मीटिंग में RBI ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की थी। फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया। ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई। रेपो रेट के घटने से क्या बदलाव आएगा? रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर अपनी ब्याज दरें कम कर सकते हैं। आपके सभी लोन सस्ते हो सकते हैं और EMI भी घटेगी। ब्याज दरें कम होंगी तो हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है? RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों के लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं। रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है? किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर सकता है आरबीआई: कल से शुरू हो रही मीटिंग, पिछली बार भी ब्याज दर 0.25% घटाई थी
Kharchaa Pani
लेखिका: सिया वर्मा, तान्या सिंह, टीम नेतानागरी
परिचय
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी आगामी बैठक में रेपो रेट में 0.25% की कटौती करने की संभावना पर विचार कर रहा है। यह मीटिंग कल से शुरू हो रही है, जिसमें कई महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होगी। पिछले महीने में भी आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25% घटाया था, जिससे बाजार में एक नई हलचल देखने को मिली थी।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। यह दर देश की वित्तीय प्रणाली में तरलता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब जीडीपी विकास में कमी आती है या महंगाई पर काबू पाने की आवश्यकता होती है, तो आरबीआई इस दर को घटाने या बढ़ाने का निर्णय लेता है।
पिछली कटौती का प्रभाव
पिछली बार जब आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की थी, तो इसका लाभ विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिला। बैंकों ने अपने लेंडिंग रेट्स को घटाया, जिससे होम लोन, कार लोन और व्यक्तिगत ऋण की दरें घट गयीं। इस निर्णय का सकारात्मक प्रभाव बाजारों में भी पड़ा, और शेयर बाजार में वृद्धि देखने को मिली।
विश्लेषक क्या कहते हैं?
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में कटौती करता है, तो यह न केवल उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करेगा बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी राहत का कारण बनेगा। अतः अनेक बैंक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय अगले कुछ महीनों में अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर सकता है।
क्या करें निवेशक?
अगर आप निवेश कर रहे हैं या आपके पास लोन है, तो इस मीटिंग का फैसला आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी वित्तीय योजनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें। लाभ उठाने का समय आ सकता है यदि रेपो रेट में कमी की घोषणा की जाती है।
निष्कर्ष
आरबीआई की अगली मीटिंग में रेपो रेट में संभावित 0.25% की कटौती, देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता है। इस कदम से उद्योगों को राहत मिलने की संभावना है, जिससे उपभोक्ताओं पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हमें आरबीआई के निर्णय का इंतजार करना होगा। यदि आप और अधिक अपडेट चाहते हैं, तो कृपया kharchaapani.com पर जाएं।
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