माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को:पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की परंपरा, जानिए इस कथा से जुड़ी खास बातें
बुधवार, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा है। पूर्णिमा से जुड़ी कई परंपराएं हैं। इस तिथि पर नदी स्नान, तीर्थ दर्शन, हवन-पूजन, दान-पुण्य जैसे धर्म-कर्म किए जाते हैं। इस पर्व पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की और व्रत-पूजा करने की भी परंपरा है। ये स्कंद पुराण में बताई गई है। जानिए इस कथा से जुड़ी खास बातें... उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ग्रंथों में लिखा है कि सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने-सुनने, पूजा और व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये कथा खासतौर पर पूर्णिमा पर की जाती है, क्योंकि धर्म-कर्म के नजरिए से पूर्णिमा तिथि का महत्व काफी अधिक है। इस दिन चंद्र अपने पूर्ण स्वरूप में दिखाई देता है, ये दिन सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। पूर्णिमा के बाद से चंद्र घटना शुरू हो जाता है, पूर्ण चंद्र के साथ किए गए धर्म-कर्म अक्षय पुण्य देते हैं, ऐसी मान्यता है। ये हैं संक्षिप्त सत्यनारायण कथा सत्यनारायण कथा का जीवन प्रबंधन ये कथा हमें सत्य का पालन करने की और भगवान में आस्था बनाए रखने का संदेश देती है। झूठ और अधर्म के रास्ते पर चलने से जीवन में परेशानियां आती हैं। इसलिए हमें जीवन में सत्य को अपनाना चाहिए और गलत कामों से दूर रहना चाहिए। सत्यनारायण कथा करने की विधि पूजन सामग्री - भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा या चित्र, पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से बना पंचामृत, फल-फूल, तुलसी पत्ते, भोग के लिए हलवा और चूरमा, नारियल, केले और आम के पत्ते, भगवान के श्रृंगार के वस्त्र आदि, कुमकुम, गुलाल, अबीर जैसी पूजन सामग्री, धूप-दीप, कथा की किताब। पूजा विधि - स्नान के बाद सत्यनारायण भगवान की फोटो या मूर्ति स्थापित करें। पंचामृत से अभिषेक करें और फल-फूल चढ़ाएं। श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। पूजन सामग्री चढ़ाएं। तुलसी के साथ भोग लगाएं। कथा का पाठ करें। प्रसाद अर्पित करें और परिवार के सदस्यों में बांटें।

माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को: पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की परंपरा, जानिए इस कथा से जुड़ी खास बातें
Kharchaa Pani
लेखक: पूजा शर्मा, सुमन रॉय, टीम नेतानगरी
परिचय
माघी पूर्णिमा का त्योहार हर वर्ष महत्वपूर्ण आस्था के साथ मनाया जाता है। इस बार, यह खास दिन 12 फरवरी को आएगा। इस दिन विशेष रूप से भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करने की परंपरा है। माघ पूर्णिमा का यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, जहाँ श्रद्धालु अपने परिवार और मित्रों के साथ इस धार्मिक अनुष्ठान का आनंद लेते हैं।
भगवान सत्यनारायण की कथा का महत्व
भगवान सत्यनारायण को सत्य और धर्म का प्रतीक माना जाता है। उनकी कथा के पाठ में सच्चाई, धर्म और भक्ति का संदेश छुपा हुआ है। मान्यता है कि इस कथा का श्रवण करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
कथा का पाठ करने की विधि
माघी पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु अपने घरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं। इस दिन विशेष स्नान करने के बाद श्रद्धालु नदियों या तालाबों में जाकर स्नान करते हैं और फिर भगवान का पूजन करते हैं। कथा सुनने के लिए आमंत्रित भक्तगण एकत्र होते हैं और कथा का श्रवण करते हैं। कथा का पाठ करते समय फल, मिठाई और विशेष प्रसाद अर्पित किया जाता है।
विशेष अनुष्ठान
इसके अलावा, इस दिन कुछ लोग व्रत भी रखते हैं, जिसमें केवल फलाहार किया जाता है। माघी पूर्णिमा के अवसर पर दान देना भी महत्वपूर्ण है। यह माना जाता है कि इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लोग गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य सामान बांटते हैं।
कथा से जुड़ी खास बातें
भक्तों के बीच यह कथा सुनाते समय विशेष ध्यान रखा जाता है कि सभी पंक्तियों का उच्चारण सही हो और भक्तों में श्रद्धा बनी रहे। कथा के अंत में भगवान सत्यनारायण का आभार व्यक्त किया जाता है। इस दिन कई स्थानों पर सामूहिक कथा का आयोजन होता है। यही नहीं, कुछ स्थानों पर भव्य मेले भी लगाए जाते हैं, जहाँ श्रद्धालु भाग लेते हैं।
निष्कर्ष
माघी पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिकता की सीख देता है, बल्कि समाज में एकता और प्रेम को भी बढ़ावा देता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करना समाज में भक्ति और श्रद्धा का संचार करता है। सभी भक्तों से निवेदन है कि इस दिन भगवान के प्रति अपनी आस्था को और मजबूत करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं।
फिर से एक बार, इस बार माघी पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा के पाठ का लाभ उठाएं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयास करें।
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