महाराष्ट्र में GB सिंड्रोम के 163 मामले:21 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर, 47 ICU में; अकेले पुणे में 86 केस

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के 5 नए मरीज सामने आए हैं। पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और दूसरे इलाकों में इनकी संख्या बढ़कर 163 हो गई है। मरने वालों का आंकड़ा भी 5 पर पहुंच गया है। अभी तक देश के 5 राज्यों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मरीज सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 47 मरीज ICU और 21 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, जबकि 47 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। इन 163 मामलों में पुणे से 86, पिंपरी चिंचवाड़ से 18, पुणे ग्रामीण से 19 मामले और दूसरे जिलों से 8 मामले हैं। महाराष्ट्र के अलावा, देश के 4 दूसरे राज्यों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मरीज सामने आ चुके हैं। तेलंगाना में ये आंकड़ा एक है। असम में 17 साल की लड़की मौत हुई, कोई दूसरा एक्टिव केस नहीं है। वहीं, पश्चिम बंगाल में 30 जनवरी तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें दो बच्चे शामिल हैं। एक वयस्क है। पीड़ित परिवारों का दावा है कि इन मौतों का कारण GB सिंड्रोम है, लेकिन बंगाल सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की है। दावा है कि 4 और बच्चे GB सिंड्रोम से पीड़ित हैं। कोलकाता के अस्पताल में उनका इलाज जारी है। राजस्थान के जयपुर में 28 जनवरी को लक्षत सिंह नाम के बच्चे की मौत हुई। वो कुछ से GB सिंड्रोम से पीड़ित था। परिजनों ने उसका कई अस्पताल में इलाज कराया था। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। पश्चिम बंगाल में 3 की मौत कोलकाता और हुगली जिला अस्पताल में 3 लोगों की मौत GB सिंड्रोम से होने का दावा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर 24 परगना जिले के जगद्दल के रहने वाला देबकुमार साहू (10) और अमदंगा का रहने वाले अरित्रा मनल (17) की मौत हुई है। तीसरा मृतक हुगली जिले के धनियाखाली गांव का रहने वाला 48 साल का व्यक्ति है। देबकुमार के चाचा गोविंदा साहू के मुताबिक देब की मौत 26 जनवरी को कोलकाता के बीसी रॉय अस्पताल में हुई थी। उसके डेथ सर्टिफिकेट में मौत का कारण जी.बी. सिंड्रोम लिखा है। वहीं, वहीं, पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और घबराने की कोई बात नहीं है। इलाज महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का GBS का इलाज महंगा है। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है। पुणे के अस्पताल में भर्ती 68 साल के मरीज के परिजनों ने बताया कि इलाज के दौरान उनके मरीज को 13 इंजेक्शन लगाने पड़े थे। डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है। --------------------------- वायरस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... HMPV वायरस से किन्हें ज्यादा खतरा: अस्थमा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन है तो सावधान, डॉक्टर से जानिए, कैसे रखें ख्याल HMPV इन्फेक्शन के लक्षण कोरोना वायरस से मेल खाते हैं। इसके कारण हो रहे कॉम्प्लिकेशन भी कमोबेश कोरोना वायरस से हुए कॉम्प्लिकेशन जैसे ही हैं। HMPV वायरस का गंभीर संक्रमण होने पर निमोनिया और ब्रोंकाइटिस विकसित होने का जोखिम होता है। छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा होता है। पूरी खबर पढ़ें...

Feb 4, 2025 - 18:34
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महाराष्ट्र में GB सिंड्रोम के 163 मामले:21 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर, 47 ICU में; अकेले पुणे में 86 केस

महाराष्ट्र में GB सिंड्रोम के 163 मामले: 21 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर, 47 ICU में; अकेले पुणे में 86 केस

Kharchaa Pani - टीम नेतानागरी द्वारा

परिचय

हाल के दिनों में महाराष्ट्र में गुशेनी बर्नि सिंड्रोम (GB सिंड्रोम) के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में राज्य में कुल 163 मामलों की पुष्टि की गई है, जिनमें 21 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं और 47 ICU में भर्ती हैं। वही अकेले पुणे में 86 मामले सामने आए हैं, जो कि चिंता का विषय है।

GB सिंड्रोम क्या है?

गुशेनी बर्नि सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो आमतौर पर वायरल संक्रमण के बाद होती है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा नसों पर हमले के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। यह स्थिति बड़ी तीव्रता से विकसित हो सकती है और यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है।

महाराष्ट्र में मामलों की वृद्धि

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, GB सिंड्रोम के हालिया मामलों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है। पुणे में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जहां 86 मरीज इस सिंड्रोम से ग्रसित हैं। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है।

इलाज और अस्पतालों की तैयारी

सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए व्यापक तैयारी की गई है। वेंटिलेटर सपोर्ट और ICU साज-सज्जा में वृद्धि की जा रही है, ताकि मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके। खासकर वेंटिलेटर पर पड़े 21 मरीजों की नियमित निगरानी की जा रही है।

क्या करें? सुरक्षा उपाय

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में सभी को सावधानी बरतनी चाहिए। निम्नलिखित उपाय सुझाए जाते हैं:

  • यदि आपको किसी वायरल संक्रमण के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
  • अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन करें।
  • सफाई का विशेष ध्यान रखें और भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचें।

निष्कर्ष

GB सिंड्रोम के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन को सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। लोगों को जागरूक रहना चाहिए और आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। अगर आप या कोई जानने वाला योग्य लक्षणों का सामना कर रहा है, तो तुरंत हेल्थकेयर प्रोफेशनल से संपर्क करें।

अधिक जानकारी के लिए, visit kharchaapani.com.

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