महाकुंभ में भगदड़- दिल दहलाने वाले 9 VIDEO:महिलाएं नीचे गिरीं, भीड़ कुचलती चली गई; पांटून पुल बंद थे तो जान बचाने कूदे लोग
प्रयागराज महाकुंभ में मंगलवार देर रात भगदड़ मच गई। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के पहले हुए इस हादसे में 14 लोगों की जान चली गई। वहीं 50 से ज्यादा लोग घायल हैं। भगदड़ की शुरुआत हुई तो कुछ महिलाएं जमीन पर गईं। लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। जब भीड़ हटी तो लोग लाशों के बीच अपनों को तलाशते रहे। चारों ओर रोने-चीखने की आवाजें आ रही थीं। अमृत स्नान के पहले ज्यादातर पांटून पुल बंद कर दिए गए थे। ऐसे में लोग जान बचाने के लिए पुल से कूदने लगे। घायलों को जद्दोजहद के बाद अस्पताल पहुंचाया गया। कई मृतकों के शव जमीन पर पड़े रहे। कुंभ में भगदड़ के ऐसे ही 9 वीडियो देखने के लिए खबर के ऊपर लगी इमेज पर क्लिक करें...

महाकुंभ में भगदड़- दिल दहलाने वाले 9 VIDEO: महिलाओं के गिरने का दर्द
Kharchaa Pani
लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
महाकुंभ, जहां श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ अपनी आस्था में डूबी रहती है, में हाल ही में हुई भगदड़ ने सबको झकझोर कर रख दिया है। इस घटना का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें महिलाएं कुचले जाने लगती हैं। पांटून पुल के बंद होने के कारण श्रद्धालुओं ने जान बचाने के लिए कूदने का साहस दिखाया।
घटना का विवरण
यह घटना उस समय घटित हुई जब हजारों श्रद्धालु तत्काल स्नान के लिए बेताबी थे। भगदड़ के इस मंजर में कई महिलाएं नीचे गिर गईं और भीड़ ने उन्हें कुचल दिया। कई वीडियो इस दर्दनाक स्थिति को बयां कर रहे हैं, जिसमें लोगों की चीखें सुनाई दे रही हैं। यह देखने में बेहद भयावह था।
पांटून पुल के बंद होने का असर
पांटून पुल का बंद होना श्रद्धालुओं के लिए संकट का कारण बना। जान बचाने के लिए कई लोगों ने पुल से कूदने का निर्णय लिया। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण लोगों को यह स्थिति का सामना करना पड़ा। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कई अधिकारियों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की बात कही, परंतु जब स्थिति इतनी विकट हो, तो क्या नियमों का पालन संभव हो पाता है?
वीडियो और उसके प्रभाव
इस भगदड़ के 9 दिल दहलाने वाले वीडियो ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। कई लोग इन वीडियो की गंभीरता को समझते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि मेले में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
महाकुंभ में हुई इस दुखद घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमें अपने सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के मानकों को और सख्त बनाने की आवश्यकता है। श्रद्धालुओं की जान से ज्यादा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है। हमें प्रशासन से अपेक्षा है कि ऐसे हादसे पुनः न हों। कृपया सुरक्षित रहें और अपने अनुभवों को साझा करें। स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोपरि है।
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