भास्कर अपडेट्स:मणिपुर में रैबीज से तीन की मौत, 3 महीने में 749 लोगों को कुत्ते ने काटा
मणिपुर में पिछले एक हफ्ते में चुड़ाचांदपुर जिले के न्यू जोवेंग गांव से सबसे अधिक रैबीज के मामले आए। इसके बाद अब प्रशासन ने यहां के कुछ इलाकों में प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा कुछ जगहों पर कन्टेनमेंट जोन भी बनाया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, जनवरी से अब तक 749 लोगों को कुत्तों ने काटा है, जिसमें 3 लोगों की रैबीज से मौत हो चुकी है। इस पर जिलाधिकारी धरूण कुमार ने बताया कि सभी पालतू और आवारा कुत्तों की पहचान कर उनका टीकाकरण किया जा रहा है। वहीं बता दें कि यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) के मुताबिक, हर साल रैबीज से दुनिया में 60,000 से ज्यादा मौतें होती हैं, जिनमें से 36% भारत में होती हैं।

भास्कर अपडेट्स: मणिपुर में रैबीज से तीन की मौत, 3 महीने में 749 लोगों को कुत्ते ने काटा
Kharchaa Pani
लेखक: सुमिता शर्मा, प्रिया कुमारी, टीम नेतानागरी
परिचय
मणिपुर में हाल ही में रैबीज के कारण तीन लोगों की मौत हो गई है। यह घटना इस राज्य में जानवरों द्वारा कटने की बढ़ती घटनाओं की रोशनी में चिंताजनक है। पिछले तीन महीनों में, 749 लोगों को काटा गया है, जिससे चिंता की लहर दौड़ गई है। इस लेख में हम इस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि मणिपुर में रैबीज के मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे के कारण क्या हैं।
रैबीज का खतरा
रैबीज एक गंभीर वायरस है जो संक्रमित जानवरों से मानवों में फैलता है। यह मुख्य रूप से कुत्तों, बिल्ली, और अन्य डॉग-लाइके जानवरों के द्वारा फैलता है। मणिपुर में ये घटनाएँ जागरूकता की कमी और उचित उपचार की अनुपलब्धता का संकेत देती हैं। रैबीज के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, और अंत में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को प्रभावित करना शामिल है।
जानवरों द्वारा काटने की घटनाएं
हालिया आंकड़ों के अनुसार, मणिपुर में पिछले तीन महीनों में 749 लोगों को कुत्तों द्वारा काटा गया। इनमें से कई घटनाएँ पार्कों और गलियों में हुईं, जहाँ लोग स्वच्छता के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति यु ही बनी रही, तो रैबीज के मामलों में और वृद्धि हो सकती है।
स्वास्थ्य एवं सुरक्षा उपाय
सरकार को स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से एक अभियान चलाने की आवश्यकता है जिसमें लोगों को रैबीज के प्रति जागरूक किया जाए। यह बेहद आवश्यक है कि काटे गए लोगों को जल्दी से जल्दी टीका दिया जाए। इस स्थिति का प्रभावी समाधान एक सामूहिक प्रयास से ही संभव है।
समाज की भूमिका
समाज को भी इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अधिकारियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सरकार का सहयोग करते हुए जागरूकता शिविरों का आयोजन करना चाहिए। इसके अलावा, समुदाय स्तर पर घर-घर जाकर भी लोगों को रैबीज के खतरे और उसकी रोकथाम के उपायों के बारे में बताना आवश्यक होगा।
निष्कर्ष
मणिपुर में रैबीज के बढ़ते मामलों ने ना केवल स्वास्थ्य विभाग को चिंतित किया है, बल्कि समाज को भी सचेत करने की आवश्यकता है। यदि यही स्थिति रही, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी मिलकर इस समस्या का सामना करें।
हमेशा स्वास्थ्य की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और जब भी कोई जानवर काटे, तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
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