मानसा में खालिस्तानी झंडे वाली रैली रोकी:सिमरनजीत मान बोले- शांतिपूर्ण रैली की अनुमति मिले, बंटवारे के समय सिखों की राय नहीं ली गई
पंजाब के मानसा जिले में पुलिस ने खालिस्तानी झंडे के साथ निकलने वाली रैली को रोक दिया। गांव रड़ से शुरू होने वाली इस रैली में कहीं भी खालिस्तानी झंडा नहीं लहराने दिया गया। इस बीच, शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने गांव रल्ला में अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि गुरपतवंत पन्नू को बाबा साहेब अंबेडकर के खिलाफ बयान नहीं देना चाहिए। मान बोले- पाकिस्तान को अलग करते समय सिखों की राय नहीं ली गई मान ने बैसाखी के मौके पर कहा कि यह सिखों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। पहले बैसाखी पाकिस्तान में मनाई जाती थी। अब तख्त श्री दमदमा साहिब में मनाई जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान को अलग करते समय सिखों की राय नहीं ली गई। संविधान के तहत सभी को रैली निकालने का अधिकार- मान उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। कहा कि सरकार कभी भी सिखों के हितों की बात नहीं करती। युवाओं की शांतिपूर्ण रैली को रोकने पर भी सवाल उठाया। मान ने कहा कि संविधान के तहत सभी को रैली निकालने का अधिकार है। विदेश में बैठे गुरपतवंत पन्नू के बयान पर मान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने कभी कोई गलत काम नहीं किया, इसलिए उनकी मूर्ति तोड़ने की बात नहीं की जानी चाहिए। मान ने गृहमंत्री पर श्री गुरु ग्रंथ साहब का अपमान करने का आरोप भी लगाया।

मानसा में खालिस्तानी झंडे वाली रैली रोकी: सिमरनजीत मान बोले- शांतिपूर्ण रैली की अनुमति मिले, बंटवारे के समय सिखों की राय नहीं ली गई
Kharchaa Pani - मनसा शहर में खालिस्तानी झंडे के साथ प्रस्तावित रैली को रोका गया, जिसके चलते सिख समुदाय के नेता सिमरनजीत सिंह मान ने सरकार से कहा कि उन्हें शांतिपूर्ण रैली की अनुमति दी जानी चाहिए। इस कदम पर चर्चा करते हुए, मान ने कहा कि भारत के विभाजन के समय सिखों की राय नहीं ली गई थी, जिसका गहरा असर आज भी सिख समाज पर है।
रैली का आयोजन और प्रशासनिक कार्रवाई
रविवार को प्रस्तावित रैली के आयोजन के पहले, प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से सख्त कदम उठाए। भीड़ को इकट्ठा होने से रोकने के लिए पुलिस ने कई स्थानों पर बैरिकेड्स लगाए और आयोजकों को अनुमति देने से मना कर दिया। सिमरनजीत मान ने प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और कहा कि अगर बंटवारे के समय सिख समुदाय की राय ली जाती, तो आज स्थिति कुछ अलग होती।
सिख समुदाय की भावनाएं
सिख समुदाय में व्याप्त असंतोष और उनके अधिकारों को लेकर गहरी चिंता है। सिमरनजीत मान ने कहा कि सिखों का गहरा समर्पण भारतीय संप्रभुता के प्रति है, लेकिन उनके अधिकारों की अनदेखी करना कभी-कभी उन्हें मजबूर करता है कि वे अपनी आवाज उठाएं। उनका कहना था कि शांतिपूर्ण रैली का आयोजन होना चाहिए ताकि सिख समुदाय अपनी मांगें सरकार के सामने रख सके।
सुरक्षा की चिंता
हालांकि, प्रशासन ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रैली को रोकने का निर्णय लिया। अधिकारियों का कहना है कि खालिस्तानी झंडे के साथ कोई भी आयोजन माहौल को खराब कर सकता है और इससे सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष
मानसा में हुई यह घटना सिख समुदाय की भावनाओं को लेकर फिर से चर्चा में ला देती है। सिमरनजीत मान का बयान इस बात का सबूत है कि आज भी सिखों के अधिकारों पर चर्चा होनी चाहिए और उन्हें अपनी आवाज उठाने का मौका मिलना चाहिए। वास्तव में, बंटवारे के समय सिख समाज की सुनवाई न होना उनके अधिकारों की सरलता का एक उदाहरण है।
यही समय है कि सभी संबंधित पक्ष इस मामले पर गंभीरता से विचार करें और सिखों की आवाज को सुनें। यह विषय केवल सिखों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समस्त भारतीय समाज के लिए एक दीर्घकालिक संवाद की आवश्यकता है।
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