बैंक जमा पर मिलने वाला इंश्योरेंस-कवर बढ़ा सकती है सरकार:बैंक डूबा तो खाते में ₹5 लाख से ज्यादा की रकम सुरक्षित, जानें इसके नियम
केंद्र सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) के तहत मिलने वाले इंश्योरेंस कवर को बढ़ा सकती है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार इसे 5 रुपए से बढ़ाया जा सकता है। DICGC तहत अभी बैंक के बंद होने या डूबने की स्थिति में ग्राहकों की 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहेगी। डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर ये रकम मिलती है। अभी 5 लाख रुपए की रकम का ही बीमा अभी सरकार 5 लाख रुपए का ही इंश्योरेंस देती है। मान लीजिए किसी जमाकर्ता का बैंक में 10 लाख रुपए डिपॉजिट है। अगर बैंक किन्हीं कारणों से बंद होता है तो जमाकर्ता को 5 लाख रुपए बीमा कवर मिलेगा। यानी आपको 5 लाख रुपए ही मिल सकेंगे। DICGC जमाकर्ता से इस बीमा पर कोई प्रीमियम सीधे तौर पर नहीं लेता। यह प्रीमियम बैंक ही भरते हैं। डिपॉजिट गारंटी सिर्फ बैंक बंद होने की स्थिति में लागू होती है। अगर किसी जमाकर्ता के 4 लाख रुपए डिपॉजिट हैं तो नए प्रावधान के मुताबिक, उसे ये पूरी राशि बीमा कवर के रूप में वापस मिल सकेगी। इंश्योरेंस को बढ़ाने पर सरकार क्यों विचार कर रही? हाल ही में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में अनियमित्ता सामने आने के बाद ग्राहकों को बैंकों में पैसों की कमी के चलते परेशानी को सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले बीते कुछ सालों में पंजाब एवं महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी), यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के ग्राहकों को बैंकों में पैसों की कमी के चलते परेशानी को सामना करना पड़ा था। गारंटी राशि बढ़ाने पर बैंकों में लोग गारंटी राशि के बराबर पैसा जमा कराने को लेकर परेशान नहीं होंगे, जिससे लोगों का भरोसा भी बैंकिंग सिस्टम पर बढ़ेगा। नतीजतन, सेविंग बढ़ने से बैंक ज्यादा कर्ज दे सकेंगे। कितने दिन में मिलेगा पैसा? अगर आपका बैंक किसी वजह से दिवालिया होता है या मोरेटोरियम में चला जाता है तो 90 दिन में आपको अपना जमा पैसा मिलता है। प्रभावित बैंक को 45 दिन में DICGC को खाताधारकों का ब्योरा भेजना होता है। अगले 45 दिनों में वह खाताधारकों को पैसे लौटाता है। कैसे मिलता है पैसा? कौन-कौन से बैंक इसके तहत शामिल हैं? भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्रीय बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित सभी कॉमर्शियल बैंक का बीमा DICGC द्वारा किया जाता है। आपको कैसे पता चलेगा कि आपका बैंक DICGC के अंतर्गत आता है? किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय DICGC उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाले इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है। अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ सकते हैं। DICGC क्या है? डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन यानी DICGC, रिजर्व बैंक की स्वामित्व वाली एक संस्था है, जो बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर मुहैया कराती है।

बैंक जमा पर मिलने वाला इंश्योरेंस-कवर बढ़ा सकती है सरकार: बैंक डूबा तो खाते में ₹5 लाख से ज्यादा की रकम सुरक्षित, जानें इसके नियम
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लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नेतानागरी
परिचय
हाल ही में आई खबर के अनुसार, सरकार बैंक जमाों पर मिलने वाले इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह कदम ग्राहकों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर उन मामलों में जब बैंक डूब जाते हैं। वर्तमान में, ग्राहकों के जमा पर बीमा कवर की सीमा ₹5 लाख है, लेकिन इसे बढ़ाने की योजना को लेकर चर्चाएँ जारी हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि यह इंश्योरेंस कवर किस तरह से काम करता है और इसके नियम क्या हैं।
भारत में बैंक जमा सुरक्षा
भारत में, आरक्षित बैंक जमा पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की व्यवस्थाएं मौजूद हैं। यदि कोई बैंक डूबता है, तो DICGC आपकी जमा राशि को बीमा कवर के अंतर्गत लाने के लिए जिम्मेदार है। वर्तमान में, यह कवर प्रति बैंक ₹5 लाख तक है, जिसमें बचत, चालू और निश्चित जमाएं शामिल होती हैं।
नए प्रस्ताव के लाभ
यदि सरकार इस कवर को बढ़ाने की योजना को साकार करती है, तो इससे ग्राहकों को कई फायदे हो सकते हैं:
- वित्तीय सुरक्षा: ग्राहकों को अपनी जमा राशि के लिए अधिक सुरक्षा मिलेगी, जो बैंक के डूबने की अवस्था में बेहद महत्वपूर्ण है।
- विश्वास बहाली: यह कदम ग्राहकों के बीच बैंकिंग प्रणाली पर विश्वास को बढ़ाएगा, जिससे अधिक लोग बैंक में निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे।
- आर्थिक स्थिरता: बढ़ा हुआ कवर वित्तीय संकट को कम कर सकता है और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।
नियम और शर्तें
हालांकि, उपभोक्ताओं को यह समझना चाहिए कि इंश्योरेंस कवर का लाभ लेने के लिए कुछ नियम और शर्तें हो सकती हैं:
- कवर केवल एक ही बैंक में ₹5 लाख तक की कुल जमा राशि पर लागू होता है। यदि आप एक से अधिक बैंकों में जमा रख रहे हैं, तो आपको हर बैंक के लिए अलग कवर मिलेगी।
- यह कवर केवल भारतीय बैंकिंग प्रणाली के पंजीकृत बैंकों पर लागू होता है।
निष्कर्ष
सरकारी प्रस्ताव का उद्देश्य भारतीय बैंकिंग प्रणाली को और अधिक सुरक्षात्मक और ग्राहकों के अनुकूल बनाना है। आशा है कि यदि यह योजना लागू होती है, तो यह ग्राहकों को अनेक लाभ दे सकेगी और उन्हें वित्तीय असुरक्षा के डर से मुक्त कर सकेगी। बैंकिंग के क्षेत्र में होने वाले इस बदलाव के साथ-साथ, आपको अपनी जमा योजनाओं पर पैनी नज़र रखनी चाहिए।
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