बुधवार को माघी पूर्णिमा:तीर्थ दर्शन और नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान, जानिए क्या करें और क्या न करें
बुधवार, 12 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा है। इस पर्व पर तीर्थ दर्शन और नदी स्नान करने की परंपरा है। इसी वजह से गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी नदियों में कई श्रद्धालु इस दिन स्नान करने पहुंचेंगे। अभी प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है, माघी पूर्णिमा पर यहां करोड़ों भक्त संगम में स्नान करेंगे। पूर्णिमा पर चंद्र अपनी पूर्ण कलाओं के साथ दिखाई देता है। इस दिन चंद्र उदय के बाद चंद्र की पूजा की जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जो लोग माघी पूर्णिमा पर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। गंगाजल न हो तो सामान्य पानी को ही गंगा जल का स्वरूप मानकर स्नान करें। मंत्र - गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।। का जप करते हुए स्नान करें। स्नान के बाद घर के आसपास ही जरूरतमंद लोगों को भोजन, अनाज, जूते-चप्पल, धन, कपड़े का दान कर सकते हैं। माघी पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं पूर्णिमा के नाम से तय होता है हिन्दी महीने का नाम हिन्दी पंचांग में पूर्णिमा तिथि का नाम उस दिन के नक्षत्र पर रखा गया है। पूर्णिमा महीने की अंतिम तिथि मानी जाती है, इस तिथि के नक्षत्र के आधार पर ही महीने का नाम भी तय होता है। जैसे 12 फरवरी को पूर्णिमा पर मघा नक्षत्र रहेगा तो इस तिथि का नाम माघी पूर्णिमा है और इस महीने का नाम माघ मास है।

बुधवार को माघी पूर्णिमा: तीर्थ दर्शन और नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान, जानिए क्या करें और क्या न करें
Kharchaa Pani - माघी पूर्णिमा हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल माघ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान करने और विशेष पूजा अर्चना का महत्व होता है। इस वर्ष यह पर्व बुधवार को पड़ रहा है, लेकिन कई लोगों के लिए तीर्थ दर्शन और नदी स्नान करना संभव नहीं होगा। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं और इस दिन के महत्व के साथ-साथ क्या करें और क्या न करें।
माघी पूर्णिमा का महत्व
माघी पूर्णिमा का मुख्य अर्थ होता है पवित्रता और नए आरंभ का प्रतीक। इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। जो लोग तीर्थ स्थानों पर नहीं जा सकते, वे घर पर ही गंगाजल का उपयोग करके इस महत्वपूर्ण दिन को मान सकते हैं।
स्नान विधि
यदि आप नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, तो निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- एक साफ पानी के बर्तन में गंगाजल मिलाएं।
- प्रतिदिन की तरह अपनी प्रार्थना का पालन करें और मानसिक रूप से शुद्ध रहें।
- गंगाजल से स्नान करते समय ऊँ गंगायै नमः मंत्र का जाप करें।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- इस दिन दान-पुण्य करें, विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करें।
- गंगाजल का सम्मान करें और इसके लिए मन में श्रद्धा रखें।
- शांत मन से ध्यान करें और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करें।
क्या न करें:
- इस दिन किसी भी प्रकार का नकारात्मक विचार न रखें।
- वैष्णवों और ब्राह्मणों का अपमान न करें।
- इस दिन तामसी भोजन से दूर रहें।
निष्कर्ष
माघी पूर्णिमा एक महान अवसर है अपने पुरखों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का। अगर आप तीर्थ पर नहीं जा पा रहे हैं, तो घर पर रहकर भी आप इसका पूरा लाभ ले सकते हैं। गंगाजल का उपयोग कर स्नान करने से न केवल आपको ताजगी का अनुभव होगा, बल्कि आपको मानसिक शांति भी मिलेगी। फिर भी, ध्यान रखें कि इस दिन की विशिष्टता को न भूलें और सत्कर्मों में लिप्त रहें।
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