बिना गलत नीयत नाबालिग के होंठ छूना POCSO अपराध नहीं:गरिमा का हनन और शील भंग का मामला बनेगा; दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि गलत नीयत के बिना नाबालिग के होंठ छूना, दबाना और उसके बगल में सोना प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) के तहत यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। यह हरकत लड़की की गरिमा का हनन और शील भंग मामला माना जाएगा। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने एक फैसले में कहा कि शील भंग करने के इरादे से किसी लड़की पर हमला करने या बल का प्रयोग करने के लिए IPC की धारा 354 के तहत मामला बनता है। अदालत ने 24 फरवरी को यह फैसला सुनाया। अनुचित शारीरिक संपर्क लड़की के आत्मसम्मान के खिलाफ 12 साल की नाबालिग बच्ची के चाचा पर POCSO एक्ट की धारा 10 और IPC की धारा 354 के तहत केस दर्ज हुआ था। हाईकोर्ट ने धारा 354 के तहत आरोप बरकरार रखा, लेकिन POCSO एक्ट में बरी कर दिया। आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। नाबालिग बच्ची को उसकी मां ने बचपन में ही छोड़ दिया था। वह देखभाल केंद्र में रह रही थी। घटना के समय वह अपने परिवार से मिलने आई थी। कोर्ट ने कहा कि परिवार से सुरक्षा और स्नेह पाने की उम्मीद कर रही लड़की के साथ किया गया अनुचित शारीरिक संपर्क उसकी गरिमा और आत्मसम्मान का उल्लंघन करता है। फैसले से जुड़ी अन्य बड़ी बातें... -------------------------------------- कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट बोला- शादी का वादा तोड़ना रेप नहीं, न आत्महत्या के लिए प्रेरित करना सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा कि 16 साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद कोई महिला रेप का आरोप नहीं लगा सकती। सिर्फ शादी करने का वादा तोड़ने से रेप का मामला नहीं बनता, जब तक यह साबित न हो जाए कि शुरुआत से ही शादी की कोई मंशा नहीं थी। पूरी खबर पढ़ें...

बिना गलत नीयत नाबालिग के होंठ छूना POCSO अपराध नहीं: गरिमा का हनन और शील भंग का मामला बनेगा; दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
खर्चा पानी
लेखक: सुमित्रा शर्मा, नेताओंगरी टीम
परिचय
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति नाबालिग के होंठ बिना गलत नीयत से छूता है, तो इसे POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) अधिनियम के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। इस फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया है और राय में विभाजन पैदा कर दिया है।
फैसले का सारांश
जज ने अपने निर्णय में कहा कि यदि कोई व्यक्ति एक बच्ची के होंठ छूता है, लेकिन उसकी मंशा गलत नहीं है, तो यह केवल गरिमा का हनन और शील भंग का मामला बनेगा। इस न्यायिक व्याख्या ने POCSO अधिनियम के प्रावधानों को लेकर कई सवाल उठाए हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि नाबालिगों के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखना आवश्यक है, लेकिन बिना गलत इरादे के किए गए कार्यों को आपराधिक नहीं माना जा सकता।
विशेषज्ञों की राय
कई कानूनी विशेषज्ञों ने अदालत के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इस तरह की व्याख्या नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा में सहायक हो सकती है। लेकिन कुछ लोग इसे गलत संकेत मानते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का शारीरिक संपर्क नाबालिगों के लिए खतरा हो सकता है और इससे दुरुपयोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
समाज में प्रतिक्रियाएं
इस फैसले के बाद से समाज में हलचल मची हुई है। कुछ लोग इसे सही ठहरा रहे हैं जबकि अन्य इसे नाबालिगों के प्रति असंवेदनशीलता मान रहे हैं। अभिभावकों और संरक्षकों ने चिंता व्यक्त की है कि इस प्रकार के निर्णय बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्णय नाबालिगों के मामलों में कानूनी दृष्टिकोण को नई दिशा दे सकता है। हालांकि, यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि नाबालिगों की गरिमा और उनके अधिकारों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। सभी पक्षों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज में बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार के अपराध को गंभीरता से लिया जाए।
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