अमेरिका में जिस युवक से राहुल गांधी मिले,वह घर लौटा:कहा- डंकी रूट पर लाशें मिलती हैं, चल नहीं पाए तो तड़प-तड़प कर मर जाओगे
हरियाणा के जिस युवक से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में मुलाकात की थी, वह घर लौट आया है। अमेरिका दौरे के दौरान राहुल गांधी युवक से मिले थे। इस दौरान उन्होंने उससे वादा किया था कि वह भारत लौटकर उसके परिवार से जरूर मिलेंगे। इसके बाद 20 सितंबर 2024 को राहुल गांधी करनाल के गांव घोघड़ीपुर में युवक के परिवार से मिलने पहुंचे थे। युवक अमित मान का 21 मई 2024 को अमेरिका में काम से लौटते वक्त एक्सीडेंट हो गया था। एक्सीडेंट के 23 दिन बाद अमित होश में आया था। हालांकि उसने 3 महीने बाद अपने घरवालों को एक्सीडेंट की जानकारी दी थी। अमित अपनी तीन बीघा जमीन बेचकर डंकी के रास्ते अमेरिका गया था। वहां वह ट्रक चलाता था। अमित के मुताबिक विदेश में जाने 42 लाख रुपए खर्च हुए। आज भी घर गिरवी पड़ा हुआ है। 29 जनवरी को वह घर लौटा। अमित ने दैनिक भास्कर से बातचीत में डंकी रूट की पूरी सच्चाई बताई। उसने बताया कि डंकी रूट पर लाशें मिलती हैं। अगर चलने में असमर्थ हो गए तो वहीं पर तड़प-तड़प कर मौत हो जाती है। नीचे पढ़ें पूरी बातचीत... 17 अप्रैल 2023 को घर से गया था अमित ने बताया कि डंकी का रास्ता बहुत ही ज्यादा खतरनाक था। मैं 17 अप्रैल 2023 को घर से चला था और 6 जुलाई को अमेरिका की दीवार कूद गया था। चप्पे चप्पे पर दिक्कतें आती हैं, जिस भी देश से गुजरते हैं, वहां पर रास्ते में पुलिस वाले पैसे छीन लेते हैं। जंगल क्रॉस करने पड़ते हैं। जंगलों में न तो कुछ खाने के लिए होता है और न ही कुछ पीने के लिए। अमित ने बताया कि एक तो हम परिवार से दूर होते हैं और दूसरा लाखों रुपए लगते हैं। मेरे 42 लाख रुपए खर्च हुए और आज भी घर गिरवी पड़ा हुआ है। रास्ते में कब कौन मार दे, कुछ नहीं पता अमित ने बताया कि डंकी कहने में आसान है, लेकिन जब घर से निकलते हैं और जंगलों, नदियों और पहाड़ों को पार करते हैं तब पता चलता है कि डंकी होती क्या है। वहां पर कब, कौन, कहां पर किसे मार दे, इसका भी कुछ नहीं पता होता। हालांकि डंकी का रास्ता गलत है, लेकिन क्या करें बेरोजगारी ही इतनी है। डंकी का रास्ता सबसे गंदा उसने बताया कि डंकी का रास्ता सबसे गंदा है। यहां बैठे युवा यह तो देख लेते हैं कि अमेरिका में डॉलर में पैसे आएंगे और बढ़िया लाइफ होगी, लेकिन डंकी से जाते वक्त कितनी कठिनाइयां आती हैं वह तो नहीं देखते। रास्ते में मिलते हैं कंकाल अमित ने बताया कि डंकी की भयानकता इस बात से समझ लीजिए कि जब जंगलों से गुजरते हैं तो रास्ते में इंसानों के कंकाल मिलते हैं। वहां एजेंटों को किसी से कोई सरोकार नहीं है। आप अपने दम पर आगे बढ़ेंगे तो ठीक, अगर आपको कोई चोट भी लग जाती है तो कोई एजेंट साथ नहीं देता। अगर आप चलने में समर्थ नहीं हैं तो आपको वहीं पर छोड़ दिया जाएगा और वहीं पर तड़प-तड़प कर आपकी मौत हो जाएगी। इतनी लाशें देखने को मिलती है जंगलों में, जिसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। ऐसा कोई ही युवक होगा, जिसने यह चीज नहीं देखी होगी। कैसे हुई राहुल गांधी से मुलाकात? अमित ने बताया कि उसके भाई तेजी मान और सोनीपत के एक युवा उपेंद्र मान के जरिए राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी। वहां पर राहुल गांधी ने हाल-चाल पूछा और वादा किया कि वे मेरे घर पर आएंगे और उन्होंने वादा भी निभाया। पूर्व प्रत्याशी इलाज का खर्चा उठा रहे अमित ने बताया कि वह अच्छे तरीके से नहीं चल पाता है और न ही ढंग से दिखाई देता है। राइट साइड में कभी भी दर्द शुरू हो जाता है। राहुल गांधी के निर्देश पर अब घरौंडा से कांग्रेस के पूर्व कैंडिडेट वीरेंद्र सिंह राठौर उसके इलाज का खर्च उठा रहे हैं।

अमेरिका में जिस युवक से राहुल गांधी मिले, वह घर लौटा: कहा- डंकी रूट पर लाशें मिलती हैं, चल नहीं पाए तो तड़प-तड़प कर मर जाओगे
Kharchaa Pani
लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
हाल ही में राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान एक युवक से मुलाक़ात ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इस युवक ने डंकी रूट के खतरों के बारे में कुछ ऐसी बातें साझा की हैं, जो कार्रवाई के लिए मजबूर कर सकती हैं। वह युवक अब अपने घर वापस लौट चुका है, और उसकी बातें हर जगह चर्चा का विषय बन गई हैं।
डंकी रूट की खतरनाक सच्चाई
राहुल गांधी के साथ हुई बातचीत के दौरान, युवक ने बताया कि डंकी रूट पर कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। उसने कहा, "अगर आप इस रास्ते पर चलते हैं और अपनी गति नहीं बना पाते, तो आप तड़प-तड़प कर मर सकते हैं।" इस बयान ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस तरह से इस मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
सामाजिक और राजनीतिक परिपेक्ष्य
डंकी रूट पर जो घटनाएँ हो रही हैं, वे न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि यह प्रवासी श्रमिकों के लिए एक बड़ा खतरा भी बनती जा रही है। प्रवासियों की दुर्दशा को समझने के लिए, यह आवश्यक है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए। राहुल गांधी जैसे नेताओं की भूमिका इस मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू बन गई है।
युवक की वापसी और संदेश
युवक की वापसी के बाद, उसने इस अनुभव को साझा करते हुए कहा, "जब मैं वहां था, तो मैंने महसूस किया कि इस रास्ते पर चलना कितना कठिन है। वहां पर लाशें मिलती हैं, और मानव संवेदनाएँ एकदम पलायन कर जाती हैं।" यह समाज के लिए एक बड़ा संकेत है कि हमें इस समस्या की गंभीरता को समझना होगा।
निष्कर्ष
डंकी रूट पर हो रही घटनाओं ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम मनुष्य के रूप में इतनी संवेदनशीलता खो चुके हैं। हमें इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने और सहायता के हाथ बढ़ाने की आवश्यकता है। राहुल गांधी की इस मुलाकात से यह बात स्पष्ट होती है कि नेताओं को नागरिकों की समस्याओं का समाधान करने में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।
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