पुणे के सोलापुर में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पहली मौत:16 मरीज वेंटिलेटर पर; फिलहाल 101 एक्टिव केस, इनमें 9 साल से कम उम्र के 19 बच्चे
महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पहली मौत की बात सामने आई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र के स्वास्थ विभाग ने रविवार की ये जानकारी दी। ये मौत सोलापुर में हुई। पुणे में GBS के 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। GBS के लक्षण वाले 19 मरीज 9 साल से कम उम्र के हैं। 50-80 साल की उम्र वाले 23 मरीज हैं। पुणे क्लस्टर में 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती मरीज GBS पॉजिटिव आया था, ये पहला केस था। इसके बाद अस्पताल के अन्य मरीजों का टेस्ट लिया गया, जिसमें से कुछ बॉयोलॉजिकल सैंपल में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला। ये बैक्टीरिया GBS के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है और बहुत सीवियर इन्फेक्शन के लिए भी जिम्मेदार है। अब पुणे में 28 नए केस के साथ एक्टिव केस 101 हो गए हैं। GBS एक ऑटोइम्यून कंडीशन है। इसमें हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक कर देता है। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो जाता है। इसके कारण हाथ-पैर अचानक कमजोर पड़ जाते हैं। उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है। पुणे में पानी का सैंपल लिया गया गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के बढ़ते मामलों के बीत रविवार को अधिकारियों ने पुणे में पानी का सैंपल लिया। 25 जनवरी को जारी टेस्ट रिजल्ट के मुताबिक पुणे के मेन वाटर रिजरवॉयर खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में बैक्टीरिया E. कोली का लेवल बहुत हाई है। अधिकारियों के मुताबिक ये साफ नहीं है कि कुएं का यूज जारी है या नहीं। अधिकारियों ने लोगों को सलाह दी है कि उबला हुआ पानी पीएं, ठंडा खाना खाने से बचें। गर्म भोजन ही करें। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक रविवार तक 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। अमूमन महीने भर में GBS के 2 मरीज ही सामने आते थे। अचानक से नंबर बढ़ा है। घरों में सैंपल लिए जा रहे हैं। GBS के फैलने का कारण तलाशा जा रही है। GBS का इलाज बहुत महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का GBS का इलाज महंगा है। इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए (निजी अस्पताल) है। डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक GBS का इलाज बहुत महंगा भी है। मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। डिप्टी CM पवार ने GBS के मुफ्त इलाज की घोषणा की महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजीत पवार ने GBS मरीजों के मुफ्त इलाज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों का इलाज VCM अस्पताल में होगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में होगा। ग्रामीण क्षेत्रों की जनता के लिए पुणे के ससून अस्पताल में फ्री इलाज मिलेगा। ....................................... गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... सेहतनामा- गुइलेन-बैरे सिंड्रोम में चलना, उठना, सांस लेना होता मुश्किल, जानिए ये बीमारी कितनी खतरनाक GBS एक ऑटोइम्यून कंडीशन है। इसमें हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक कर देता है। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो जाता है। इसके कारण हाथ-पैर अचानक कमजोर पड़ जाते हैं। उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है। यह एक रेयर सिंड्रोम है। हर साल पूरी दुनिया में इसके लगभग एक लाख मामले सामने आते हैं। पूरी खबर पढ़ें...

पुणे के सोलापुर में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पहली मौत:16 मरीज वेंटिलेटर पर; फिलहाल 101 एक्टिव केस, इनमें 9 साल से कम उम्र के 19 बच्चे
Kharchaa Pani - इस गंभीर स्थिति ने सोलापुर के स्वास्थ्य ढांचे को चुनौती दी है। यह समाचार एक महत्वपूर्ण चेतावनी के साथ आता है, जहां गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के कारण हुई पहली मौत ने सभी को चौका दिया है। इस आर्टिकल में हम गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, इसके प्रभाव, और वर्तमान स्थिति पर विस्तृत जानकारी देंगे।
क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। इसके लक्षणों में कमजोरी, लकवा, और सांस की समस्या शामिल हो सकते हैं। यह सिंड्रोम मुख्यतः वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद विकसित होता है। सोलापुर में वर्तमान स्थिति ने कई परिवारों को प्रभावित किया है, और आम आदमी में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना अति आवश्यक है।
हालात की गंभीरता
नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, पुणे के सोलापुर में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के अब तक 101 सक्रिय मामले सामने आए हैं। इनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं, और इनमें से कुछ मरीज केवल 9 साल से कम उम्र के हैं। इस सिंड्रोम ने अस्पतालों में बेड की संख्या और चिकित्सीय संसाधनों पर भारी दबाव डाला है, खासकर उन परिवारों के लिए जो इस गंभीर स्थिति से कठिनाई में हैं।
क्या कर रहे हैं डॉक्टर?
डॉक्टर लगातार इस बीमारी के लिए उचित उपचार और देखभाल प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। वे मरीजों की स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और आवश्यकतानुसार चिकित्सा निर्णय ले रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने सभी नागरिकों को सतर्क रहने और हरसंभव सावधानी बरतने की सलाह दी है। वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि लोगों को इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक किया जाए ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से बचा जा सके।
भविष्य की दिशा
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य विभाग को न केवल इस स्थिति से निपटने के लिए रणनीतियाँ विकसित करने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि संक्रमित लोगों के लिए आसान उपचार प्रक्रिया भी तैयार करने की आवश्यकता का आभास कराया है। लोगों को नियमित रूप से स्वास्थ्य चेकअप करवाने और लक्षणों के प्रति जागरूक रहने का सुझाव दिया गया है।
निष्कर्ष
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम की इस गंभीर स्थिति ने सोलापुर के नागरिकों को सचेत कर दिया है और सभी को एकजुट होकर इसको हराने की आवश्यकता है। हमें सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए गए अभियानों का समर्थन करना चाहिए। इस तरह की जानकारी के लिए और अपडेट्स के लिए, kharchaapani.com पर जाएँ।
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