नॉर्थ कोरियाई तानाशाह किम की अमेरिका-जापान को चेतावनी:साउथ कोरिया से इनके सिक्योरिटी अलायंस को खतरा बताया
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अमेरिका, साउथ कोरिया और जापान को एक बार फिर चेतावनी दी है। नॉर्थ कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी KCNA के मुताबिक शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए किम ने इन तीनों देशों के सिक्योरिटी अलायंस को खतरा बताया है। किम ने इस अलायंस की तुलना नाटो से की। किम ने चेतावनी देते हुए अपने परमाणु कार्यक्रमों को और मजबूत करने की बात कही है। शनिवार को कोरियन पीपुल्स आर्मी (KPA) की 77वीं वर्षगांठ के मौके पर दिए भाषण में किम ने कहा कि अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया का सुरक्षा गठबंधन कोरिया प्रायद्वीप में सैन्य असंतुलन पैदा कर रहा है। ये हमारे राज्य की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। बीते सालों में तेजी से बढ़ा है नॉर्थ कोरिया का महत्व एक्सपर्ट्स के मुताबिक बीते कुछ सालों में नॉर्थ कोरिया का महत्व तेजी से बढ़ा है। नॉर्थ कोरिया न्यूक्लियर हथियार और हाइपरसोनिक मिसाइल जैसी टेक्निक पर तेजी से काम कर रहा है। ऐसे में भारत का प्योंगयोग में मौजूद रहना जरूरी है। जापान के हटने के बाद 2 हिस्सों में बंटा था कोरिया कोरिया एक पेनिनसुला है यानी 3 तरफ समुद्र से घिरा और एक तरफ मेनलैंड से जुड़ा टापू। यहां 1904 तक कोरियाई साम्राज्य का शासन था। इस पर कब्जे के लिए 1904-05 में जापान और चीन के बीच भीषण युद्ध हुआ। जापान ने जीत दर्ज की और कोरिया पर कब्जा जमा लिया। 1945 में सेकेंड वर्ल्ड वॉर में हार के बाद जापान को कोरिया छोड़ना पड़ा। जापान के हटते ही कोरिया को दो हिस्सों में बांट दिया गया। 38 पैरलल लाइन को बंटवारे की लकीर मान लिया गया। उत्तरी हिस्से में सोवियत सेना और दक्षिणी हिस्से में संयुक्त राष्ट्र की सेना लगाई गई। नॉर्थ कोरिया में कोरियाई कम्युनिस्टों के नेतृत्व में कोरियाई लोक जनवादी गणराज्य की सरकार बनी। साउथ में लोकतांत्रिक तरीके से नेता सिंगमन री के नेतृत्व में सरकार बनी। नॉर्थ का झुकाव कम्युनिस्ट विचारधारा की तरफ था, जबकि साउथ पूंजीवादी देशों की तरफ झुकाव वाला था। यहीं से विवाद शुरू हुआ। नॉर्थ कोरिया ने 25 जून 1950 को 38 पैरलल लाइन पार कर साउथ कोरिया पर हमला कर दिया। 3 साल तक चली जंग के बाद नॉर्थ और साउथ कोरिया ने 1953 में युद्धविराम पर साइन किए। एक बार फिर से सीमा वही 38 पैरलल तय हुई जो जंग से पहले थी। नॉर्थ-साउथ कोरिया की सीमा पर सबसे ज्यादा हथियारों की तैनाती नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच DMZ दुनिया की सबसे ज्यादा हथियारों की तैनाती वाली सीमा है। आंकड़ों के मुताबिक, सीमा के अंदर और आसपास 20 लाख माइन्स बिछाई गई हैं। इसके अलावा बॉर्डर के दोनों तरफ कंटीले तारों की बाड़, टैंकों का जाल और लड़ाकू सैनिक भी तैनात रहते हैं। कोरियाई जंग को खत्म करने के लिए हुए समझौते के तहत यह सीमा बनाई गई थी। -----------------------------

नॉर्थ कोरियाई तानाशाह किम की अमेरिका-जापान को चेतावनी: साउथ कोरिया से इनके सिक्योरिटी अलायंस को खतरा बताया
लेखिका: सुषमा वर्मा, टीम नेतानागरी
Kharchaa Pani
परिचय
हाल ही में, नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन ने अमेरिका और जापान को चेतावनी दी है कि उनके सुरक्षा गठबंधन का दक्षिण कोरिया के साथ कोई प्रभाव नहीं होगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और जापान ने दक्षिण कोरिया के साथ अपने सैन्य संबंधों को मजबूती दी है। इस लेख में हम इस गंभीर विषय की गहराइयों में जाएंगे, और देखेंगे कि इसे किस तरह से अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर असर डाल सकता है।
किम जोंग-उन का बयान
किम ने अपने हालिया बयान में कहा है कि अमेरिका और जापान के द्वारा दक्षिण कोरिया के साथ बढ़ते सुरक्षा संबंध एक 'खतरा' उत्पन्न कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "दक्षिण कोरिया को समझ लेना चाहिए कि यह गठबंधन उनके लिए शुभ नहीं होगा।" किम का यह बयान इलाके में तनाव को बढ़ा सकता है, खासकर जब अमेरिका और जापान ने तेजी से अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।
सुरक्षा स्थिति का विश्लेषण
अमेरिका और जापान का सुरक्षा सहयोग नई पहलों और संधियों के साथ गहराता जा रहा है। यह गठबंधन मुख्य रूप से उत्तर कोरियाई आणविक खतरे के खिलाफ है। अमेरिका ने अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाने के साथ-साथ दक्षिण कोरिया में संयुक्त अभ्यासों की संख्या को भी बढ़ाया है। वहीं, जापान ने उनके सुरक्षा कानूनों को लैस करने में कदम उठाए हैं, जिससे वह अपनी रक्षा क्षमता को और मजबूत बनाना चाहता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
किम के बयान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई हैं। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि किम का बयान उत्तर कोरिया के बढ़ते तनाव को दर्शाता है। विश्व समुदाय ने कहा है कि किम का यह बयान उनके विस्तारवादी नीतियों को दिखाता है, और यह क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए खतरा है।
निष्कर्ष
इस बयान के माध्यम से यह स्पष्ट है कि उत्तर कोरिया अपनी सैन्य ताकत और राजनीतिक स्थिति को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। सुरक्षा गठबंधनों के बढ़ते हुए प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच, किम जोंग-उन का यह बयान एक चुनौती पैदा कर रहा है। अगले चरण में, पूरी दुनिया को इस स्थिति पर गहराई से नजर रखने की आवश्यकता होगी।
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Keywords
North Korea, Kim Jong-un, South Korea, US Japan security alliance, international politics, nuclear threat, military cooperation, global response, peace and stabilityWhat's Your Reaction?






