दिल्ली विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल थोड़ी देर में:सट्टा बाजार का अनुमान- AAP की 22 सीटें घटेंगी, लेकिन सरकार बनाएगी
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर बुधवार शाम 5 बजे तक 57.70% वोटिंग हो चुकी है। मतदान का वक्त 6 बजे खत्म हो चुका है, लेकिन लाइन में लगे लोगों के वोट पड़ रहे हैं। चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित होंगे, लेकिन उससे पहले आज थोड़ी देर में एग्जिट पोल आएंगे। सट्टा बाजार के अनुमान के मुताबिक दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) की सीटें पिछले बार के मुकाबले घट सकती हैं, हालांकि सरकार केजरीवाल ही बनाएंगे। राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार ने AAP के 38-40, भाजपा के 30-32 और कांग्रेस के 0-1 सीट जीतने का अनुमान जताया है। सरकार बनाने के लिए 36 सीटों की जरूरत है। दिल्ली में 2015 से लगातार AAP की सरकार है। शराब घोटाले के आरोप के बाद करीब 9 साल 7 महीने CM रहे अरविंद केजरीवाल ने पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद आतिशी CM बनीं। पिछले 3 विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल कितना सही रहा... एग्जिट पोल क्या होता है चुनाव के दौरान जनता का मूड जानने के लिए दो तरह के सर्वे किए जाते हैं। वोटिंग से पहले के सर्वे को ओपिनियन पोल कहते हैं। जबकि वोटिंग के दौरान होने वाले सर्वे को एग्जिट पोल कहा जाता है। आम तौर पर एग्जिट पोल के नतीजे आखिरी फेज की वोटिंग खत्म होने के एक घंटे बाद जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों के वॉलेंटियर वोटिंग के दिन वोटिंग बूथ पर मौजूद होते हैं। ये वॉलेंटियर वोट देकर लौट रहे लोगों से चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं। वोटर्स के जवाब के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है जिससे पता चले कि वोटर्स का रुझान किस तरफ ज्यादा है। इसी आधार पर चुनाव के नतीजों का अनुमान लगाया जाता है। लोकसभा चुनाव के समीकरण विधानसभा चुनाव में बदले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 सीटों पर AAP और कांग्रेस ने INDIA ब्लॉक में साथ रहते हुए लड़ा था। इसके तहत AAP ने 4 और कांग्रेस ने 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सभी सात सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। इन सभी सीटों पर भाजपा को कुल 54.7% जबकि INDIA ब्लॉक को 43.3% वोट मिला था। सभी सीटों पर जीत-हार का मार्जिन औसतन 1.35 लाख रहा था। अगर लोकसभा के नतीजों को विधानसभावार देखें तो भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा 52 विधानसभा सीटें जीत रही है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सातों सीटें जीतीं और 65 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी, लेकिन 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में AAP ने 62 सीटें जीतने में कामयाब रही। वहीं, भाजपा को सिर्फ 8 सीटें मिली थीं। इसी तरह 2014 की प्रचंड मोदी लहर में भाजपा सातों लोकसभा 7 सीटें जीतकर 60 विधानसभा सीटों पर आगे रही थी। लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP ने 67 सीटें जीतीं और भाजपा 3 सीटों पर सिमट गई। विधानसभा चुनाव में करीब 18% स्विंग वोटर्स के किंगमेकर साबित होते हैं। दिल्ली चुनाव लोकसभा के करीब 9 महीने बाद होते हैं। इतने कम वक्त में ही वोटिंग ट्रेंड में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। पिछले तीन विधानसभा और लोकसभा चुनावों का विश्लेषण करें तो स्विंग वोटर्स ही दिल्ली की सत्ता तय करते रहे हैं। AAP के अलावा किसी पार्टी का CM फेस घोषित नहीं दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अलावा किसी भी पार्टी ने CM फेस घोषित नहीं किया है। AAP सत्ता में लौटी तो अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री बनना तय है। जबकि, भाजपा और कांग्रेस की ओर से तीन-तीन नाम चर्चा में हैं। हालांकि, कांग्रेस सरकार बनाती नहीं दिख रही है। भाजपा हमेशा मुख्यमंत्री को लेकर चौंकाती रही है, फिर भी आम लोगों के बीच प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और दुष्यंत गौतम के नाम की चर्चा है। वहीं, कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव, पूर्व CM शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार हो सकते हैं। दिल्ली को मिल सकता है SC मुख्यमंत्री भाजपा की ओर से CM पद के लिए चर्चा में पहला नाम प्रवेश जाट समुदाय से आते हैं। दिल्ली के 364 में से 225 गांवों में जाटों की आबादी सबसे ज्यादा है। दिल्ली की करीब 50 सीटों पर ये असर डालते हैं, जबकि 20 सीटों पर हार-जीत का फैसला करते हैं। ऐसे में हरियाणा और पश्चिमी यूपी समेत अन्य राज्यों के जाटों साधने के लिए प्रवेश को मौका मिल सकता है। दूसरा नाम रमेश बिधूड़ी का है। वे गुर्जर समुदाय से आते हैं। जाट के बाद गुर्जर समुदाय की आबादी दिल्ली में सबसे ज्यादा है। गुर्जर दिल्ली की 9 सीटों पर असर डालते हैं। इनके अलावा तीसरा नाम दुष्यंत गौतम का है। वे SC समुदाय से आते हैं। देश में इस समय एक भी दलित मुख्यमंत्री नहीं है। ऐसे में भाजपा की सरकार बनने पर दुष्यंत गौतम को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। पार्टी के संकल्प पत्र (मैनिफेस्टो) का तीसरा पार्ट जारी करते समय अमित शाह ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को दलित CM देने का वादा किया था। 2 बार सरकार बनी। जेल गए, तब मौका था, फिर भी दलित CM नहीं बनाया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल थोड़ी देर में: सट्टा बाजार का अनुमान- AAP की 22 सीटें घटेंगी, लेकिन सरकार बनाएगी
Kharchaa Pani - इस चुनावी सीजन में दिल्ली की राजनीति में हलचल मची हुई है। सट्टा बाजार में मिली जानकारी के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन, यही सट्टा बाजार का अनुमान है कि AAP फिर भी सरकार बनाएगी। यह खबर चुनाव परिणामों के लिए उत्सुक सभी दिल्लीवासियों में चर्चा का विषय बनी हुई है। लेख **टीम नेतागिरी** द्वारा लिखा गया है।
दिल्ली की चुनावी तैयारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2023 में दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद की जा रही है। AAP ने पिछले चुनावों में जबरदस्त बहुमत पाया था, लेकिन इस बार के चुनाव में उसे 22 सीटों का नुकसान हो सकता है। इससे पहले के सर्वेक्षणों के आधार पर, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कुल 70 में से AAP को 38 से 42 सीटें मिल सकती हैं।
सट्टा बाजार का अनुमान
सट्टा बाजार, जो राजनीतिक रंजिशों और चुनावों में दांव लगाने का मंच है, ने AAP की सीटों में कमी का संकेत दिया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के वोट बैक में बदलाव ने AAP के लिए चुनौती पैदा की है। सट्टा बाजार के अनुसार, चुनाव की स्थिति को देखते हुए AAP सरकार बनाने में सफल रहेगी, लेकिन अब उसे पहले से कम सीटें मिलेंगी।
राजनीतिक हलचल का असर
दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में यह बदलाव जरूरी है। सट्टा बाजार के आंकड़े उम्मीद जताते हैं कि आम आदमी पार्टी की सीटों में कमी आने से विपक्षी दलों को मजबूती मिलेगी। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या AAP के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समर्थन होगा या नहीं।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल और सट्टा बाजार के अनुमान ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अगर AAP सरकार बनाने में सफल रहती है, तो यह उनकी राजनीतिक रणनीति की जीत होगी। हालांकि, अगर स्थिति में बदलाव आया, तो दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होगा। मतदान के बाद के परिणाम ही यह स्पष्ट करेंगे कि कौन सी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगी।
अंत में, सभी दिल्लीवासियों को अपने अधिकार को समझते हुए मतदान अवश्य करना चाहिए। चुनाव के नतीजे ही हमें सही दिशा बताएंगे कि किस पार्टी के दावे सही साबित होते हैं।
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