गाजा के 2000 बीमार बच्चों को रखेगा जॉर्डन:फिलिस्तानियों को देश में बसाने से इनकार किया; ट्रम्प ने मदद रोकने की धमकी दी थी
अमेरिका दौरे पर गए जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने गाजा के 2000 बीमार बच्चों देश में रखने की बात कही है। मंगलवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बातचीत में उन्होंने इसका ऐलान किया। अब्दुल्ला ने कहा कि इनमें से कई बच्चे कैंसर से पीड़ित हैं या गंभीर हालत में हैं, उन्हें जितना जल्दी हो सकेगा जॉर्डन ट्रांसफर किया जाएगा। इस फैसले पर ट्रम्प ने खुशी जताई। दरअसल ट्रम्प गाजा से फिलिस्तीनियों को विस्थापित कर मिस्र और जॉर्डन में बसाना चाहते हैं। ट्रम्प ने ऐसा न करने पर दोनों देशों को मिलने वाली अमेरिकी मदद रोकने की धमकी दी थी। हालांकि किंग अब्दुल्ला ने X पर पोस्ट कर फिलिस्तीनियों को जॉर्डन में बसाने का विरोध करते हुए इनकार किया। गाजा में रिसोर्ट सिटी बनाना चाहते हैं ट्रम्प डोनाल्ड ट्रम्प गाजा से फिलिस्तीनियों को विस्थापित कर उस पर अमेरिका का कब्जा चाहते हैं। ट्रम्प यहां रिसोर्ट सिटी बनाना चाहते हैं। ट्रम्प ने 6 फरवरी को सोशल मीडिया पर किए एक पोस्ट में बताया कि, अमेरिका, गाजा में विकास करेगा और यहां शानदार घर बनाएगा। ट्रम्प ने कहा कि फिलिस्तीनियों को गाजा को फिर से बसाने के बजाय, किसी नई जगह पर बसाना बेहतर होगा। ट्रम्प के इस प्लान का इजराइल ने भी समर्थन किया है। इजराइली रक्षा मंत्री काट्ज ने सेना को इससे जुड़ा प्लान तैयार करने के आदेश भी दिए। काट्ज के मुताबिक जो फिलिस्तीनी खुद ही गाजा छोड़ना चाहते हैं, इजराइली सेना उनकी मदद करेगी। इजराइल के PM नेतन्याहू पहले ही ट्रम्प के इस प्लान को इतिहास बदलने वाला बता चुके हैं। हमास ने ट्रम्प के प्लान को खारिज किया इजराइल के खिलाफ जंग में शामिल हमास ट्रम्प के प्लान को खारिज कर चुका है। हमास ने अपने बयान में कहा कि "हमारे लोगों ने बिना अपनी जमीन छोड़े 15 महीने तक मौत और तबाही को सहन किया। हम किसी भी तरह के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे।" गाजा में 15 महीने से इजराइल और हमास के बीच की लड़ाई से 23 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा। जबकि लगभग 60% इमारतें तबाह हो गई हैं। इन्हें फिर से बनाने में कई दशक लग सकते हैं। जॉर्डन में पहले ही 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक जॉर्डन में 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी शरणार्थी रहते हैं। इनमें से ज्यादातर को जॉर्डन की परमानेंट नागरिकता दे दी गई है। वहीं, 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से हजारों फिलिस्तीनी मिस्र भाग गए हैं, लेकिन उन्हें वहां शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में तत्कालीन विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने गाजा से फिलिस्तीनियों को बलपूर्वक विस्थापित करने का विरोध किया था। ब्लिंकन ने फिलिस्तीनियों पर गाजा छोड़ने के लिए दबाव नहीं डालने की बात कही थी। --------------------- इजराइल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... नेतन्याहू की चेतावनी- हमास शनिवार तक बंधकों को रिहा करे:नहीं तो सीजफायर खत्म और जंग शुरू होगी; सैनिकों को तैयार रहने का आदेश इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार को कहा कि अगर हमास शनिवार दोपहर तक हमारे बंधकों को रिहा नहीं करता है तो सीजफायर खत्म हो जाएगा। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक नेतन्याहू ने अपनी सुरक्षा कैबिनेट के साथ 4 घंटे मीटिंग के बाद यह बयान दिया। पूरी खबर यहां पढ़ें...

गाजा के 2000 बीमार बच्चों को रखेगा जॉर्डन:फिलिस्तानियों को देश में बसाने से इनकार किया; ट्रम्प ने मदद रोकने की धमकी दी थी
Kharchaa Pani द्वारा - टीम नेतानागरी
गाजा के लगातार बढ़ते संकट में, जॉर्डन ने 2000 बीमार फिलिस्तीनी बच्चों को अपने यहाँ रखने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस कदम से विशेष रूप से उन बच्चों को फायदा होगा, जिनका इलाज गाजा में संभव नहीं था। इसके बावजूद, जॉर्डन ने फिलिस्तीनियों को अपने देश में बसाने से मजबूती से इनकार किया है, जिससे एक नया राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है।
जॉर्डन का साफ संकेत
जॉर्डन के अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे केवल गाजा के बच्चों की चिकित्सा सहायता के लिए ही कदम उठा रहे हैं, और देश में फिलिस्तीनियों की स्थायी बसावट पर बातचीत नहीं की जाएगी। यह फैसला उस समय में आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जॉर्डन को चेतावनी दी थी कि अगर वे फिलिस्तीनी शरणार्थियों को स्वीकार करते हैं तो सहायता रुक सकती है। ट्रम्प की यह धमकी जॉर्डन सरकार के लिए महत्वपूर्ण दी गई है, जिसने इसकी गंभीरता को समझते हुए जल्दबाजी में यह निर्णय लिया है।
बच्चों का भविष्य
गाजा के ये 2000 बच्चे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनके लिए विशेषज्ञ चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। जॉर्डन में उनकी चिकित्सा देखभाल से न केवल उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि ये बच्चे बेहतर जीवन की ओर बढ़ेंगे। जॉर्डन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि सभी आवश्यक उपाय किए जाएंगे ताकि बच्चों को उचित चिकित्सीय सहायता मिल सके।
राजनीतिक संदर्भ
इस निर्णय का गहरा राजनीतिक संदर्भ है। जॉर्डन में फिलिस्तीनी आबादी के मामले में बहुत ज्यादा जटिलताएं हैं। जब से ट्रम्प ने अमेरिका में फिलिस्तीनी मामलों पर सख्त नीतियों को अपनाया है, जॉर्डन को भी इसके नकारात्मक परिणाम भोगने पड़ रहे हैं। इस हालात में जॉर्डन की सरकार को यह संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो रही है कि वे मानवता की दृष्टि से बच्चों की सहायता करें या अपने देश में स्थायी शरणार्थी समस्या का सामना करें।
निष्कर्ष
जॉर्डन का यह कदम न केवल गाजा के बच्चों के लिए चिकित्सा सहायता का एक मौका है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश भी है। यह दर्शाता है कि मानवता के नाम पर कुछ भी किया जा सकता है, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी प्रकार की शरणार्थी नीति पर विचार नहीं किया जाएगा। जॉर्डन के निर्णय ने इस क्षेत्र में आसन्न संकट को और गहरा कर दिया है, और आने वाले समय में इसकी व्यापक राजनीतिक प्रभाव पड़ सकते हैं।
जॉर्डन के प्रति अमेरिका की नीति के परिवर्तन से जॉर्डन पर बढ़ रहा दबाव स्पष्ट है। ऐसे में, चिकित्सा सहायता केवल उन बच्चों के लिए नहीं, बल्कि फिलिस्तीनी लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद बन सकती है।
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