एमपी में पराली से बायो CNG बनाएंगे अंबानी:5 प्लांट इसी साल शुरू होंगे, धान-सोयाबीन वेस्ट और गोबर खरीदेंगे, सरकारी पॉलिसी भी फायदेमंद
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर बायो सीएनजी प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है। मध्यप्रदेश में 10 कंप्रेस्ड बॉयो गैस ( सीबीजी) प्लांट बन रहे हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सतना और बालाघाट में 5 प्लांट का निर्माण तेजी से चल रहा है। दिसंबर 2025 से मार्च 2026 के बीच यहां ऑपरेशन शुरू हो जाएगा। एक प्लांट में 120 से 150 लोगों को नौकरी मिलेगी। दरअसल, मोहन सरकार ने 19 फरवरी को बॉयो फ्यूल पॉलिसी–2025 को मंजूरी दी है। बॉयो फ्यूल यूनिट लगाने पर सरकार की तरफ से कई तरह की रियायतें देने का ऐलान हुआ है। इसी के बाद से रिलायंस ने एमपी में नए प्लांट्स के विस्तार की तैयारियां शुरू कर दी है। अगले 5 साल में रिलायंस एमपी में बॉयो फ्यूल में बड़े इन्वेस्टमेंट की तैयारी कर रहा है। 24 और 25 फरवरी को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में रिलायंस की ओर से इस सेक्टर में बड़े निवेश का ऐलान हो सकता है। सबसे पहले जानिए बायो-सीएनजी क्या है, कैसे बनती है? कच्चे माल के लिए पराली-नेपियर घास का इस्तेमाल रिलायंस इन प्लांट्स के लिए कच्चे माल के तौर पर धान की पराली, सोयाबीन वेस्ट, नेपियर ग्रास, इंडस्ट्री वेस्ट और शहरों से निकलने वाले सॉलिड वेस्ट के साथ गोबर का भी इस्तेमाल करेगा। प्लांट के आसपास की बंजर जमीन पर नेपियर घास उगाई जाएगी। इसका भी बायो मास के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। वर्तमान में बन रहे फ्यूल प्लांट की क्षमता रोजाना 20 टन सीएनजी प्रोडक्शन की है। इसके लिए 7 से 10 गुना मटेरियल की जरूरत होगी। गैस बनने के बाद बचा हुआ मटेरियल फरमेंटेशन आर्गेनिक मैन्योर यानी जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल हो सकेगा। ऐसा दावा है कि इससे बंजर जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। एजीएम में मुकेश अंबानी ने की थी घोषणा अंबानी ने अगस्त 2024 की रिलायंस की एजीएम में कहा था कि भारत लगभग 230 मिलियन टन नॉन कैटल फीड बायोमास का उत्पादन करता है। इसका अधिकांश हिस्सा जलाया जाता है। ये वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है। रिलायंस ने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में पहला वाणिज्यिक पैमाने का सीबीजी संयंत्र चालू कर दिया है। अगस्त 2024 में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एनुअल मीटिंग में मुकेश अंबानी ने 100 सीबीजी संयंत्र (CBG Plant) स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी। इसमें 10 पर मध्यप्रदेश में काम तुरंत शुरू हो गया था। अब बदली हुई रणनीति में रिलायंस ने एमपी पर फोकस बढ़ा दिया है। एमपी में 35 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट, 34 हजार नौकरियां दी रिलायंस इंडस्ट्रीज का दावा है कि बीते 10 सालों में कंपनी ने मध्यप्रदेश में 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है। 16500 लोग सीधे तौर पर कंपनी के एम्पलाई हैं। जबकि 18 हजार से ज्यादा लोग अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी से रोजगार हासिल कर रहे हैं। बायो सीएनजी का कहां इस्तेमाल होता है बायो-सीएनजी या सीबीजी का इस्तेमाल सीएनजी से चलने वाले वाहन, रसोई के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है। साथ ही इसका इस्तेमाल सीमेंट और स्टील उद्योगों में और गैस से चलने वाले बिजली जनरेटरों, इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन में भी किया जा सकता है। रिसर्च बताती है कि सीबीजी के प्लांट, बढ़ती ऊर्जा जरूरतें, कचरे का निपटान और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने में समक्ष हो सकते हैं। रिलायंस की एमपी पर सबसे ज्यादा फोकस की 2 वजह 1. एमपी में 75 दिन में पराली जलाने की 16360 घटनाएं रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अगस्त 2024 की एनुअल मीटिंग में 100 सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) संयंत्र लगाने की घोषणा की थी। इसके कुछ दिन बाद इनकी संख्या बढ़ाकर 106 कर दी गई। इसमें 50 प्लांट के लिए अगले महीने टेंडर हो गए थे। इसके बाद अक्टूबर–नवंबर में मध्यप्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं सामने आई। इससे इंडस्ट्री को मध्यप्रदेश में ज्यादा संभावनाएं नजर आने लगीं। डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच धान की पराली में जलाने की सबसे ज्यादा 16,360 घटनाएं मध्य प्रदेश में दर्ज की गई हैं। छह राज्यों में 37,602 पराली की घटनाओं में 44 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले मध्य प्रदेश की है। जबकि पराली जलाने के लिए बदनाम रहे पंजाब में 2024 में आग की कुल 10,909 घटनाएं दर्ज की गईं। 2024 में सबसे अधिक आग वाले 10 जिलों में 6 जिले मध्य प्रदेश के हैं। पहले स्थान पर मध्य प्रदेश का श्योपुर जिला है, जहां कुल 2,508 आग की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं। श्योपुर के अलावा होशंगाबाद, दतिया, गुना, अशोकनगर, रायसेन और जबलपुर में सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई हैं। 2. प्लांट की सड़क, पाइपलाइन, बिजली का आधा खर्च सरकार उठाएगी मोहन सरकार ने 19 फरवरी को बायो फ्यूल योजना को मंजूरी दी है। इसमें इंडस्ट्री को प्रोत्साहन राशि के अलावा कई तरह की सुविधाएं ऑफर की गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि योजना के तहत बॉयो फ्यूल यूनिट को 200 करोड़ रुपए तक का बुनियादी निवेश प्रोत्साहन (बीआईपीए) उपलब्ध कराया जाएगा। प्लांट तक बिजली, पानी, गैस पाइप लाइन, सड़क, जल निकासी, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (ईटीपी, एसटीपी, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण) बनाने के लिए 50% राशि भी दी जाएगी। ये अधिकतम 5 करोड़ रुपए तक होगी। विद्युत शुल्क एवं ऊर्जा विकास उपकर में 10 साल तक की छूट दी जाएगी। इसके अलावा औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग द्वारा 500 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर अनुकूलित पैकेज भी उपलब्ध कराया जाएगा।

एमपी में पराली से बायो CNG बनाएंगे अंबानी: 5 प्लांट इसी साल शुरू होंगे
Kharchaa Pani
लेखक: सृष्टि सिंह, टीम नेटानागरी
परिचय
भारत में बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता और कृषि अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या को हल करने के लिए अंबानी का नवीनतम कदम एक महत्वपूर्ण समाधान बन सकता है। अंबानी ग्रुप ने मध्य प्रदेश में पराली, धान, सोयाबीन वेस्ट, और गोबर के माध्यम से बायो सीएनजी उत्पादन की योजना बनाई है। इस संबंध में पांच प्लांट इस साल शुरू होंगे, जो क्षेत्रीय किसानों के लिए नई संभावनाएं खोलेंगे और पर्यावरण संरक्षण में सहायता करेंगे।
बायो सीएनजी का महत्व
बायो सीएनजी, जो खेती के अपशिष्ट से बनाई जाती है, पारंपरिक फॉसिल ईंधनों का एक हरा विकल्प है। यह पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद होती है और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायक है। इस तरह के ऊर्जा उत्पादन से ना केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि किसानों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा जो अपने अपशिष्ट का उपयोग कर सकते हैं। इसके जरिए अंबानी ग्रुप खेती और ऊर्जा के द्विध्रुवीय लाभ का रुख कर रहा है।
सरकारी पॉलिसी का योगदान
केंद्र सरकार की न्यू बायोफ्यूल पॉलिसी और अन्य प्रोत्साहनों के तहत, इस तरह के प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। सरकार ने बायो सीएनजी उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी व्यवस्था की है। ऐसे में अंबानी का यह प्रॉजेक्ट न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा, बल्कि प्रदूषण की समस्या को भी सुलझाने में मदद करेगा।
किसानों के लिए नए अवसर
इस प्रोजेक्ट से मध्य प्रदेश के किसानों को सीधे फायदे होंगे। अंबानी ग्रुप किसानों से धान, सोयाबीन वेस्ट और गोबर खरीदने की योजना बना रहा है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि वे अपने कृषि अपशिष्ट से धन कमाने में सक्षम होंगे। यह पहल सीधे तौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी।
निष्कर्ष
अंबानी का बायो सीएनजी प्लांट एमपी में एक नई ऊर्जा क्रांति की शुरुआत हो सकता है। यह न केवल कृषि अपशिष्ट का सही उपयोग करेगा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन को भी मजबूत करेगा। साथ ही, यह किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे यह योजना धरातल पर लागू होती है और कटौती वाले तबके के लिए लाभ लाती है।
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