उमर अब्दुल्ला बोले- भाजपा से गठबंधन का सवाल ही नहीं:हमारा नजरिया बिल्कुल अलग; भाजपा विधायक ने गठबंधन की संभावना जताई थी
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के बीच गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया। उन्होंने कहा- भाजपा के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता। मारी राजनीतिक विचारधारा और प्राथमिकताएं बिल्कुल अलग हैं, विशेषकर जम्मू-कश्मीर को लेकर। साझेदारी की न कोई संभावना है और न ही जरूरत। विधानसभा के बजट सत्र में शामिल होने के लिए पहुंचे अब्दुल्ला ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। दरअसल भाजपा विधायक आरएस पठानिया ने जम्मू-कश्मीर गठबंधन के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि हम जम्मू-कश्मीर के हितों और विकास के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं। भविष्य में समय सब बताएगा। गठबंधन के बावजूद कांग्रेस सरकार में नहीं 90 सीटों की विधानसभा में NC के 42 और कांग्रेस के 6 विधायक हैं। हालांकि कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं हैं। चुनाव के नतीजे आने के बाद चार निर्दलीय विधायकों ने NC को समर्थन का ऐलान किया था। इसके बाद उमर ने कहा था कि अब हमारी संख्या 46 हो गई है। इसके बाद कांग्रेस ने सरकार में शामिल न होकर बाहर से समर्थन देने का फैसला किया था। उमर ने कहा था- INDIA ब्लॉक को खत्म कर देना चाहिए करीब दो महीने पहले उमर अब्दुल्ला ने इंडिया अलायंस खत्म करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद इसकी कोई बैठक नहीं हुई। गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था तो इसे खत्म कर देना चाहिए। इसके पास न कोई एजेंडा है और न ही कोई लीडरशिप। हालांकि उनके पिता और NC के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि हम भाजपा के साथ नहीं हैं और न ही हमारा उनसे कोई संबंध है। I.N.D.I.A गठबंधन स्थायी है। यह हर दिन और हर पल के लिए है। I.N.D.I.A गठबंधन की आखिरी बैठक 1 जून 2024 को हुई थी। 4 राज्यसभा सीटों पर होने हैं चुनाव जम्मू-कश्मीर की 4 राज्यसभा सीटों पर जल्द ही चुनाव होने हैं। चुनाव में जीती सीटों के हिसाब से दो राज्यसभा सीटें NC-कांग्रेस गठबंधन और एक बीजेपी के खाते में जा सकती हैं। NC अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को राज्यसभा भेजा जा सकता है। खराब सेहत के चलते उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। बची हुई एक सीट पर चुनाव हो सकते हैं। चुनाव में यह सीट किसके हिस्से जाएगी, ये उस समय के राजनीतिक समीकरण ही तय करेंगे। ठीक यही स्थिति 2015 में भी बनी थी। तब सत्तारूढ़ PDP-भाजपा को एक-एक सीट मिली थी। NC ने तब कांग्रेस प्रत्याशी (अब डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नेता) गुलाम नबी आजाद को समर्थन दिया था। चौथी सीट चुनाव के बाद PDP-भाजपा गठबंधन के खाते में आई थी।

उमर अब्दुल्ला बोले- भाजपा से गठबंधन का सवाल ही नहीं: हमारा नजरिया बिल्कुल अलग; भाजपा विधायक ने गठबंधन की संभावना जताई थी
Kharchaa Pani
लेखक: साक्षी शर्मा, नेत्राणागरी टीम
परिचय
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का दृष्टिकोण भाजपा के दृष्टिकोण से पूरी तरह से अलग है। यह बयान भाजपा विधायक की ओर से गठबंधन की संभावनाओं के बारे में दिए गए बयान के बाद आया है। आइए जानते हैं उमर अब्दुल्ला के इस बयान का क्या अर्थ और प्रभाव हो सकता है।
गठबंधन की संभावना पर उमर का स्पष्ट बयान
उमर अब्दुल्ला ने कहा, "भाजपा के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं है। हमारा नजरिया और पार्टी का सिद्धांत पूरी तरह से भिन्न हैं।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी ने हमेशा से उच्च नैतिकता और लोगों की भलाई के लिए काम किया है। अब्दुल्ला ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति विभिन्न राजनीतिक मूल्यों को साझा नहीं करता है, तो उसके साथ गठबंधन करना संभव नहीं है।
भाजपा विधायक की टिप्पणियाँ
इससे पहले, भाजपा विधायक ने गठबंधन की संभावनाओं पर विचार करते हुए कहा था कि यह समय की आवश्यकता हो सकती है। भाजपा ने पहले भी अपनी राजनीतिक रणनीतियों के तहत कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है, लेकिन अब्दुल्ला के इस स्पष्ट इनकार से यह संकेत मिलता है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
यूक्रेन संकट के अलावा, जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक परिदृश्य भी आजकल काफी बदल रहा है। यहां पर कभी-कभी अस्थिरता और कभी-कभी स्थिरता देखने को मिलती है। भाजपा और राष्ट्रीय कांफ्रेंस के बीच संबंधों के इन उतार-चढ़ावों ने जनता के बीच अनेक प्रश्न खड़े कर दिए हैं। अब्दुल्ला के बयान से ऐसा महसूस होता है कि उनके नेतृत्व में उनकी पार्टी भाजपा के साथ किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं है।
निष्कर्ष
उमर अब्दुल्ला का बयान जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह स्पष्ट है कि वह भाजपा के साथ किसी भी गठबंधन के लिए तैयार नहीं हैं, जो उनके राजनीतिक सिद्धांतों के खिलाफ है। आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की राजनीति में इन बयानों के प्रभाव को देखा जाएगा।
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