उज्जैन में शंख बजाकर होगा नववर्ष का शुभारंभ:1 अरब 96 करोड़ साल पहले बनी थी सृष्टि, अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे विक्रम संवत
गुड़ी पड़वा पर्व को हिंदुओं का नव वर्ष माना जाता है। मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इसे हिंदुओं के नव वर्ष की तरह मनाते हैं। उज्जैन में चैत्र प्रतिपदा से विक्रम संवत (वर्ष) की शुरुआत हुई। आज भी भी इसे गुड़ी पड़वा पर्व पर शिप्रा नदी के रामघाट पर आतिशबाजी और रंगारंग कार्यक्रम कर विक्रमोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू नववर्ष के कैलेंडर की शुरुआत उज्जैन शहर से हुई। इस कैलेंडर को विक्रम संवत या पंचांग भी कहा जाता है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत (वर्ष ) की शुरुआत की थी, तभी से इस कैलेंडर के अनुसार हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है। कई देशों में प्रचलित विक्रम संवत गुड़ी पड़ाव का संबंध सृष्टि के आरंभ से है। चैत्र की प्रतिपदा एकम के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था इसलिए गुड़ी पड़वा के दिन नववर्ष मनाया जाता है। करीब 1 अरब 96 करोड़ 58 लाख 81 हजार 126 वर्ष पहले सृष्टि की रचना मानी जाती है। विक्रम संवत भारतीय कालगणना का सबसे अचूक प्रामाणिक पंचांग है। शादी, तीज, त्योहार या अन्य कार्यक्रम इसी पंचांग से तय होते हैं। विक्रम संवत सबसे प्राचीन है। इसके बाद हिजरी शक ईस्वी आदि आए थे। विक्रम संवत को नेपाल, मॉरीशस, सूरीनाम और यूक्रेन जैसे देशों में माना जाता है। नेपाल में तो पूरी तरह विक्रम संवत ही चलता है। शंख बजाकर होगा नव वर्ष का शुभारंभ प्रतिवर्ष गुड़ी पड़वा के दिन नव वर्ष मनाया जाता है। 30 मार्च को 2082 विक्रम संवत है। इस मौके पर उज्जैन में शिप्रा नदी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। जिसमें प्रसिद्ध गायिका श्रेया घोषाल प्रस्तुति देंगी। अगले दिन 31 मार्च को सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर शंख बजाकर नव वर्ष का शुभारंभ किया जाएगा। इसे नवसंवत्सर या नए वर्ष के रूप में मनाया जाता है। विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्री राम तिवारी ने बताया कि नव संवत्सर का मतलब नया साल होता है। संवत मतलब वर्ष होता है। भारत में आज भी अंग्रेजी कैलेंडर से ही काल की गणना की जा रही है। विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। अंग्रेजी कैलेंडर में वर्ष 2025 चल रहा है, जबकि 30 मार्च से विक्रम संवत 2082 शुरू होगा। दुनिया भर में 60 से अधिक संवत हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र और आखिरी महीना फाल्गुन होता है। राजा विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। विक्रमादित्य का जन्म 102 ईसा पूर्व हुआ था। उन्होंने 57 ईसा पूर्व भारत से शक साम्राज्य का पतन किया। शकों को हराने के बाद उन्होंने उनके कैलेंडर शक संवत की जगह इसी साल से विक्रम संवत शुरू किया। इसे आगे चलकर हिंदू कैलेंडर कहा है। दुनिया भर में 60 से अधिक संवत हुए, लेकिन विक्रम संवत सबसे ज्यादा प्रचलित है। उज्जैन में राजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रम संवत की शुरुआत उज्जैन से की गई इसीलिए इसका सीधा संबंध उज्जैन से है। उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर के पीछे योगी पूरा में करीब 100 वर्ष पुराना राजा विक्रमादित्य का मंदिर है।

उज्जैन में शंख बजाकर होगा नववर्ष का शुभारंभ
खर्चा पानी द्वारा प्रस्तुत, इस वर्ष नववर्ष का शुभारंभ उज्जैन में शंख बजाकर होगा। यह एक अनूठी परंपरा है जो न केवल भारतीय संस्कृति को दर्शाती है, बल्कि दर्शकों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से भी जोड़ती है।
नववर्ष के महत्व और पृष्ठभूमि
नववर्ष की शुरुआत भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को हिन्दू नववर्ष मनाया जाता है। इस बार नववर्ष का आयोजन उज्जैन में भव्य रूप से होने जा रहा है। बताया जाता है कि सृष्टि का आरंभ 1 अरब 96 करोड़ साल पहले हुआ था, और इस दिन अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे विक्रम संवत की शुरुआत होती है।
उज्जैन का धार्मिक महत्व
उज्जैन, जिसे महाकाल का नगर भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यहाँ पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है, जो भक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय है। नववर्ष के अवसर पर यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस वर्ष यह खास है क्योंकि शंखनाद के साथ नववर्ष का स्वागत किया जाएगा, जो कि एक शुभ संकेत माना जाता है।
शंख बजाकर नववर्ष के स्वागत की तैयारी
इस अवसर पर शंख बजाने की तैयारी जोरों पर है। शंख बजाना केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह एक प्रकार की चेतना का प्रतीक भी है। शंख का नाद सुनकर भक्तों के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आयोजकों द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं ताकि शंख का यह नाद सुनने के लिए अधिक से अधिक लोग एकत्रित हो सकें।
नववर्ष की विशेषता
विक्रम संवत की शुरुआत के अवसर पर कई सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें पूजा-अर्चना, हवन, और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान शामिल हैं। इसके साथ ही, स्थानीय कलाकार भी अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से इस दिन को यादगार बनाने में जुटे हैं।
निष्कर्ष
उज्जैन में नववर्ष का शुभारंभ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी पुनर्जीवित करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। निस्संदेह, इस अवसर पर शंख बजाकर नववर्ष का स्वागत करना एक अद्वितीय अनुभव होगा। इस लिहाज़ से, आयोजकों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए यह दिन एक विशेष महत्व रखेगा।
अंत में, अगर आप इस कार्यक्रम में शामिल होने की योजना बना रहे हैं या अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे वेबसाइट पर जाएं: kharchaapani.com.
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