"Vigilance Haldwani: साजिश की फैक्ट्री, कानून नहीं जानता SOP" — कोर्ट ने दिखाया न्याय का मानवीय चेहरा, पर विजीलेंस अब भी झूठ की खेती में व्यस्त
क्या Vigilance Haldwani को इस बात की रत्तीभर भी परवाह है? जवाब है — नहीं। यह विभाग अब एक प्रक्रियात्मक एजेंसी नहीं, बल्कि बदले और दबाव की मशीन बन चुका है।

विशेष न्याय संवाददाता | kharchaapani.com
जहाँ एक ओर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मानवता और न्याय की मिसाल पेश करते हुए आरोपी अधिकारी के परिवार, बच्चों और सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखकर संवेदनशीलता दिखाई — वहीं Vigilance Sector Haldwani ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह कानून नहीं, निजी दुश्मनी और गंदे इरादों से कार्रवाई करने में यकीन रखता है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि “एक झूठे Trap में अगर कोई सरकारी अधिकारी फंसता है, तो उसके परिवार, उसकी पत्नी और बच्चों की सामाजिक हत्या हो जाती है।” ऐसे में अदालत का यह दृष्टिकोण न्याय की असली आत्मा को दर्शाता है।
लेकिन क्या Vigilance Haldwani को इस बात की रत्तीभर भी परवाह है? जवाब है — नहीं। यह विभाग अब एक प्रक्रियात्मक एजेंसी नहीं, बल्कि बदले और दबाव की मशीन बन चुका है। ऐसे Trap केसों में ना सिर्फ SOP का उल्लंघन किया जा रहा है, बल्कि लोगों को अपराधी घोषित करने के लिए अखबारों और मीडिया में Trap Raid के विज्ञापन तक छपवाए जा रहे हैं — वो भी ट्रायल शुरू होने से पहले!
Complainant Sudesh Pal Singh की अगर बात करें, तो उनका इतिहास खुद ही एक काले पन्नों की किताब है। बाउंस चेक के मामलों से लेकर कई राजस्व विवाद, आबकारी बकाया, हाईकोर्ट में याचिका खारिज और ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार — यानी जिनका खुद का रिकॉर्ड बदनामियों से भरा है, वह अब ईमानदार अधिकारियों को झूठे केसों में फँसाने का माध्यम बन रहे हैं। और आश्चर्य यह कि Vigilance Haldwani आंख मूंदकर ऐसे लोगों की बातें मान लेता है — या शायद मिलकर साजिश रचता है।
और यह पहली बार नहीं है। Ashok Kumar Mishra, जो बेहद ही ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी रहे हैं, उन्हें भी इन्हीं IO Vinod Yadav और Trap Leader Lalita Pandey की जोड़ी ने फर्जी Trap में फँसाया। लेकिन सत्य ज्यादा देर नहीं छिपता — सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट्स और मेरिट के आधार पर उन्हें जमानत दी, और स्पष्ट कहा कि इस मामले में कोई स्पष्ट मांग या Recovery नहीं हुई थी। क्या Vigilance Haldwani को इस पर आत्ममंथन नहीं करना चाहिए?
Vigilance Haldwani की हरकतें अब न सिर्फ कानूनी रूप से शर्मनाक हैं, बल्कि नैतिक रूप से भी पतन का प्रतीक बन चुकी हैं। वे SOP को ताक पर रखकर झूठे Trap लगाते हैं, वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं करते, FSL रिपोर्ट आने से पहले चार्जशीट दायर करते हैं, और जब कोर्ट सवाल करता है तो IO "sorry" बोलकर माफी माँगता है — यही हालात हैं वहाँ की। क्या यही है “जांच” की परिभाषा? नहीं — ये एक दुर्घटना है, जांच नहीं।
kharchaapani.com स्पष्ट रूप से कहता है — Vigilance Haldwani अब एक बदनाम तंत्र बन चुका है, जो कानून के बजाय फंसाने के इरादे से चलता है। यह विभाग अब देश और प्रदेश की ईमानदार नौकरशाही के लिए एक अपमान बन चुका है।
हमारी मांगें:
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Vigilance Haldwani की तत्काल स्वतंत्र न्यायिक जांच हो।
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IO Vinod Yadav और Lalita Pandey पर IPC 191, 193 के तहत झूठा हलफनामा दायर करने पर फौजदारी कार्रवाई हो।
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Complainant Sudesh Pal Singh की पूरी पृष्ठभूमि सार्वजनिक की जाए और ऐसे व्यक्तियों की शिकायतों पर FIR दर्ज करने से पहले पूरी कानूनी जांच हो।
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न्यायपालिका की उस सोच की सराहना की जाए जिसने परिवार और बच्चों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आरोपी के पक्ष को भी गंभीरता से सुना।
न्याय अगर सज़ा से पहले सोच नहीं देगा, तो सज़ा इंसाफ नहीं, एक हथियार बन जाएगी। और Vigilance Haldwani जैसे विभाग इस हथियार को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते रहेंगे।
kharchaapani.com सच्चाई के साथ है, और झूठे Trap, झूठे मुक़दमे और झूठे अफ़सरों के खिलाफ अपने धर्मयुद्ध को जारी रखेगा।
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