US में बुजुर्ग ग्रीनकार्ड होल्डर्स पर कार्ड लौटाने का दबाव:इमिग्रेशन वकीलों का दावा- एयरपोर्ट पर रातभर कस्टडी में रख रहे; इनमें भारतीय भी शामिल
अमेरिका में ग्रीन कार्ड होल्डर्स को परेशान किए जाने के मामले सामने आ रहे हैं। कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन अफसर ग्रीन कार्ड होल्डर्स पर दबाव बना रहे हैं कि वे अपना ग्रीन कार्ड लौटा दें। इनमें भारतीय भी शामिल हैं। इमिग्रेशन से जुड़े मामलों के कई वकीलों ने बताया कि एयरपोर्ट्स पर इन ग्रीन कार्ड होल्डर्स से पूछताछ की जा रही है। इन्हें रातभर कस्टडी में रखा जा रहा है। ऐसे बुजुर्ग ज्यादा निशाने पर हैं, जो अपने बच्चों के साथ अमेरिका में रहते हैं, लेकिन सर्दियों में वे भारत चले जाते हैं। वकीलों ने सलाह दी है कि किसी भी तरह के दबाव में आकर लोग अपना ग्रीन कार्ड एयरपोर्ट पर सरेंडर न करें। ग्रीन कार्ड धारकों के पास ये अधिकार होता है कि उनके केस की सुनवाई इमिग्रेशन जज के सामने हो। एक वकील ने बताया कि कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन अधिकारी किसी का ग्रीन कार्ड तब तक रद्द नहीं कर सकते हैं, जब तक वो खुद इसे सरेंडर न करे। वकील बोले- इंडियन बुजुर्ग अधिकारियों के निशाने पर टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वकीलों ने कहा कि इमिग्रेशन और नेशनैलिटी एक्ट के तहत एक ग्रीन कार्ड होल्डर 180 से ज्यादा दिन तक अमेरिका से बाहर रहता है तो उसे री-एडमिशन कराना होता है। उसका कार्ड रद्द होने की स्थिति तब बनती है, जब वह एक साल यानी 365 दिन से ज्यादा वक्त तक अमेरिका से बाहर रहे। ऐसे में सर्दियों में ऐसे ग्रीन कार्ड होल्डर्स के भारत में रहने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। अफसरों के निशाने पर ज्यादातर ऐसे ही बुजुर्ग हैं। वकील बोले- अफसर खुद को जज समझ रहे एक वकील अश्विन शर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मैं ऐसे कई मामले देख रहा हूं, जिसमें ऐसे बजुर्ग भारतीयों पर फॉर्म I-407 पर दस्तखत करने का दबाव बनाया जा रहा है जो थोड़ा ज्यादा वक्त अमेरिका से बाहर रहे। ये फॉर्म कहता है कि दस्तखत करने वाला अपनी मर्जी से स्थायी निवासी का दर्जा (ग्रीन कार्ड) छोड़ रहा है। अगर ऐसे लोग विरोध करते हैं तो उन्हें कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन अधिकारी हिरासत में रखने या बाहर भेज दिए जाने का डर दिखा रहे हैं। ये अधिकारी खुद को जज समझ रहे हैं, क्योंकि उन्हें ट्रम्प की नीतियों से साहस मिला है। US उप-राष्ट्रपति ने कहा था- ग्रीनकार्ड होल्डर्स को हमेशा रहने का अधिकार नहीं 2 दिन पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि ग्रीन कार्ड होल्डर्स हमेशा के लिए अमेरिका में नहीं रह सकते हैं। ग्रीन कार्ड रखने का मतलब यह नहीं है कि किसी को जिंदगी भर के लिए अमेरिका में रहने का अधिकार मिल गया है। सरकार के पास ग्रीन कार्ड होल्डर्स को निकालने का अधिकार है। क्या है ग्रीन कार्ड ग्रीन कार्ड को कानूनी तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के नाम से जाता है। इससे अमेरिका में परमानेंट तौर पर रहने और काम करने का अधिकार मिलता है, बशर्ते व्यक्ति ऐसे अपराध में शामिल न हो जिससे इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन होता हो। ग्रीन कार्ड मिलने के 3 से 5 साल के अंदर कोई व्यक्ति अमेरिका की परमानेंट रेजिडेंसी के लिए अप्लाई कर सकता है। ग्रीन कार्ड के इंतजार में 12 लाख भारतीय अमेरिका में ग्रीन कार्ड रखने वाले लोगों में मेक्सिको के बाद भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। USA फैक्ट्स के मुताबिक, 2013 से 2022 तक अमेरिका में 7.16 लाख भारतीयों को ग्रीनकार्ड मिला है। 2022 में 1.27 लाख भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिला है। इनके अलावा 12 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट में हैं।

US में बुजुर्ग ग्रीनकार्ड होल्डर्स पर कार्ड लौटाने का दबाव: इमिग्रेशन वकीलों का दावा- एयरपोर्ट पर रातभर कस्टडी में रख रहे; इनमें भारतीय भी शामिल
Kharchaa Pani
लेखिका: सुमिता चोपड़ा, टीम नेतानगरी
परिचय
हाल के दिनों में, अमेरिका में बुजुर्ग ग्रीनकार्ड धारकों पर ग्रीनकार्ड लौटाने का दबाव बढ़ गया है। इमिग्रेशन वकीलों का दावा है कि ऐसे बुजुर्ग नागरिकों को एयरपोर्ट पर रातभर कस्टडी में रखा जा रहा है, जिसका मुख्य कारण उनके वीजा की स्थिति को लेकर हो रहा सवाल है। इस बहस में भारतीय ग्रीनकार्ड धारकों का भी योगदान है, जो इस स्थिति का सामना कर रहे हैं।
क्या है मामला?
अमेरिका में इमिग्रेशन संबंधी नियमों में सालों से बदलाव होते आ रहे हैं। हाल ही में, बुजुर्ग ग्रीनकार्ड धारकों को अपने कार्ड लौटाने के लिए कहा जा रहा है। यह स्थिति उन लोगों के लिए चिंता का विषय है, जो कई वर्षों से अमेरिका में निवास कर रहे हैं। इमिग्रेशन वकीलों का मानना है कि यह कदम अमेरिकी सरकार की नीतियों का हिस्सा है।
एयरपोर्ट पर कस्टडी की रिपोर्ट
वकीलों ने बताया कि कई बुजुर्ग, खासकर भारतीय बुजुर्ग, जब अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें एयरपोर्ट पर रातभर के लिए कस्टडी में रखा जा रहा है। यह स्थिति न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है, बल्कि उनकी परिवारिक स्थितियों को भी प्रभावित करती है। इस प्रक्रिया में उनकी पहचान और वीजा स्थिति पर सवाल उठाए जाते हैं, जिससे सैकड़ों बुजुर्गों पर संकट का संकट आ गया है।
भारतीय ग्रीनकार्ड धारकों का अनुभव
भारतीय समुदाय के बुजुर्ग, जो वर्षों से अमेरिका में निवास कर रहे हैं, इस समस्या का सामना कर रहे हैं। इन बुजुर्गों का कहना है कि ऐसा व्यवहार उनके लिए अपमानजनक है, और यह एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। कई वकीलों ने इस विषय पर ध्यान आकर्षित किया है, और इस पर सरकारी स्तर पर चर्चा की जरूरत है।
व्यवस्थाएं और समाधान
इस स्थिति के समाधान के लिए विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को ग्रीनकार्ड होल्डर्स की सुरक्षा के लिए नए नियम बनानी चाहिए। इमिग्रेशन वकीलों का कहना है कि इस त्रुटिपूर्ण प्रणाली को सुधारने के लिए समय की मांग है।
निष्कर्ष
अमेरिका में बुजुर्ग ग्रीनकार्ड धारकों पर बढ़ते दबाव ने एक नई समस्याओं को पैदा कर दिया है, जो केवल कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि मानवीय समस्या भी है। इस पर त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि इन बुजुर्गों को मनोदशा और सामाजिक सुरक्षा मिल सके।
कम शब्दों में कहें तो: अमेरिका में बुजुर्ग ग्रीनकार्ड धारकों पर दबाव बढ़ रहा है, जिनमें भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, जिन्हें एयरपोर्ट पर रातभर कस्टडी में रखा जा रहा है।
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