यमुना विवाद, हरियाणा CM बोले- बयान पर माफी मांगें केजरीवाल:हम मानहानि केस करेंगे; केजरीवाल बोले- केस कर दो, फांसी पर चढ़ाओगे क्या
दिल्ली के पूर्व CM अरविंद केजरीवाल के यमुना नदी में जहर मिलाए जाने के बयान पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उन्हें चुनौती दी है। सैनी ने कहा- 'वह अपने बयान के लिए हरियाणा और दिल्ली के लोगों से तुरंत माफी मांगें, नहीं तो हम उनके खिलाफ मानहानि का केस करेंगे। सैनी ने कहा कि हरियाणा के लोग यमुना की पूजा करते हैं। वे भला नदी के पानी में जहर क्यों मिलाएंगे।' सैनी के बयान के बाद केजरीवाल ने कहा- 'सैनी साहब पानी के ऊपर राजनीति ना करो, पाप चढ़ेगा तुमको। लोगों की बद्दुआएं लगेंगी। केस करना है तो करो। वैसे भी कोई कसर छोड़ी है क्या? अब क्या फांसी पर चढ़ाओगे?' उधर, मंगलवार को दिल्ली की CM आतिशी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लेटर लिखकर पानी रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा, 'हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करने वाली यमुना नदी के पानी में अमोनिया का स्तर सामान्य से 6 गुना अधिक है। यह स्तर मानव शरीर के लिए बहुत जहरीला है। इस पानी को दिल्ली के लोगों को नहीं दिया जा सकता। उनकी जान जोखिम में पड़ जाएगी।' दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी आज यमुना का निरीक्षण करने के लिए जाएंगे। उधर, चुनाव आयोग ने हरियाणा सरकार को 28 जनवरी को तथ्यात्मक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। अब सिलसिलेवार ढंग से जानिए कैसे शुरू हुआ विवाद 27 जनवरी: केजरीवाल बोले- हरियाणा सरकार यमुना में जहर मिला रही केजरीवाल ने एक दिन पहले 27 जनवरी को हरियाणा की भाजपा सरकार पर यमुना के पानी को जहरीला करने का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा- दिल्ली के लोगों को पीने के लिए पानी हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मिलता है। यमुना में हरियाणा से पानी दिल्ली में आता है। भाजपा की हरियाणा सरकार ने यमुना के पानी को जहरीला कर दिया है। हालांकि, जल बोर्ड ने उस पानी को दिल्ली में आने से रोक दिया। भाजपा सरकार ने पानी में ऐसा जहर मिलाया है, जिसे जल उपचार संयंत्रों द्वारा भी साफ नहीं किया जा सकता है। इससे दिल्ली के एक तिहाई हिस्से में पानी की कमी हो गई है। दिल्ली में अफरा-तफरी मचाने के लिए ऐसा किया गया है, ताकि दिल्ली के लोग मरें और इसका दोष AAP पर आए। 27 जनवरी: दिल्ली जल बोर्ड की CEO ने केजरीवाल का बयान खारिज किया दिल्ली जल बोर्ड की CEO शिल्पा शिंदे ने 27 जनवरी को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर केजरीवाल के दावे को गलत बताया है। उन्होंने पत्र में लिखा- हरियाणा के कारण यमुना में अमोनिया को लेकर अरविंद केजरीवाल का बयान का कोई आधार नहीं है। इसमें बताए गए फैक्ट गलत और भ्रामक है। ऐसे गलत बयानों से दिल्लीवासियों में डर पैदा होता है। अन्य राज्यों के साथ संबंधों पर भी बुरा प्रभाव होता है। यह मामला उपराज्यपाल के संज्ञान में लाया जाए। विवाद पर भाजपा-कांग्रेस का बयान... भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी : 'जल बोर्ड ने भी कहा है कि ये पूरी तरह से गलत है। इससे पता चलता है कि आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने दूसरे राज्य की सरकार पर इतना घटिया स्तर का आरोप लगाने की कोशिश की है। ऐसा आरोप पाकिस्तान ने भी युद्ध के दौरान भारत पर नहीं लगाया था। मैं कह सकता हूं कि केजरीवाल द्वारा पानी पर दिया गया ये जहरीला बयान निश्चित रूप से दिल्ली के हर व्यक्ति के दिमाग को झकझोर रहा है कि राजनीति किस हद तक जा रही है। ये दिल्ली की इज्जत का सवाल है, अपनी हार को छुपाने के लिए एक गहरी साजिश के तहत ऐसी घटिया बातें कही जा रही हैं।' कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित : 'अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि पानी में किस तरह का जहर था? वह झूठ बोल रहे हैं और फिर भी उन्हें खुलेआम घूमने की इजाजत है। अगर कोई आम आदमी सरकार पर नरसंहार का आरोप लगाता है, तो वह अगले ही दिन जेल में होगा। मुझे आश्चर्य है कि हरियाणा पुलिस या दिल्ली पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? चुनाव आयोग कहां है? मुझे लगता है कि या तो दोनों पार्टियों (AAP-BJP) के बीच कोई अंदरूनी गठबंधन है या फिर इन राजनीतिक दलों को ऐसे गंभीर मुद्दों की चिंता नहीं है, भले ही लोग क्यों न घबरा जाएं।' दीक्षित ने दिल्ली के उपराज्यपाल और पुलिस कमिश्नर को लेटर लिखकर अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली CM बोलीं- यमुना में अमोनिया का स्तर 6 गुना ज्यादा हर बार उठता है यमुना का मुद्दा यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से अक्सर दिल्ली में जल आपूर्ति बाधित होती है। यमुना को स्वच्छ और अविरल बनाने के नाम पर वर्षों से राजनीति हो रही है। प्रत्येक चुनाव में यह मुद्दा बनता है। नदी को साफ करने के लिए वर्ष 1993 में पहला यमुना एक्शन प्लान बनाया गया। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं है। राजधानी में यमुना पल्ला से ओखला बैराज तक बहती है। -------------------------------------- यमुना विवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... केजरीवाल ने दिल्ली की सड़कों-यमुना पर माफी मांगी:कहा- 2020 में किए वादे सरकार बनने पर पूरे करेंगे आम आदमी पार्टी (AAP) ने सोमवार को दिल्ली के लिए पार्टी की 15 गारंटियों का ऐलान किया। पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 2020 में किए यमुना की सफाई, यूरोप की तरह दिल्ली की सड़कें और पानी की सप्लाई का वादा पूरा नहीं कर पाने पर माफी भी मांगी। पढ़ें पूरी खबर ...

यमुना विवाद: हरियाणा CM बोले- बयान पर माफी मांगें केजरीवाल
Kharchaa Pani - यह विवाद यमुना नदी के पानी को लेकर छिड़ा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री, मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि केजरीवाल को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए। वहीं, केजरीवाल ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा है कि वे मानहानि का केस करेंगे।
विवाद की शुरुआत
यमुना हमारी जीवनरेखा है, लेकिन हाल के दिनों में इसे लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ गया है। खट्टर का कहना है कि केजरीवाल ने हरियाणा के पानी के अधिकारों के प्रति उदासीनता दिखाई है, और उनकी टिप्पणियां हरियाणा की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं।
हरियाणा CM का बयान
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा, “केजरीवाल को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए। उनकी टिप्पणियों से हरियाणा के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम कानूनी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे।”
केजरीवाल का जवाब
इस पर अरविंद केजरीवाल ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, “अगर खट्टर मुझ पर मानहानि का केस करना चाहते हैं, तो वे कर सकते हैं। क्या वे मुझे फांसी पर चढ़ाने का विचार कर रहे हैं?” केजरीवाल ने अपनी बातों से स्पष्ट किया कि वह किसी को डराने की धमकी नहीं देने वाले हैं और वे कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करने के लिए तैयार हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस विवाद के पीछे एक लंबा इतिहास है। यमुना नदी का पानी दिल्ली और हरियाणा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे के मुद्दे को लेकर हमेशा ही राजनीतिक बहस होती रही है। यह विवाद अब एक बार फिर तूल पकड़ता दिख रहा है, और देखने वाली बात होगी कि इसका समाधान कैसे निकलता है।
निष्कर्ष
यमुना विवाद ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जहां हरियाणा के मुख्यमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। यह विवाद केवल पानी के बंटवारे तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे दोनों राज्यों की राजनीतिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। अन्य मामलों में भी इसी तरह की राजनीति देखने को मिल सकती है।
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