पंजाब के मंत्री ने अनिल विज को घेरा:बोले- अमेरिका से डिपोर्ट हरियाणवियों को लाने कैदियों वाली बस भेजी, बड़ा दुख हुआ
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों के मुद्दे पर राजनीति भी गर्माई हुई है। पंजाब के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने डिपोर्ट भारतीयों को घर तक पहुंचाने को लेकर किए जा रहे इंतजामों पर हरियाणा सरकार को घेरा। विशेष रूप से उन्होंने हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि डिपोर्ट होकर आए हरियाणवियों को घर ले जाने के लिए हरियाणा सरकार ने कैदियों वाले वाहन भेजे हैं। यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे धालीवाल शनिवार देर रात करीब साढ़े 11 बजे अमेरिकी एयरफोर्स के विमान ने अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे भारतीयों को अमृतसर लाकर छोड़ा। इसके बाद रात करीब 1 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल इंतजामों का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान ही उन्होंने हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा- दुख से कहना पड़ता है कि आज भी हरियाणा ने कैदियों को ले जाने वाली बसें अमेरिका से डिपोर्ट हुए लोगों को लाने के लिए भेजी हैं। पिछली बार इस बात को लेकर हरियाणा की निंदा भी हुई। इसके बावजूद उन्होंने कैदियों को ले जाने वाली बसें भेजी हुई हैं। धालीवाल बोले- मोटी जालियों वाली गाड़ियां भेजीं धालीवाल ने कहा कि बसों के बाहर मोटी-मोटी जालियां लगी हैं। अनिल विज भाजपा के बड़े नेता हैं। उनके पास ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री है। उनसे विनती है कि कोई और बस भेज देते। हमने (पंजाब) भी कितनी बढ़िया गाड़ियां लगाई हैं। उन्होंने और तो कुछ नहीं किया। उनका (हरियाणा) कोई मंत्री, MLA या नेता नहीं आया। धालीवाल कहा, 'मैं इन बसों को लेकर हरियाणा पुलिस और सरकार की निंदा करता हूं। मुझे बड़ा दुख हुआ है कि हमारे डिपोर्ट होकर आ रहे इंडियन वीर बड़ी लंबी फ्लाइट में, कितने डिप्रेशन में अमेरिका फौज लेकर आई है। सेम प्रोसिजर हुआ होगा, जब उन्हें हथकड़ियां लगाकर लेकर आए होंगे। फिर जब वे बाहर आएं तो उनके स्वागत के लिए फिर से ऐसी गाड़ियां। इसके लिए मैं हरियाणा की भाजपा सरकार की निंदा करता हूं।' डिपोर्ट होकर आ रहे लोग हमारे ही भाई धालीवाल ने कहा कि डिपोर्ट होने वाले हमारे अपने भारतीय और भाई हैं। उन्हें लेने ऐसी गाड़ियां भेजी गई हैं, इससे उन लोगों को कितनी निराशा हुई होगी। पंजाब के मंत्री बोले, 'अनिल विज जी, डिपोर्ट किए हमारे अपने हैं। इनसे ऐसे क्यों पेश आ रहे हैं? इन्होंने भारत में कोई अपराध नहीं किया। इन्होंने कोई अपराध नहीं किया। ये आतंकी नहीं हैं। बाहर से आ रहे अपने भाई हैं। सरकार को अपने जैसा व्यवहार करना चाहिए। इसलिए, मैं रात 1 बजे आ गया था।' ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढ़ें... अमेरिका ने 116 और भारतीयों को जबरन लौटाया:पुरुषों को हथकड़ी लगाई, अमृतसर एयरपोर्ट से 5 घंटे बाद घर वापसी; तीसरा बैच आज आएगा अमेरिका ने अवैध तरीके से रह रहे 116 और भारतीयों को जबरन वापस भेज दिया। इस बार महिलाओं-बच्चों को छोड़कर सभी पुरुषों को हथकड़ियां लगाकर शनिवार देर रात 11.30 बजे अमेरिकी एयरफोर्स के विमान ग्लोबमास्टर में अमृतसर एयरपोर्ट पर उतार दिया गया। पूरी खबर पढ़ें...

पंजाब के मंत्री ने अनिल विज को घेरा: बोले- अमेरिका से डिपोर्ट हरियाणवियों को लाने कैदियों वाली बस भेजी, बड़ा दुख हुआ
खर्चा पानी
हिमाचल प्रदेश से एक नई राजनीतिक स्थिति सामने आई है, जहाँ पंजाब के मंत्री ने हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका से डिपोर्ट किए गए हरियाणवियों को वापस लाने के लिए कैदियों वाली बस भेजी गई है। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
पृष्ठभूमि
हाल ही में कुछ भारतीय नागरिक अमेरिका में कुछ कानूनी मुद्दों के कारण डिपोर्ट हुए हैं। इस स्थिति से प्रभावित लोग हरियाणा के निवासी हैं, जो देश की सुरक्षा और अपने परिवारों की भलाई के लिए आशंकित हैं। अनिल विज का यह कदम, जो कि हरियाणा के नागरिकों को वापस लाने का था, काफी विवादास्पद रहा है। इससे देश में राजनीति का एक नया रंग देखने को मिला है।
पंजाब मंत्री का बयान
पंजाब के मंत्री ने कहा कि "एक कैदी वाली बस का उपयोग उन हरियाणवियों को लाने के लिए करना बहुत दुख की बात है।" उनका कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से हरियाणवी लोगों की प्रतिष्ठा पर गहरा असर पड़ेगा। यह सवाल उठता है कि क्या हमें अपनी संस्कृति को इस तरह के निर्णयों से बचाना चाहिए?
राजनीति में प्रतिक्रिया
राजनीतिक विशेषज्ञ इस बयान पर गहरा ध्यान दे रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यह बयान पंजाब और हरियाणा के बीच की दूरी को और बढ़ा सकता है। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे एक तात्कालिक प्रतिक्रिया मानते हैं। सभी पक्ष के विचारों को समझने के लिए हमें एक गहन जांच की आवश्यकता है।
अन्य विचार
भले ही इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस हो रही है, लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि नागरिकों की भलाई सबसे ज़रूरी है। इससे पहले भी हमें कई मौकों पर देखा गया है कि कैसे राजनीतिक फोटोग्राफी के लिए नागरिकों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जाता है। इस बार हमें इस स्थिति से कुछ महत्वपूर्ण सबक सीखने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
अंत में, यह कहना उचित होगा कि हरियाणा और पंजाब के बीच की राजनीतिक दौड़ केवल आरोप-प्रत्यारोप की सीमा तक ही नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे नागरिकों की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए एक मंच बनाना चाहिए। केवल इस तरह से हम अपनी संस्कृतियों और मूल्यों को बचा सकेंगे।
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