न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व मैनेजर का पॉलीग्राफ टेस्ट:हितेश मेहता पर ₹122 करोड़ गबन का आरोप, बैंक में डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक

मुंबई पुलिस ने मंगलवार को न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पूर्व जनरल मैनेजर और अकाउंट्स के हेड हितेश मेहता का पॉलीग्राफ टेस्ट किया। हितेश मेहता पर अपने सहयोगी के साथ मिलकर बैंक के प्रभादेवी और गोरेगांव ब्रांच से 122 करोड़ रुपए के गबन का आरोप है। न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के मामले में मुंबई पुलिस ने हितेश मेहता को फरवरी में गिरफ्तार किया था। इसके बाद केस को मुंबई पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को ट्रांसफर किया गया था। आरोपी के खिलाफ धारा 316(5) 61(2) कोड 2023 के तहत केस दर्ज है। इससे पहले RBI ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड को 12 महीने के लिए हटा दिया था। मनी ट्रांसफर और बैंक फंड के दुरुपयोग से जुड़े सवाल पूछे गए पॉलीग्राफ टेस्ट लगभग 2 घंटे 30 मिनिट तक चला, इस दौरान मेहता से घोटाले से संबंधित करीब 40 से 50 सवाल पूछे गए। सुबह करीब 11 से दोपहर 1:30 बजे के बीच किए गए इस टेस्ट में मनी ट्रांसफर, अन्य आरोपियों के शामिल होने और बैंक फंड के दुरुपयोग जैसे सवाल पूछे गए। EOW अधिकारियों के मुताबिक, पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट 3 से 4 दिन में आने की उम्मीद है। जांच के दौरान कार्यवाही की निगरानी के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट और मनोचिकित्सक मौजूद थे। नियमों का पालन न करने के चलते डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक RBI ने 13 जनवरी को नियमों का पालन न करने के चलते बैंक में डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक लगा दी थी। अब बैंक नया लोन भी जारी नहीं कर सकेगा। अकाउंट होल्डर्स इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि उनका पैसा कब मिलेगा। मौजूदा नकदी स्थिति को देखते हुए आरबीआई का एक्शन रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक की मौजूदा नकदी स्थिति को देखते हुए निर्देश दिया गया है कि वह जमाकर्ता के बचत बैंक या चालू खातों या किसी अन्य खाते से किसी भी राशि की निकासी की अनुमति न दे। हालांकि, वेतन, किराया और बिजली के बिल जैसी कुछ आवश्यक चीजों पर खर्च करने की इजाजत है। 6 महीने के लिए प्रभावी रहेगा RBI का बैन आरबीआई बैंक की स्थिति की निगरानी करना जारी रखेगा और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन निर्देशों को मॉडिफाई करेगा। ये प्रतिबंध 13 फरवरी, 2025 से छह महीने के लिए प्रभावी रहेंगे। 5 लाख रुपए तक का क्लेम ले सकेंगे डिपॉजिटर्स RBI ने बताया कि एलिजिबल डिपॉजिटर्स डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन से 5 लाख रुपए तक डिपॉजिट इंश्योरेंस क्लेम अमाउंट पाने के हकदार होंगे। मार्च 2024 के अंत में सहकारी बैंक के पास 2436 करोड़ रुपए जमा थे। इससे पहले PMC बैंक पर भी लगा था प्रतिबंध इससे पहले 2019 में जब PMC बैंक का घोटाला सामने आया तो सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने PMC बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को खत्म कर दिया और बैंक पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए। बाद RBI ने इसे स्मॉल फाइनेंस बैंक के रूप में चलाने का फैसला किया था। PMC बैंक का NPA 9% था बैंक ने 1% बताया था रिपोर्ट्स के मुताबिक, PMC बैंक का नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी NPA 9% था, लेकिन बैंक ने इसे केवल 1% दिखाया। PMC बैंक ने अपने सिस्टम में 250 करोड़ रुपए का बोगस डिपॉजिट दिखाया। बैंक ने NPA करने वाली कंपनियों जैसे कि DHFL और HDIL को बडी मात्रा में नया लोन दिया। यह लोन इन कंपनियों के डायरेक्टर्स के रिश्तेदारों या पार्टनर के नाम पर दिए गए। बैंक के लोन बुक को बढ़ाने का लिए नकली डिपॉजिट दिखाए गए।

Mar 11, 2025 - 23:34
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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व मैनेजर का पॉलीग्राफ टेस्ट:हितेश मेहता पर ₹122 करोड़ गबन का आरोप, बैंक में डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व मैनेजर का पॉलीग्राफ टेस्ट: हितेश मेहता पर ₹122 करोड़ गबन का आरोप, बैंक में डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक

Kharchaa Pani

लेखक: रिया शर्मा, पूजा वर्मा, टीम नेतनागरी

परिचय

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व मैनेजर हितेश मेहता पर ₹122 करोड़ के गबन का आरोप लगा है। मामला अब पॉलीग्राफ टेस्ट की ओर बढ़ गया है, जिससे इस विवाद की गहराई और भी स्पष्ट हो रही है। बैंक ने डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक लगा दी है, जिससे ग्राहकों में चिंता की लहर दौड़ गई है।

घटना का पृष्ठभूमि

खुद को न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का मैनेजर बताने वाले हितेश मेहता पर आरोप है कि उन्होंने बैंक के फंड में गबन किया। यह मामला तब सामने आया जब कुछ ग्राहकों ने बैंकों से अपने पैसे निकालने की कोशिश की, लेकिन उन्हें जानकारी मिली कि बैंक ने विड्रॉल पर रोक लगा दी है। इस पर कई ग्राहकों ने विरोध दर्ज कराया और मामले की जांच शुरू की गई।

पॉलीग्राफ टेस्ट का महत्व

पॉलीग्राफ टेस्ट का उद्देश्य इस केस की गहराई में जाने और हितेश मेहता की सच्चाई का सही से पता लगाने के लिए किया जा रहा है। इतनें बड़े गबन को समझने के लिए पुलिस और जांच एजेंसियां इस तकनीक का उपयोग कर रही हैं। पुलिस ने कहा है कि यह परीक्षण नए सबूतों की खोज में मदद करेगी।

बैंक द्वारा उठाए गए कदम

बैंक प्रबंधन ने इस पूरे मामले के बाद तुरंत एक आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में बैंको के सभी अधिकारी शामिल हुए और कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन कदमों में डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक लगाना शामिल है। इसके अलावा, बैंक ने सभी ग्राहकों से अपील की है कि वे धैर्य रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें।

ग्राहकों की प्रतिक्रिया

इस मामले पर ग्राहकों की प्रतिक्रिया चिंता और आक्रोश का मिश्रण है। कुछ ग्राहकों ने बैंक के अधिकारीयों के खिलाफ नारेबाजी की है। अन्य ने अपनी जमा राशि को सुरक्षित रखने के लिए सुझाव मांगे हैं। बैंक प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच होगी और किसी भी दोषी को कड़ी सजा दी जाएगी।

निष्कर्ष

हितेश मेहता का मामला बैंकिंग सिस्टम और ग्राहकों के विश्वास पर सवाल खड़ा करता है। पॉलीग्राफ टेस्ट के परिणामों के बाद ही हमें सच्चाई का पता चलेगा। इस मामले को लेकर सभी की नजरें पुलिस जांच पर हैं, जबकि बैंक ने डिपॉजिट और विड्रॉल पर रोक लगाकर सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। ग्राहकों को मौजूदा स्थिति के बारे में अद्यतन रखने के लिए नियमित संवाद की आवश्यकता है।

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