नर्स के एक फैसले ने बचाई पोप की जान:दोनों फेफड़ों में निमोनिया संक्रमण था, हालत न सुधरने पर इलाज बंद करने वाले थे डॉक्टर

पोप फ्रांसिस मौत के इतने करीब पहुंच गए थे कि मेडिकल टीम ने उनका इलाज रोकने का फैसला कर लिया था, ताकि वे शांति से मर सकें। हालांकि, पोप की नर्स इससे सहमत नहीं हुई। उन्होंने आखिरी वक्त तक पोप का इलाज जारी रखने को कहा। पोप फ्रांसिस का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने खुद यह खुलासा किया है। 88 साल के पोप फ्रांसिस को सांस की बीमारी के कारण फरवरी में हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। 5 हफ्ते बाद 23 मार्च को उन्हें छुट्टी दे दी गई। उल्टी को अंदर लेने के चलते परेशानी बढ़ गई थी फ्रांसिस रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती थे। इस दौरान उन्हें कम से कम चार बार सांस लेने में गंभीर परेशानी हुई। सबसे ज्यादा दिक्कत 28 फरवरी को हुई। तब उन्होंने उल्टी को अंदर ले लिया था, जिससे उनके फेफड़े पर दबाव बढ़ा और सांस रुक गई थी। अस्पताल के सर्जन सर्जियो अल्फीरी ने एक इंटरव्यू में कहा- पोप की हालत बदतर हो चुकी थी। हमें पूरी तरह से यकीन हो गया था कि वे अब बच नहीं पाएंगे। हमें यह चुनना था कि उनका इलाज रोक दें या फिर और इलाज के दूसरे रास्ते अपनाएं। इसमें उनके भीतरी अंगों के नुकसान पहुंचने का खतरा ज्यादा था। पोप की निजी नर्स मैसिमिलियानो स्ट्रेपेटी से जब इलाज बंद करने को लेकर राय पूछी गई तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने मेडिकल टीम को इलाज जारी रखने का निर्देश दिया। उन्होंने टीम से सब कुछ आजमाने और हार न मानने को कहा। पोप को भी मरने का हो गया था यकीन अल्फीरी ने कहा कि पोप को भी यकीन हो गया था कि वे रातभर से ज्यादा जीवित नहीं बच पाएंगे, लेकिन नर्स के दबाव डालने के बाद डॉक्टरों ने नए सिरे से इलाज शुरू किया। इसका फायदा भी मिला और उनकी हालत में सुधार दिखने लगा। डॉक्टरों ने 10 मार्च को घोषणा की कि अब उन्हें कोई खतरा नहीं है। जैसे ही पोप को बेहतर महसूस होने लगा, वे अपनी व्हीलचेयर पर वार्ड में घूमने लगे। एक शाम को उन सभी लोगों को पिज्जा की पेशकश की, जिन्होंने उनकी मदद की थी। हालत में और सुधार होने के बाद पोप ने डॉक्टरों से घर जाने की अनुमति मांगी, जो उन्हें मिल भी गई। हॉस्पिटल से निकलने के बाद पोप वेटिकन सिटी में स्थित कासा सांता मार्टा के अपने घर आ गए। डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ होने में दो महीने और आराम की जरूरत होगी। पोप को फिर बोलना सीखना पड़ेगा वेटिकन के कार्डिनल विक्टर मैनुअल फर्नांडीज ने शुक्रवार को बताया था कि पोप फ्रांसिस धीरे-धीरे अपनी ताकत हासिल कर रहे हैं। लंबे वक्त तक हाई फ्लो ऑक्सीजन थेरेपी की वजह से उन्हें फिर से बोलना सीखना पड़ेगा। हाई फ्लो ऑक्सीजन की वजह से कई बार इंसान का मुंह और गला सूख जाता है, जिससे बोलने में दिक्कत होती है। इसके अलावा हाई फ्लो ऑक्सीजन से सांस लेने में दिक्कत या सीने में दर्द जैसी समस्या हो सकती है। वेटिकन के मुताबिक इलाज के दौरान भी पोप हॉस्पिटल से काम कर रहे थे। इससे पहले भी पोप फ्रांसिस को 2021 में डायवर्टीकुलिटिस और 2023 में हर्निया की सर्जरी की वजह से हॉस्पिटल जाना पड़ा था। ........................................ पोप फ्रांसिस से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... पोप फ्रांसिस 5 हफ्ते बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज:अस्पताल की बालकनी से समर्थकों को थैंक्यू कहा; फेफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से एडमिट थे कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस को रविवार को 5 हफ्ते बाद हॉस्पिटल डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने हॉस्पिटल की बालकनी से समर्थकों को धन्यवाद कहा। 88 साल के पोप को फेफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा था। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Mar 26, 2025 - 11:34
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नर्स के एक फैसले ने बचाई पोप की जान:दोनों फेफड़ों में निमोनिया संक्रमण था, हालत न सुधरने पर इलाज बंद करने वाले थे डॉक्टर

नर्स के एक फैसले ने बचाई पोप की जान: दोनों फेफड़ों में निमोनिया संक्रमण था

Kharchaa Pani

लेखक: प्रिया गुप्ता, टीम नेटानागरी

परिचय

हाल ही में एक नर्स के साहसिक फैसले ने न सिर्फ संसार के सबसे प्रतीकात्मक धार्मिक नेता, पोप फ्रांसिस की जान बचाई, बल्कि इस घटना ने चिकित्सा समुदाय में भी हड़कंप मचा दिया। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे नर्स की सूझबूझ ने संकट के समय में निर्णय लेने की प्रक्रिया को बदलकर एक जीवन को बचा लिया।

हालत की गंभीरता

पोप फ्रांसिस की स्वास्थ्य स्थिति बहुत गंभीर थी। उन्हें दोनों फेफड़ों में निमोनिया संक्रमण हो गया था। डॉक्टरों ने स्थिति को गंभीर मानते हुए इलाज बंद करने का फैसला किया था, क्योंकि उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था। यह खबर सुनकर उनकी कड़ी मेहनत करने वाली नर्स ने स्थिति को देखते हुए हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया।

नर्स का साहसिक कदम

नर्स ने समझाया कि पोप की बहुआयामी स्वास्थ्य समस्याएं हैं और अंतिम चरण में उपचार को रोकना एक बड़ा जोखिम हो सकता है। उन्होंने डॉक्टरों को मनाने की पूरी कोशिश की और कहा कि उसके द्वारा किए गए उपायों और उपचार को जारी रखना चाहिए। नर्स ने यह समझाया कि एक जीवंत मानसिकता और उपचार के विकल्पों में बदलाव से मरीज की हालत में सुधार हो सकता है।

चिकित्सा जांच और उपचार

इसके परिणाम स्वरूप, नर्स की बात पर ध्यान देते हुए डॉक्टरों ने पुनः पोप का उपचार शुरू किया। उन्हें विशेष एंटीबायोटिक्स और फिजियोथेरेपी दी गई, जिससे उनकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हुआ।

पोप का रिकवरी सफर

कुछ दिनों के उपचार के बाद, पोप की तबियत में सुधार आना शुरू हुआ। आज वह पहले से ज्यादा ऊर्जा के साथ है। डॉक्टर्स और नर्स के बीच की यह कहानी नर्स की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है, जो कभी-कभी मरीजों को बचाने में निर्णायक साबित हो सकती है।

निष्कर्ष

यह घटना इस बात का एक प्रमाण है कि चिकित्सा क्षेत्र में नर्सों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कभी-कभी, एक अकेला निर्णय जीवन और मृत्यु का संघर्ष भी बदल सकता है। हम सभी को नर्सों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए जिन्होंने निस्वार्थ भाव से रोगियों की देखभाल में अपना जीवन समर्पित किया है।

इस प्रकार, नर्स के एक साहसिक फैसले से न केवल पोप की जान बचाई गयी, बल्कि चिकित्सा जगत में एक नई उम्मीद भी जगाई।

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