अमेरिका में शरण के लिए भारतीय झूठे हलफनामे दे रहे:अवैध प्रवासियों के बहाने- भारत में हमें जान का खतरा, कोरोना में सब बर्बाद हुआ

अमेरिका से 104 भारतीयों को डिपोर्ट किए जाने के बाद कई नई जानकारियां सामने आ रही हैं। कई गुजराती अवैध रास्तों और डंकी रूट से स्थायी शरणार्थी के रूप में रहने के लिए अवैध रूप से विदेश पहुंचे हैं, वे अपने परिवारों से एक झूठे हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए कहते हैं। इसमें कहा जाता है कि भारत में उनकी जान को किसी राजनीतिक दल या राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति से खतरा है। वे एक पार्टी का समर्थन करते हैं, इसलिए उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी से जान का खतरा है और उन्हें बार-बार धमकियां भी मिल रही हैं। भास्कर को चौंकाने वाले सबूत मिले हैं, इससे खुलासा हुआ है कि कुछ लोग डॉलर के लालच में अपनी मातृभूमि को बदनाम करने से भी नहीं हिचकिचाते। डंकी रूट से कई वर्ष पहले अमेरिका में बसने वाले एक युवक ने बताया कि गुजरातियों से ज्यादा हलफनामे पंजाब के लोग दाखिल करते हैं। उनका दावा होता है कि वे जिस संगठन से जुड़े हैं सरकार उसे मान्यता नहीं देती है और उसके सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करती है इसलिए उन्हें शरण दी जानी चाहिए। शरण के 5 मुख्य बहाने- US ने 4 फरवरी को 104 भारतीयों को डिपोर्ट किया 4 फरवरी को 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों को भारत डिपोर्ट किया गया था। भारतीयों को लेकर US मिलिट्री का C-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इन लोगों के पैर में बेड़ियां बांधी गई थीं, जबकि हाथ भी चेन से जकड़े हुए थे। इसमें 11 क्रू मेंबर और 45 अमेरिकी अधिकारी भी साथ आए हैं। प्लेन में पंजाब के 30, हरियाणा-गुजरात के 33-33 लोग शामिल थे। विदेश मंत्रालय मे 7 फरवरी को बताया था कि अमेरिका ने 487 अवैध अप्रवासी भारतीयों को भारत भेजने के लिए चिह्नित किया है। इनमें से 298 लोगों के बारे में जानकारी दी गई है। दावा- अमेरिका में 7.25 लाख अवैध अप्रवासी भारतीय प्यू रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका में 7 लाख 25 हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासी भारतीय रहते हैं। इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट (ICE) ने नवंबर 2024 में बताया था कि अब तक बिना वैध दस्तावेज वाले 20,407 भारतीयों को चिह्नित किया है। इनमें से 2,467 भारतीय इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट (ICE) के डिटेंशन सेंटर्स में कैद थे। इन्हीं में से 104 को हाल में भारत डिपोर्ट किया गया। इसके अलावा 17,940 भारतीय ऐसे हैं, जिन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन उनके पैरों में डिजिटल ट्रैकर (एंकल मॉनीटर) लगाए गए हैं। ICE इनकी लोकेशन चौबीसों घंटे ट्रैक करती है। 16 साल में 15 हजार से ज्यादा भारतीय डिपोर्ट हुए अमेरिकी डिटेंशन सेंटर्स में क्षमता से ज्यादा लोग अमेरिकी डिटेंशन सेंटर को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं। ICE ने कहा कि कि उनके डिटेंशन सेंटर्स में क्षमता के मुकाबले 109% लोग ज्यादा है। होमलैंड सुरक्षा विभाग के डेटा के मुताबिक डिटेंशन सेंटर्स की कुल क्षमता 38,521 बिस्तरों की है। वहीं, फिलहाल इस सेंटर्स में 42 हजार अवैध अप्रवासी हैं। इनमें से आधों को मेक्सिको सीमा पर गिरफ्तार किया गया था। ------------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... भारतीयों के हाथ-पैर चेन से बांधकर प्लेन में चढ़ाया, VIDEO:वॉशरूम में निगरानी, खाने के लिए भी हाथ नहीं खोले; 40 घंटे इसी हाल में रहे अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर US मिलिट्री का C-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इन लोगों के पैर में चेन बांधी गई थी, जबकि हाथ भी बेड़ियों में जकड़े हुए थे। अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल बैंक ने अपने X हैंडल पर इसका वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में भारतीयों के हाथों और पैरों में बेड़ियां साफ देखी जा सकती हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें... अमेरिका जाने के डंकी रूट के VIDEO:कीचड़ से सने पैर, बारिश के बीच टेंट; डिपोर्ट किए हरियाणा के युवक ने बनाए थे अमेरिका की ओर से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में हरियाणा के करनाल का आकाश भी शामिल है। आकाश जिस डंकी रूट से अमेरिका पहुंचा, उसके 4 वीडियो सामने आए हैं। आकाश ने पनामा के जंगलों से गुजरते हुए यह वीडियो बनाकर परिवार को भेजे थे। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Feb 10, 2025 - 06:34
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अमेरिका में शरण के लिए भारतीय झूठे हलफनामे दे रहे:अवैध प्रवासियों के बहाने- भारत में हमें जान का खतरा, कोरोना में सब बर्बाद हुआ

अमेरिका में शरण के लिए भारतीय झूठे हलफनामे दे रहे: अवैध प्रवासियों के बहाने- भारत में हमें जान का खतरा, कोरोना में सब बर्बाद हुआ

Kharchaa Pani

लेखिका: रिया शर्मा, टीम नीतानागरी

परिचय

वर्तमान में अमेरिका में शरण के लिए आवेदन करने वाले भारतीय नागरिकों के बीच झूठे हलफनामे देने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। ये अवैध प्रवासी दावा कर रहे हैं कि उन्हें अपने देश में जान का खतरा है, खासकर कोरोना महामारी के चलते। यह स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है, क्योंकि इससे न केवल अमेरिका के शरण प्रणाली पर दबाव बढ़ता है, बल्कि हिंदी भाषी समुदाय में अविश्वास और गलतफहमियों को भी जन्म देती है।

झूठे हलफनामों का बढ़ता चलन

अमेरिका में शरण पाने के लिए बहुत से भारतीय नागरिक झूठे हलफनामे देने का साहस जुटा रहे हैं। वे आरोप लगा रहे हैं कि भारत में उनकी जान को खतरा है, जबकि असल में ऐसे दावे सच नहीं हैं। कई मामलों में यह देखा गया है कि लोग कोरोना संकट के दौरान अपने व्यवसायों और रोजगार को खोने के बाद, अपने जीवन को सुरक्षित दिखाने के लिए इन झूठे दावों का सहारा ले रहे हैं।

भारत में स्थिति

भारत में कोरोना महामारी ने कई लोगों की जिंदगी पर गहरा असर डाला है। लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के कारण लोग अपनी स्थायी नौकरियों से वंचित हो गए हैं, जिससे कई लोगों ने सुरक्षित भविष्य की तलाश में अमेरिका जाने की योजना बनाई। ऐसे में उनकी सोच यह है कि अगर वे अमेरिका में शरण के लिए आवेदन करते हैं और अपनी स्थिति को क्रूरता से पेश करते हैं, तो उन्हें बेहतर जीवन या सरकारी सहायता मिल सकती है।

अमेरिका की शरण प्रणाली पर दबाव

इस तरह के झूठे दावे अमेरिका की शरण प्रणाली के प्रति अविश्वास को बढ़ाते हैं। इससे न केवल अधिकारियों के लिए वास्तविक मामले को समझना मुश्किल हो जाता है, बल्कि उन लोगों के लिए भी समस्या होती है जो वास्तव में शरण के योग्य हैं। अमेरिका में पहले से ही शरण में आने वालों की संख्या बढ़ रही है, और ऐसेाकर्ता की स्थिति का दुरुपयोग देश की कानून व्यवस्था के प्रति गंभीर खतरा बन जाता है।

समाप्ति: एक नई सोच की आवश्यकता

इस मामले में हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हम किस तरह से अपनी स्थिति को सही ठहराते हैं। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि झूठे हलफनामे देकर हम केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि समुदाय के लिए भी समस्याएँ खड़ी कर रहे हैं। सही सूचना और विश्वास की आवश्यकता है, जिससे हम एक बेहतर भविष्य की ओर आगे बढ़ सकें।

यदि हम सही प्रयास करें और अपने वास्तविक अनुभवों को साझा करें, तो हम न केवल अपनी स्थिति को मजबूत बना सकते हैं, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच विश्वास भी बहाल कर सकते हैं।

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