हाईकोर्ट बोला-हम दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुला सकते:CAG रिपोर्ट रखने के लिए भाजपा ने अपील की थी, शराब नीति से घाटे का जिक्र
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा विधायकों की उस याचिका को खारिज किया, जिसमें दिल्ली विधानसभा में CAG की रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के निर्देश देने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, 'संविधान के तहत CAG की रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य है, लेकिन अदालतें विधानसभा की बैठक बुलाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।' बेंच ने कहा- कोर्ट भाजपा विधायकों की याचिका स्वीकार करने का इच्छुक नहीं है। स्पीकर को सदन बुलाने का निर्देश नहीं दे सकते। हालांकि, अदालत ने कहा कि कैग रिपोर्ट पेश करने में दिल्ली सरकार ने बहुत ज्यादा देरी की। BJP ने याचिका में दावा किया था कि आप सरकार ने स्पीकर को CAG रिपोर्ट भेजने में देरी की थी। इससे पहले 16 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला आज के लिए सुरक्षित रखा था। हाईकोर्ट ने दिल्ली CM से कहा था- सरकार की ईमानदारी पर संदेह विधानसभा चुनाव से पहले लीक हुई CAG रिपोर्ट सूत्रों के मुताबिक CAG रिपोर्ट में शराब घोटाले से भी जुड़ी जानकारी है। 11 जनवरी को CAG की एक रिपोर्ट लीक हुई थी, जिसे भाजपा ने दिखाया था। भाजपा नेताओं ने रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस हुआ है। दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू की गई थी। इसमें लाइसेंस आवंटन को लेकर कई सवाल खड़े हुए। नीति वापस लेनी पड़ी। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। दोनों जेल भी गए। CM और डिप्टी CM पद छोड़ना पड़ा। दोनों फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। रिपोर्ट में दावा- फैसलों पर LG की मंजूरी तक नहीं ली गई रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था। कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे। CAG रिपोर्ट में शराब नीति को लेकर क्या-क्या ... 21 दिसंबर को LG ने केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दे दी थी। ED ने 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी। पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ED ने इस साल मार्च में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। 21 मार्च को 4 घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था। केजरीवाल को इस केस में जमानत मिल गई थी, लेकिन ED ट्रायल शुरू नहीं कर पाई थी। ----------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... योगी आदित्यनाथ बोले- AAP झूठ बोलने की ATM, दिल्ली में रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को बसाया उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 जनवरी को कहा था कि AAP झूठ बोलने की ATM है, इन्होंने जनता से झूठे वादे किए। दिल्ली में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बसाया। केजरीवाल दिल्ली में विकास नहीं चाहते। दिल्ली में बिजली यूपी से 3 गुना महंगी है। पूरी खबर पढ़ें...

हाईकोर्ट बोला-हम दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुला सकते: CAG रिपोर्ट रखने के लिए भाजपा ने अपील की थी, शराब नीति से घाटे का जिक्र
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लेखक: सुमन वर्मा, नेहा मित्तल
टीम नेटानगरि
परिचय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है कि वह दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुला सकता है। यह फैसला उस समय आया जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने CAG (कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट को रखने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की अपील की थी। इस रिपोर्ट में शराब नीति से जुड़े वित्तीय घाटे का उल्लेख किया गया था, जिसने राजधानी के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है।
CAG रिपोर्ट का महत्व
CAG रिपोर्ट भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। यह रिपोर्ट सरकार की वित्तीय स्थिति, सार्वजनिक खर्च, और अन्य आर्थिक मामलों पर जांच-पड़ताल करती है। भाजपा का कहना है कि इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शराब नीति से जुड़ी अनियमितताओं का जिक्र है, जिसने राज्य के खजाने पर असर डाला है। इस रिपोर्ट के जरिए भाजपा ने दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए विधानसभा में चर्चा की मांग की थी।
दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र
दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की भाजपा की मांग को अदालत ने खारिज कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह उसकी भूमिका में नहीं है कि वह विधानसभा सत्र के आयोजन को लेकर आदेश दे। इससे पहले, भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की थी कि इस रिपोर्ट को विधायिका के समक्ष रखा जाए ताकि इसकी गहन चर्चा की जा सके।
शराब नीति की विवादास्पद स्थिति
दिल्ली सरकार की शराब नीति पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय रही है। कई राजनीतिक पार्टियों द्वारा इस नीति पर सवाल उठाए गए हैं। भाजपा का आरोप है कि यह नीति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है और इससे राज्य के राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके नैतिक और कानूनी पहलुओं पर भी कई बार बहस हो चुकी है, लेकिन निष्कर्ष अभी स्पष्ट नहीं है।
निष्कर्ष
दिल्ली उच्च न्यायालय का यह निर्णय राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का स्रोत बना हुआ है। भाजपा द्वारा उठाए गए प्रश्न और CAG रिपोर्ट का महत्व, दोनों ही इस मुद्दे को और अधिक संजीदा बनाते हैं। हालांकि अब, विधानसभा सत्र का आयोजन नहीं हो रहा है, लेकिन इस मामले की गूंज राजनीतिक नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि अदालतें राजनीतिक मामलों से अपनी दूरी बनाकर रख सकती हैं।
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