सूर्य, बुध और शनि के योग में मनेगी महाशिवरात्रि:महाशिवरात्रि 26 फरवरी को: ब्रह्मा-विष्णु के सामने इसी तिथि पर लिंग रूप में प्रकट हुए थे भगवान शिव
शिव पूजा का महापर्व महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस साल महाशिवरात्रि पर सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे। इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग 2025 से पहले 1965 में बना था। ग्रहों के दुर्लभ योग में शिव पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं, ऐसी मान्यता है। इस साल शिवरात्रि पर शिव जी के साथ ही सूर्य, बुध और शनि ग्रह की भी विशेष पूजा करने का शुभ योग है। इस योग में की गई पूजा-पाठ से कुंडली से जुड़े ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं। इस दिन शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन-पूजन करने का विशेष महत्व है। जो लोग किसी ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, वे शिव जी के किसी अन्य पौराणिक मंदिर में पूजा-पाठ कर सकते हैं। अगर मंदिर जाना भी संभव न हो तो घर पर ही शिव पूजा की जा सकती है। ये है महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा शिवपुराण के मुताबिक एक बार ब्रह्मा-विष्णु के बीच विवाद हो गया। झगड़े की वजह ये थी कि दोनों ही देवता खुद को श्रेष्ठ बता रहे थे। जब दोनों देवता दिव्यास्त्रों से युद्ध शुरू करने वाले थे, ठीक उसी समय भगवान शिव लिंग रूप में इनके सामने प्रकट हो गए। शिव जी ने कहा कि आप दोनों में से जो भी इस लिंग का छोर (अंत) खोज लेगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा। ये बात सुनकर एक छोर की ओर ब्रह्मा जी और दूसरे छोर की ओर विष्णु जी चल दिए। बहुत समय तक ब्रह्मा-विष्णु अपने-अपने छोर की ओर आगे बढ़ते रहे, लेकिन उन्हें लिंग का अंत नहीं मिला। उस समय ब्रह्मा जी खुद को श्रेष्ठ घोषित करने के लिए एक योजना बनाई। ब्रह्मा ने एक केतकी का पौधा लिया और उससे झूठ बोलने के लिए कहा कि वह शिव-विष्णु के सामने बोले कि ब्रह्मा जी ने लिंग का अंत खोज लिया है। ब्रह्मा केतकी के पौधे को लेकर शिव जी के पास पहुंचे, विष्णु जी भी वहां आ गए और उन्होंने कहा कि मैं इस लिंग का अंत नहीं खोज सका। ब्रह्मा ने कहा कि मैंने इस लिंग का अंत खोज लिया है, ये बात आप केतकी के पौधे से भी पूछ सकते हैं। केतकी ने भी भगवान के सामने झूठ बोल दिया। ब्रह्मा जी का झूठ सुनते ही शिव जी क्रोधित हो गए। उन्होंने कहा कि आपने झूठ कहा है, इसलिए आज से आपकी कहीं भी पूजा नहीं होगी और केतकी ने आपके झूठ में साथ दिया, इसलिए इसके फूल मेरी पूजा में वर्जित रहेंगे। इसके बाद विष्णु जी सर्वश्रेष्ठ घोषित हो गए। ये घटना फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की ही मानी जाती है, इसलिए इस तिथि पर महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा है।

सूर्य, बुध और शनि के योग में मनेगी महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि 26 फरवरी को
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लेखिका: राधिका शर्मा, टीम नेतनागरी
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का प्रमुख पर्व है। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव के लिंग रूप में प्रकट होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य, बुध और शनि के विशेष योग का निर्माण हो रहा है, जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।
सूर्य, बुध और शनि का योग
ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य, बुध और शनि एक साथ एक राशि में होते हैं, तो यह विशेष फलदायी माना जाता है। इस संयोग से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और मनोकामनाओं की पूर्ति की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि पर इस योग का होना, शिव अराधना के लिए एक अतिरिक्त कारण है।
भगवान शिव का लिंग रूप प्रकट होना
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का लिंग रूप ब्रह्मा और विष्णु के सामने प्रकट हुआ था। यह घटना शास्त्रों में उल्लेखित है और इसे शिवरात्रि की रात का सर्वोत्तम मुहूर्त माना जाता है। इस दिन भक्त पूरी रात जागरण करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
महाशिवरात्रि के अनुष्ठान
महाशिवरात्रि के दिन कई विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्त फल-फूल, बेल पत्र, दूध और जल का अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय प्रयोग और शिव चालीसा का पाठ भी किया जाता है। भक्तों द्वारा की गई इस आराधना से उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
समापन
महाशिवरात्रि एक दिव्य अवसर है जो शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष सूर्य, बुध और शनि के शुभ योग में यह पर्व मनाना भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी होगा। सभी श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे इस दिन अपनी सच्ची श्रद्धा से पूजा करें और भगवान शिव का आशीर्वाद लें।
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