सूडान में पैरामिलिट्री फोर्स का बाजार में आमलोगों पर हमला:56 की मौत, 158 घायल; दो साल से देश में जंग जारी
सूडान में सेना के खिलाफ लड़ रहे अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) ने शनिवार को ओमडुरमैन शहर के एक सब्जी मार्केट में आम लोगों पर हमला कर दिया। अलजजीरा के मुताबिक इसमें कम से कम 56 लोगों की मौत हो गई है, वहीं कम से कम 158 लोग घायल हुए हैं। वहीं सूडान के संस्कृति मंत्री और सरकार के प्रवक्ता खालिद अल-अलीसिर ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि हताहतों में कई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमले के कारण 'निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है।' उन्होंने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन बताया। सूडान में 2 साल में 28 हजार से ज्यादा लोग मारे गए सूडान में लगभग दो साल से सेना और अर्धसैनिक बल के बीच संघर्ष चल रहा है। यह संघर्ष अप्रैल 2023 में तब शुरू हुआ था, जब सेना और RSF के लीडर्स के बीच सत्ता संघर्ष की लड़ाई छिड़ गई। पिछले दो साल में अब तक 28 हजार से अधिक लोग सूडान में मारे जा चुके हैं, जबकि लाखों लोगों को पलायन करना पड़ा है। सूडान के डॉक्टर सिंडिकेट ने RSF के हमले की निंदा की। उन्होंने कहा कि एक गोला अल-नव हॉस्पिटल से कुछ मीटर की दूरी पर गिरा था। उन्होंने कहा कि अस्पताल में ज्यादातर घायल महिला और बच्चे हैं। इनके इलाज के लिए हॉस्टिपल में पर्याप्त डॉक्टर और नर्स नहीं हैं। 5 पॉइंट्स में समझें सूडान में हिंसा की वजह… 1. सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। 2019 में सूडान के तब के राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे। 2. अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर देश में तख्तापलट कर दिया। लेकिन फिर लोग लोकतांत्रिक शासन और सरकार में अपनी भूमिका की मांग करने लगे। 3. इसके बाद सूडान में एक जॉइंट सरकार को गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों का रोल था। 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया। 4. आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और RSF लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से RSF और सेना के बीच संघर्ष जारी है। 5. सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और RSF आमने-सामने है। RSF सिविलियन रूल को 10 साल बाद लागू करना चाहती है जबकि आर्मी का कहना है कि ये 2 साल में ही लागू हो जाना चाहिए।

सूडान में पैरामिलिट्री फोर्स का बाजार में आमलोगों पर हमला: 56 की मौत, 158 घायल; दो साल से देश में जंग जारी
लेखक: प्रिया शर्मा, नेहा कुमारी, टीम नेतानागरी
Kharchaa Pani
परिचय
सूडान में लंबे समय से चल रही संकट की स्थिति और मैली तंगी के बीच एक नई घटना ने देश के हालात को और अधिक भयावह बना दिया है। हाल ही में, सुडान की पैरामिलिट्री फोर्स ने एक बाजार में आम लोगों पर हमला किया, जिसमें 56 लोगों की जान चली गई और 158 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस घटना ने सुडान के लिए एक बार फिर से गंभीर मानवीय संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है।
घटनास्थल और स्थिति
यह भयानक हमला राजधानी खार्तूम के एक व्यस्त बाजार में हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने अचानक गोलियां चलानी शुरू कीं, जिसे सुनकर लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। नए खुफिया जानकारी के अनुसार, यह हमला सांप्रदायिक हिंसा का हिस्सा है, जो पिछले दो वर्षों से जारी शत्रुताओं का परिणाम है। जंगल में मुठभेड़ और विभिन्न संगठनों के बीच संघर्ष ने आम लोगों का जीवन दुष्कर बना दिया है।
राजनीतिक स्थिति
सूडान में पिछले दो वर्षों से राजनीतिक अस्थिरता और सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर सहमति व्यक्त करते हैं कि पैरामिलिटरी ग्रुप्स की बढ़ती शक्ति और अमानवीय कार्रवाइयों के कारण स्थिति और भी खराब हो रही है। सूडान के नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे हमले न केवल उनके जीवन को संकट में डालते हैं, बल्कि यह देश की संपूर्ण राजनीतिक संरचना के लिए भी खतरा उत्पन्न करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस क्रूर हमले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कई देशों ने इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया है। मानवाधिकार संगठनों ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए सूडानकी सरकार और पैरामिलिटरी फोर्स से नागरिकों की सुरक्षा की मांग की है।
निष्कर्ष
सूडान में हो रहा यह संघर्ष और नागरिकों पर हो रहा अत्याचार यह स्पष्ट करता है कि क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह घटना केवल एक त्रासदी नहीं है, बल्कि यह सूडान की सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं की जटिलता को उजागर करती है। हमें सूडान के नागरिकों की सहायता और सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा।
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