सीरिया में हिंसा से 2 दिन में एक हजार मौतें:सेना और असद समर्थकों में झड़प; अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के लोगों को फांसी पर चढ़ाया
सीरिया के लताकिया और टार्टस में बीते कई दिनों से सेना और पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थकों के बीच झड़प जारी है। इस हिंसा से 2 दिन में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। मौतों का यह आंकड़ा 2011 में सीरियाई गृह युद्ध के बाद सबसे ज्यादा है। इसकी जानकारी सीरिया में युद्ध पर नजर रखने वाली संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने दी है। संस्था के मुताबिक पिछले दो दिनों में सुरक्षाबलों ने अलावी मुस्लिम समुदाय के 745 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी। इनमें से ज्यादातर को फांसी दी गई है। इसके अलावा असद समर्थक 148 लड़ाके भी मारे गए हैं। वहीं इस हिंसा में सुरक्षा बलों के 125 जवानों की भी मौत हुई है। पिछले साल दिसंबर में तख्तापलट होने के बाद बशर देश छोड़कर रूस भाग गए थे। इसके बाद सीरिया की सत्ता पर उग्रवादी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का कब्जा हो गया। दावा- असद समर्थकों ने सुरक्षा बलों पर पहले हमला किया सीरिया सरकार का कहना है कि असद के वफादार लड़ाकों ने सुरक्षा बलों पर हमला किया, जिससे हिंसा शुरू हुई। वहीं, असर के लड़ाकों ने सुरक्षाबलों पर रिहाइशी इलाकों पर बमबारी करने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक झड़प तब शुरू हुई, जब सुरक्षा बलों ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने की कोशिश की। इसके बाद सरकार ने लताकिया और टार्टस में भारी संख्या में सेना की तैनाती की है। साथ ही कर्फ्यू लगाने का भी आदेश दिया है। लताकिया और टार्टस प्रांतों में हिंसा ने अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। ये इलाके अल्वी समुदाय के गढ़ हैं, जो पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के प्रति वफादार रहे हैं। सीरिया में बीते साल दिसंबर में बशर अल असद को सत्ता से हटाए के बाद ये सबसे भीषण हिंसक झड़प है। जुलानी ने कैसे किया तख्तापलट मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2016 में जब सीरिया का गृह युद्ध थमा, तब से जुलानी अपनी लड़ाकों को मजबूत करने में जुट गया। चीन के उईगर मुसलमानों से लेकर अरब और सेंट्रल एशिया से लोगों की मदद से उसने अपनी फौज तैयार की। जुलानी ने सही समय का इंतजार किया, जो इजराइल-हमास जंग और रूस-यूक्रेन जंग की वजह से आया। 2022 में यूक्रेन में जंग शुरू हो गई और रूस वहां व्यस्त हो गया। इसके चलते रूस ने अपने सैनिकों को सीरिया से निकाल लिया। फिर 2023 में इजराइल और हमास के बीच जंग शुरू हुई। नतीजा ये हुआ कि ईरान और हिजबुल्लाह जो सीरिया में असद की मदद कर रहे थे वे अब उन पर ध्यान नहीं दे पाए। हसन नसरल्लाह की मौत के बाद हिजबुल्लाह कमजोर हो गया। इसी का फायदा उठाकर जुलानी ने सीरियाई सेना पर हल्ला बोल दिया और 11 दिन में राष्ट्रपति का तख्तापलट कर दिया। ------------------------------ सीरिया से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... बगदादी के लेफ्टिनेंट जुलानी ने सीरिया में कैसे किया तख्तापलट:डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़कर जिहादी बना, अल कायदा को धोखा देकर असद की हुकूमत खत्म की तारीख 8 दिसंबर, भारत में रात के करीब 12 बजे थे। तभी खबर आई कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद अपना देश छोड़कर पूरे परिवार के साथ रूस भाग चुके हैं। 27 नवंबर को जब सीरिया के विद्रोहियों ने वहां के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर हमला किया तो शायद ही असद ने सोचा होगा कि उनके शासन की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

सीरिया में हिंसा से 2 दिन में एक हजार मौतें: सेना और असद समर्थकों में झड़प; अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के लोगों को फांसी पर चढ़ाया
Kharchaa Pani, टीम नेतानागरी
हाल ही में सीरिया में बढ़ती हिंसा ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। खबरों के अनुसार, केवल दो दिनों में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है। इन घटनाओं में सीरियाई सेना और राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों के बीच झड़पों की भी सूचना है।
हिंसा का कारण
सीरिया में चल रहे गृह युद्ध के चलते स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। हालात यह हैं कि अलावी समुदाय, जो कि एक अल्पसंख्यक धार्मिक समूह है, उन्हें निशाने पर लिया गया है। एक मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, कई अलावी लोगों को फांसी पर चढ़ाया गया है, जो कि देश के राजनीतिक तनावों का एक गंभीर परिणाम है।
आसान नहीं है सीरिया की स्थिति
सीरिया की गली-कूचों में हिंसा की आग तेजी से फैल रही है। इस टकराव में नागरिकों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। कई लोग घर-बार छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन गई है, और इसका प्रभाव क्षेत्रीय स्थिरता पर भी पड़ रहा है। सैन्य झड़पों के बीच आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस हिंसा की निंदा की है और सीरियन सरकार से इस अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा करने की अपील की है। कई देशों ने भी मामले में हस्तक्षेप करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों की जटिलता इसे और अधिक विवादित बना रही है।
भविष्य की संभावनाएँ
सीरिया का भविष्य अनिश्चित है, और इस हिंसा ने राजनीतिक स्थिरता को और भी कमजोर कर दिया है। यदि जल्द ही स्थिति नियंत्रित नहीं हुई, तो यह मानवता के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सीरियाई सरकार को अपनी नीतियों में परिवर्तन करना होगा, अन्यथा मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी रहेगा।
निष्कर्ष
सीरिया की स्थिति तकनीकी, मानवीय और राजनीतिक दृष्टिकोण से दूरगामी प्रभाव डालने वाली है। जो समाचार और जानकारियाँ सामने आ रही हैं, वे सभी को आतंकित करने के लिए पर्याप्त हैं। अगर अभी सच्चे प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।
कम शब्दों में कहें तो, सीरिया में हाल में हुई हिंसा में रातों-रात हजारों लोगों की मृत्यु हुई है, जो कि एक गंभीर स्थिति है और इसका समाधान होना आवश्यक है।
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