म्यांमार सीमा पर कंटीले तार लगाने का विरोध:3 राज्यों में काम शुरू नहीं, नगा संगठन की चेतावनी- प्रोजेक्ट में काम किया तो गंभीर नतीजे होंगे

म्यांमार से लगी पूर्वोत्तर के 4 राज्यों की 1,643 किमी लंबी सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने के प्रोजेक्ट का विरोध शुरू हो गया है। इसी कारण 4 में से 3 राज्यों में अभी काम भी शुरू नहीं हो पाया है। वहीं, चौथे राज्य मणिपुर में अब तक 37 किमी ही बाड़ लग पाई है। नगालैंड, मिजोरम में तो स्थानीय संगठन खुलकर विरोध में उतर आए हैं। नगाओं के सबसे बड़े संगठन यूनाइटेड नगा काउंसिल (UNC) ने स्थानीय लोगों को कह दिया है कि यदि उन्होंने इस प्रोजेक्ट में काम किया, तो उन्हें गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। पिछले साल भी संगठनों ने लोगों को प्रोजेक्ट का विरोध करने को कहा था, लेकिन तब काम करने पर पाबंदी नहीं लगाई थी। यही हाल मिजोरम में है। दोनों राज्यों में बाड़ का सर्वे भी शुरू नहीं हो पाया है। अरुणाचल में सर्वे हो रहा है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के एक अधिकारी ने बताया कि मणिपुर के टेंगनाउपोल में म्यांमार से सटे फाइको और थाना गांव में लोग बाड़ के खिलाफ थे, लेकिन टीम ने सर्वे नहीं रोका। अब यहां नगा इलाकों में बाड़ का विरोध हो रहा है। प्रोजेक्ट: 31 हजार करोड़ खर्च होंगे। बीआरओ के मुताबिक चार राज्यों की 1500 किमी बॉर्डर पर बाड़ और सड़क निर्माण का काम होना है। इस पर 31 हजार करोड़ रु. खर्च होंगे। 20 हजार करोड़ रु. बाड़ और बाकी सड़क निर्माण पर। 143 किमी इलाके में दुर्गम घाटी और नदियां हैं, इसलिए बाड़ लगना नामुमकिन है। म्यांमार की सबसे लंबी 520 किमी की सीमा अरुणाचल से सटी है। मिजोरम की 510, मणिपुर की 398 तो नगालैंड की 215 किमी सीमा पर बाड़ लगेगी। अभी एक ही राज्य में काम चल रहा है। विरोध की एक वजह ये भी: UNC के एक नेता बताते हैं कि बाड़ का विरोध तो पहले से ही हो रहा था, लेकिन बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन और दूसरे प्रमुख अधिकारियों के इंफाल राजभवन में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात के बाद संगठन ने विरोध तेज करने का फैसला किया। उस बैठक में बाड़ परियोजना की समीक्षा की गई थी। फैसले पर पुनर्विचार करें मिजो संगठन सबसे बड़े छात्र संगठन मिजो जिरलाई पाल (MZP) ने शाह को भेजे पत्र में मुक्त आवाजाही समझौता रद्द करने और बाड़ लगाने के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है। MZP के महासचिव चिंखानमंगा थोमटे ने भास्कर को बताया कि सदियों पहले यहां कोई सीमा नहीं थी। हमारे कई पुश्तैनी और ऐतिहासिक स्थल म्यांमार के चिन राज्य में हैं। बाड़ इस विरासत को खत्म कर देगी, इसलिए हम इसके खिलाफ हैं। हम अपने बच्चों को बंटते नहीं देख सकते। नगाओं को नहीं बंटने देंगे नगा फ्रंट नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के महासचिव एस. कासूंग ने भास्कर को बताया कि जिस जमीन पर बाड़ लगा रहे हैं, वो हमारे पूर्वजों की है। नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF) के वरिष्ठ नेता एशुओ क्रेलो कंटीले तारों की बाड़ को बर्लिन की दीवार कहते हैं। वहीं, सबसे बड़े नगा संगठन यूनाइटेड नगा काउंसिल (UNC) ने कहा है कि सरकार की बाड़ की योजना के जरिए नगाओं को नहीं बंटने देंगे।

Feb 6, 2025 - 10:34
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म्यांमार सीमा पर कंटीले तार लगाने का विरोध:3 राज्यों में काम शुरू नहीं, नगा संगठन की चेतावनी- प्रोजेक्ट में काम किया तो गंभीर नतीजे होंगे

म्यांमार सीमा पर कंटीले तार लगाने का विरोध: 3 राज्यों में काम शुरू नहीं, नगा संगठन की चेतावनी- प्रोजेक्ट में काम किया तो गंभीर नतीजे होंगे

Kharchaa Pani

लेखिका: सुमन तिवारी, राधिका मंडल

टीम: नेतानागरी

परिचय

म्यांमार की सीमा पर कंटीले तार लगाने का मुद्दा एक बार फिर गहराया है। तीन भारतीय राज्यों में इस प्रोजेक्ट को लेकर नगा संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि इस पर काम किया गया, तो इसके गंभीर नतीजे सामने आ सकते हैं। इस लेख में हम इस विषय पर चर्चा करेंगे और समझेंगे कि इस प्रोजेक्ट का क्या प्रभाव हो सकता है।

नगा संगठनों की स्थिति

नगा संगठनों ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ एकजुटता दिखाई है। उनका आरोप है कि यह प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ा, तो वे इसका विरोध करेंगे और इसके खिलाफ कड़े कदम उठाने की चेतावनी दी है।

कंटीले तार प्रोजेक्ट का उद्देश्य

इस कंटीले तार लगाने के प्रोजेक्ट का उद्देश्य सीमा सुरक्षा को मजबूती प्रदान करना है। सरकार का कहना है कि यह उपाय अवैध प्रवासियों को रोकने और सीमा पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। लेकिन इसके खिलाफ स्थानीय जनसंख्या का विरोध स्थिति को और जटिल बना रहा है।

राज्यों का योगदान

इस प्रोजेक्ट में असम, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों का योगदान अपेक्षित था। लेकिन नगा संगठनों की चेतावनी और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है। स्थानीय नेताओं ने भी इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया है और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।

निष्कर्ष

म्यांमार सीमा पर कंटीले तार लगाने के प्रोजेक्ट का मुद्दा बेहद संवेदनशील है। नगा संगठनों की चेतावनी और स्थानीय समुदाय का विरोध इस परियोजना की प्रगति को धीमा कर रहा है। सरकार को इस स्थिति का ध्यान रखना चाहिए और स्थानीय लोगों के साथ संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए। तभी इस मुद्दे का समाधान संभव हो सकता है।

अंत में, हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है कि सुरक्षा और मानवाधिकारों के बीच एक संतुलन कैसे बनाया जाए। यह विषय केवल स्थानीय मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी संबंधित है।

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