माघ मास की पूर्णिमा 12 फरवरी को:माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज में स्नान करने और पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध कर्म करने की परंपरा

बुधवार, 12 फरवरी को माघ मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। धर्म के नजरिए से इस तिथि का महत्व काफी अधिक है। अभी प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज में स्नान के लिए करोड़ों भक्त पहुंचेंगे। माघी पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, प्रयागराज में स्नान करने की और पितरों के लिए तर्पण करने की परंपरा है।

Feb 8, 2025 - 07:34
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माघ मास की पूर्णिमा 12 फरवरी को:माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज में स्नान करने और पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध कर्म करने की परंपरा
बुधवार, 12 फरवरी को माघ मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। धर्म के नजरिए से इस तिथि का महत्व काफी अधिक है

माघ मास की पूर्णिमा 12 फरवरी को: माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज में स्नान करने और पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध कर्म करने की परंपरा

Kharchaa Pani
लेखक: राधिका शर्मा, कंचन दुबे, टीम नेतनगरी

माघ मास की पूर्णिमा, जो इस वर्ष 12 फरवरी को आ रही है, भारतीय संस्कृति और परंपरा में विशेष महत्व रखती है। हर साल माघ मास के इस पवित्र दिन पर लोग प्रयागराज में संगम के तट पर स्नान करने आते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए तर्पण तथा श्राद्ध कर्म करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और परिवार के बंधनों को मजबूत करने का भी अवसर प्रदान करता है।

माघी पूर्णिमा का महत्व

माघी पूर्णिमा को विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पाप कट जाते हैं और उसका जीवन सुख-संपन्न होता है। यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु इस दिन संगम में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं।

प्रयागराज में आयोजनों की योजना

प्रयागराज में माघी पूर्णिमा के अवसर पर कई विशेष आयोजनों की योजना बनाई गई है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की है, जिसमें संगम तट पर स्नान के लिए सफाई, सुरक्षा, और अलग-अलग घाटों की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, वहाँ वस्त्रधारी साधु-संत श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देंगे।

तर्पण और श्राद्ध का महत्व

माघ मास की पूर्णिमा पर पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने की परंपरा सदियों पुरानी है। यह मान्यता है कि इस दिन ये कर्म करने से परिवार के पितरों को शांति मिलती है और वे अपने उत्तराधिकारियों पर प्रसन्न रहते हैं। लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करके, पितरों को तर्पण देते हैं।

कैसे करें तर्पण और श्राद्ध कर्म

तर्पण करने के लिए सबसे पहले स्थलीय जल से स्नान करना चाहिए, फिर पितरों का स्मरण करते हुए तिल, पानी, और अन्य सामग्रियों का उपयोग करके तर्पण करना चाहिए। यही प्रक्रिया श्राद्ध कर्म के लिए भी अपनाई जाती है। यह मान्यता है कि यदि सही तरीके से श्राद्ध और तर्पण किया जाए, तो परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

निष्कर्ष

माघी पूर्णिमा न केवल धार्मिक अनुष्ठान का दिन है, बल्कि यह आत्मिक शांति और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का भी एक अवसर है। जो लोग इस दिन प्रयागराज के संगम पर स्नान और तर्पण करते हैं, वे निश्चित रूप से अपने और अपने पूर्वजों के लिए एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव करेंगे।

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