महाशिवरात्रि पर ग्रहों के दुर्लभ योग:सूर्य-शनि की कुंभ राशि में और शुक्र-राहु रहेंगे मीन राशि में, शिवरात्रि पर रात में शिव पूजा करने की परंपरा
बुधवार, 26 फरवरी 2025 बुधवार को महाशिवरात्रि है। शिवपुराण के मुताबिक भगवान शिव लिंग रूप के रूप में विष्णु-ब्रह्मा के सामने प्रकट हुए थे। उस दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी और रात का समय था। इसी वजह से महाशिवरात्रि पर रात में शिव पूजा करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस साल महाशिवरात्रि बुधवार को है, इस दिन ग्रहों के दुर्लभ योग भी बन रहे हैं। महाशिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, इसके साथ राहु भी रहेगा। ये एक शुभ योग है। इसके अलावा सूर्य-शनि कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य शनि के पिता हैं और कुंभ शनि की राशि है। ऐसे में सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में रहेंगे। शुक्र मीन राशि में अपने शिष्य राहु के साथ रहेगा। कुंभ राशि में पिता-पुत्र और मीन राशि में गुरु-शिष्य के योग में शिव पूजा की जाएगी। ऐसा योग 149 साल बाद है। 2025 से पहले 1873 में ऐसा योग बना था, उस दिन भी बुधवार को शिवरात्रि मनाई गई थी। पं. शर्मा के मुताबिक इस योग में की गई शिव पूजा से भक्त के नकारात्मक विचार दूर होंगे और रुके हुए कार्यों में आ रही बाधाएं खत्म हो जाएंगी। विवादों का अंत होगा। शिवपुराण में लिखा है कि इस पर्व की रात जागकर जो भक्त शिवलिंग पूजा करता है, उसे पूरे सालभर की गई पूजा के समान पुण्य फल मिलता है। ऐसे भक्तों पर शिव जी की विशेष कृपा होती है। अब जानिए कैसे मना सकते हैं महाशिवरात्रि...

महाशिवरात्रि पर ग्रहों के दुर्लभ योग
Kharchaa Pani द्वारा रिपोर्ट, लेखिका: साक्षी शर्मा, पूजा व्यास, टीम नेटानागरी
परिचय
महाशिवरात्रि का पर्व हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल, भक्तों के लिए यह विशेष अवसर और भी खास बनने वाला है क्योंकि ग्रहों की स्थिति में दुर्लभ योग बन रहा है। सूर्य-शनि का संयोग कुंभ राशि में और शुक्र-राहु का संयोग मीन राशि में होगा। इस लेख में हम जानेंगे इन ग्रहों के योग का महाशिवरात्रि पर क्या महत्व है और रात में शिव पूजा करने की परंपरा के बारे में।
ग्रहों का दुर्लभ योग
मौजूदा खगोलीय स्थिति के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन 18 फरवरी 2023 को सूर्य और शनि कुंभ राशि में एक साथ आ रहे हैं। यह एक सकारात्मक ग्रह योग है जो सामूहिक ऊर्जा का संचार करता है। कुंभ राशि में आने से, ये ग्रह हमें नया उत्साह और सकारात्मक सोच का संचार करेंगे।
वहीं, शुक्र-राहु का योग मीन राशि में स्थित रहेगा। यह योग विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए शुभ माना जाता है। मीन राशि में शुक्र की उपस्थिति प्रेम और समर्पण की भावनाओं को जागृत करती है और राहु की उपस्थिति नवाचार और परिवर्तन की ओर इंगित करती है। इस विशेष योग के कारण भक्ति भाव और आध्यात्मिकता में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
महाशिवरात्रि और शिव पूजा की परंपरा
महाशिवरात्रि पर शिव पूजा का महत्व बहुत अधिक है। यह दिन भगवान शिव के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर होता है। भक्त रातभर जागकर पूजा करते हैं और भगवान शिव का ध्यान करते हैं। इस रात विशेष रूप से रुद्राभिष्येक और रात्रि जागरण की परंपरा बेहद महत्वपूर्ण है।
रात में शिव पूजा करने की परंपरा, मन की शांति और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए होती है। शिवरात्रि की रात्रि में शक्ति के संचार के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन श्रद्धालुओं का ध्यान भगवान शिव पर केंद्रित रहता है, जिससे उन्हें अद्भुत आत्मिक अनुभूति होती है।
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि का पर्व इस बार ग्रहों के विशेष योग के कारण अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सूर्य-शनि और शुक्र-राहु के संयोग से भक्तों को सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति की राह प्रशस्त होगी। इस महापर्व पर रात में शिव पूजा की परंपरा को निभाते हुए हमें अपना ध्यान और भावनाओं को भगवान शिव की ओर लगाना चाहिए। इससे न केवल हमें व्यक्तिगत सुख मिलेगा बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिलेगी।
महाशिवरात्रि पर ग्रहों के दुर्लभ योग और शिव पूजा की परंपरा के महत्व को समझकर हम इस दिन को बेहतर तरीके से मना सकते हैं। इस उत्सव का आनंद लेते हुए मन और मस्तिष्क को शुद्ध रखना अत्यंत आवश्यक है।
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