महाशिवरात्रि 26 फरवरी को:पूजा के साथ ही शिव कथा सुनने की भी है परंपरा, जानिए भगवान शिव कैसे तोड़ा अर्जुन का घमंड
बुधवार, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इस दिन शिव पूजा के साथ ही शिव जी कथाएं पढ़ने-सुनने की परंपरा भी है। पूजा करने के साथ ही शिव जी की सीख को भी जीवन में उतार लेंगे तो जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो सकती हैं। भगवान विष्णु की तरह ही शिव जी ने कई अवतार लिए हैं। भगवान ने द्वापर युग में एक अवतार अर्जुन का घमंड तोड़ने के लिए लिया था। कौरव और पांडवों के बीच युद्ध तय हो गया था। दोनों ही पक्षों ने युद्ध की तैयारियां शुरू कर दी थीं। उस समय श्रीकृष्ण अर्जुन से देवराज इंद्र से दिव्यास्त्र पाने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वह इंद्र को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करे। श्रीकृष्ण की बात मानकर अर्जुन एक पर्वत पर पहुंचे और इंद्र को प्रसन्न करने के लिए तप करने लगे। अर्जुन के तप से देवराज इंद्र प्रसन्न हो गए और वहां प्रकट हुए। इंद्र ने अर्जुन से कहा कि मुझसे दिव्यास्त्र लेने से पहले तुम्हें शिव जी को प्रसन्न करना होगा। इंद्र की बात मानकर अर्जुन ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप शुरू कर दिया। जिस जगह अर्जुन तप कर रहे थे, वहां एक दिन एक जंगली सूअर आया। दरअसल वह सूअर एक मायावी दैत्य था जो अर्जुन को मारना चाहता था। जंगली जानवर की आहट सुनकर अर्जुन ने आंखें खोलीं। अर्जुन ने देखा कि सामने एक जंगली सूअर है। तुरंत ही अर्जुन ने अपने धनुष पर बाण चढ़ा लिया। अर्जुन उस सूअर को बाण मारने ही वाले थे, तभी वहां किरात वनवासी पहुंच गया। किरात वनवासी कोई और नहीं, बल्कि शिव जी ही थे, जो वेष बदलकर अर्जुन की परीक्षा लेने आए थे। अर्जुन इस बात से अनजान थे। वनवासी ने अर्जुन को बाण चलाने से रोक दिया और कहा कि ये मेरा शिकार है। अर्जुन ने सोचा कि ये कोई सामान्य वनवासी है, मैं तो सर्वश्रेष्ठ योद्धा हूं, मुझे इसकी बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। ऐसा सोचकर अर्जुन ने तीर सूअर की ओर छोड़ दिया। वनवासी ने भी उसी समय बाण छोड़ दिया। अर्जुन और वनवासी के बाण एक साथ उस सूअर को लगे। सूअर तो मर गया, लेकिन इन दोनों के बीच विवाद होने लगा। दोनों इस शिकार पर अपना-अपना हक बता रहे थे। ये विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों एक-दूसरे से युद्ध करने के लिए तैयार हो गए। अर्जुन ने उस वनवासी को पराजित करने की बहुत कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। युद्ध के बीच में वनवासी का एक बाण अर्जुन को लग गया। उस समय अर्जुन ने सोचा कि ये कोई सामान्य योद्धा नहीं है। इसके बाद अर्जुन ने कुछ देर के लिए युद्ध रोका और मिट्टी का एक शिवलिंग बनाकर पूजा की। पूजा में जो माला अर्जुन ने शिवलिंग पर चढ़ाई थी, वह उस वनवासी के गले में दिखाई देने लगी। ये देखकर अर्जुन समझ गए कि ये स्वयं शिव जी ही हैं। अर्जुन ने शिव जी को पहचान लिया और उनकी पूजा की। शिव जी की अर्जुन को सीख शिव जी ने अर्जुन को संदेश दिया कि कभी भी अपनी शक्तियों का घमंड नहीं करना चाहिए और कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। जब अर्जुन को अपनी गलतियों का एहसास हुआ तो उन्होंने शिव जी से क्षमा याचना की और अहंकार छोड़ने का संकल्प लिया। इसके बाद शिव जी ने अर्जुन को पाशुपतास्त्र दिया था।

महाशिवरात्रि 26 फरवरी को: पूजा के साथ ही शिव कथा सुनने की भी है परंपरा, जानिए भगवान शिव कैसे तोड़ा अर्जुन का घमंड
Kharchaa Pani द्वारा प्रस्तुत, इस लेख में हम महाशिवरात्रि की महिमा और विशेषताओं के बारे में चर्चा करेंगे। लेख की लेखिका हैं राधिका शर्मा, संजना वाघमारे, और निधि मेहरा, टीम नेतानागरी।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि, जिसे 'महाकाल की रात' भी कहते हैं, भगवान शिव की आराधना का विशेष पर्व है। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह अवसर 26 फरवरी को आएगा। महाशिवरात्रि पर भक्तगण दिनभर उपवासी रहकर शिव पूजा करते हैं और रात्रि में शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाते हैं।
शिव पूजा के साथ शिव कथा सुनने की परंपरा
महाशिवरात्रि के दिन पूजा के साथ-साथ शिव की कथाएँ सुनने की भी परंपरा है। भक्तजन मंदिरों में जाकर विशेष रूप से भगवान शिव से जुड़ी कथाओं को सुनते हैं, जिससे उन्हें धर्म और भक्ति की प्रेरणा मिलती है। यह सुनना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता का भी संचार करता है।
अर्जुन का घमंड तोड़ने वाली कथा
भगवान शिव ने अर्जुन का घमंड तोड़ने का कार्य किया था, जिसकी कथा सुनना सभी भक्तों के लिए प्रेरणादायक है। अर्जुन, जो स्वयं को अनेकों गुणों से भरपूर मानते थे, भगवान शिव की महिमा को पहचानने में असफल हो गए थे। एक बार अर्जुन ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया, लेकिन शिव ने उनके तप को परखने के लिए एक साधारण व्यक्ति का रूप धर लिया। शिव ने अर्जुन से यह कहकर उनका घमंड तोड़ा कि कोई भी साधक इस धरती पर सच्ची श्रद्धा से शिव की आराधना करके उन्हें प्राप्त कर सकता है।
पूजा विधि और महत्व
महाशिवरात्रि पर शिव पूजा में विशेष मंत्रों का जाप, रुद्र अभिषेक और रात्रि जागरण का महत्व होता है। भक्तजन सच्चे मन से भगवान शिव का स्मरण करते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान पाने की कामना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से 'महामृत्युंजय मंत्र' का जाप करने से जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलने की विश्वासहै।
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जो न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि भक्तों को जीवन की सच्चाईयों से भी अवगत कराता है। भगवान शिव की महिमा को समझने और उनकी भक्ति करने से मनुष्य भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकता है। इस महाशिवरात्रि पर, सभी भक्तों को चाहिए कि वे न केवल पूजा करें, बल्कि शिव कथा सुनकर अपनी आस्था को और अधिक दृढ़ बनाएं।
शिव की कृपा से सबके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। इस महाशिवरात्रि को विशेष बनाएं और भगवान शिव की आराधना करें। अधिक जानकारी के लिए, visit kharchaapani.com.
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