भारत के अंग्रेजी नाम INDIA को बदलने की मांग:दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र का जवाब दाखिल करने का समय बढ़ाया; अगली सुनवाई 12 मार्च को

दिल्ली हाईकोर्ट में 17 फरवरी को भारत का अंग्रेजी नाम इंडिया (INDIA) बदलकर भारत या हिंदुस्तान करने की याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस सचिन दत्ता ने केंद्र सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय बढ़ाया। 4 फरवरी को हुई सुनवाई में केंद्र ने जवाब दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी। दरअसल, दिल्ली (गाजियाबाद) के रहने वाले नमह नाम के व्यक्ति ने संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग की है। उनका कहना है कि इंडिया (अंग्रेजी) जो भारत है, इसे बदलकर भारत या हिंदुस्तान राज्यों का संघ कर देना चाहिए। नमह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार से उसके प्रतिनिधित्व पर फैसला लेने का निर्देश देने की मांग भी की। 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाए और इसे संबंधित मंत्रालय के पेश किया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा है... इंडिया का नाम एक होना चाहिए। अभी इसके कई नाम हैं। जैसे- रिपब्लिक ऑफ इंडिया, भारत, इंडिया, भारत गणराज्‍य वगैरह। इतने नाम नहीं होने चाहिए। अलग कागज पर अलग नाम है। आधार कार्ड पर 'भारत सरकार' लिखा है। ड्राइविंग लाइसेंस पर 'यूनियन ऑफ इंडिया', पासपोर्ट पर 'रिपब्लिक ऑफ इंडिया' लिखा है। इससे कन्‍फ्यूजन होता है। 1948 में संविधान सभा में भी इंडिया नाम का विरोध हुआ था याचिकाकर्ता का कहना है कि अंग्रेज गुलामों को इंडियन कहते थे। उन्होंने ही देश को अंग्रेजी में इंडिया नाम दिया था। 15 नवंबर 1948 को संविधान के आर्टिकल-1 के मसौदे पर बहस करते हुए एम. अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविंद दास ने देश का नाम अंग्रेजी में इंडिया रखने का जोरदार विरोध किया था। उन्होंने इंडिया की जगह अंग्रेजी में भारत, भारतवर्ष और हिंदुस्तान नामों का सुझाव दिया था। लेकिन उस समय ध्यान नहीं दिया गया। अब इस गलती को सुधारने के लिए कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे। ........................... कोर्ट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल कानून पर सुनवाई टली:3 जजों की बेंच में होनी थी, CJI बोले- आज 2 जज मौजूद, बाद में देखेंगे सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को पूजा स्थल कानून से जुड़ी 7 याचिकाओं पर सुनवाई टाली। दरअसल इस केस की सुनवाई 2 जजों की बेंच में होनी थी। CJI संजीव खन्ना ने कहा कि आज सिर्फ 2 जजों की बेंच बैठी है। यह मामला किसी और दिन देखेंगे। CJI ने इस मामले पर दाखिल इंटरवेंशन एप्लिकेशंस पर कहा कि आज हम ऐसी कोई याचिका नहीं स्वीकार करेंगे। इनकी भी एक सीमा होती है। पूरी खबर पढ़ें... अश्लील कमेंट- यूट्यूबर अलाहबादिया को सुप्रीम कोर्ट से फटकार: कहा- इनके दिमाग में गंदगी; केंद्र से कहा- एक्शन लीजिए सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को अश्लील कमेंट मामले में रणवीर अलाहबादिया की अपील पर सुनवाई की। अदालत ने अलाहबादिया को गिरफ्तारी से राहत दे दी, लेकिन उन्हें जमकर फटकार भी लगाई। अदालत ने कहा कि आपके कमेंट की भाषा विकृत और दिमाग गंदा है। इससे अभिभावक ही नहीं, बेटियां और बहनें भी शर्मसार हुईं। पूरी खबर पढ़ें...

Feb 18, 2025 - 18:34
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भारत के अंग्रेजी नाम INDIA को बदलने की मांग:दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र का जवाब दाखिल करने का समय बढ़ाया; अगली सुनवाई 12 मार्च को
दिल्ली हाईकोर्ट में 17 फरवरी को भारत का अंग्रेजी नाम इंडिया (INDIA) बदलकर भारत या हिंदुस्तान करने की या

भारत के अंग्रेजी नाम INDIA को बदलने की मांग: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र का जवाब दाखिल करने का समय बढ़ाया; अगली सुनवाई 12 मार्च को

Kharchaa Pani

लेखक: सुषमा वर्मा, नेहा कुमार, टीम नेटानागरी

परिचय

भारत के अंग्रेजी नाम 'India' को बदलने की मांग ने पिछले कुछ समय से काफी चर्चा का विषय बना दिया है। इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें केंद्र सरकार से अपेक्षित उत्तर मांगा गया था। हाल ही में, हाईकोर्ट ने केंद्र का जवाब दाखिल करने के लिए समय बढ़ा दिया है, जिसमें अब अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। यह मामला भारतीय पहचान और संस्कृति पर केंद्रित है, और इसके चलते देशभर में विभिन्न मत और प्रतिक्रियाएं उभरकर सामने आई हैं।

मामले का विवरण

याचिका में कहा गया है कि 'India' का नाम संविधान में 'भारत' के स्थान पर इस्तेमाल किया जाता है, जो कि देश की संस्कृति और भाषा के विपरीत है। याचिका के अनुसार, यह नाम उपनिवेश दौर की देन है और इसे बदल दिया जाना चाहिए ताकि भारत की वास्तविक पहचान को मजबूती मिल सके। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले को राष्ट्रीय पहचान के संदर्भ में उठाया है और कहा है कि 'India' का नाम भारतीय संविधान की आत्मा से मेल नहीं खाता।

हाईकोर्ट की सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। न्यायाधीशों ने कहा है कि यह मुद्दा संवैधानिक और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़ा हुआ है, इसलिए केंद्र को उचित जवाब देना आवश्यक है। समझा जा रहा है कि इस मामले में कई कानूनी विश्लेषण और समाजिक दृष्टिकोण भी देखने को मिल सकते हैं।

सामाजिक प्रतिक्रिया

विभिन्न सामाजिक वैज्ञानिक, शिक्षाविद, और सामान्य लोग इस मुद्दे पर अपने-अपने विचार रख रहे हैं। कुछ का मानना है कि नाम परिवर्तन केवल प्रतीकात्मक होगा और इससे कोई वास्तविक बदलाव नहीं आएगा। वहीं, अन्य का कहना है कि यह कदम भारतीयता को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा। इस मुद्दे पर पूर्व के परिणाम और आगे की दिशा, दोनों ही चर्चा का विषय बने हुए हैं।

निष्कर्ष

भारत के नाम 'India' को बदलने की मांग एक बड़ी बहस का हिस्सा बन गई है। इससे न केवल आंतरिक राजनीति बल्कि सामाजिक पहचान के मुद्दे भी जुड़े हुए हैं। अगली सुनवाई 12 मार्च को निर्धारित की गई है, जिसमें भारत सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से सामने आ सकता है। इस मामले पर अब हर किसी की नजर बनी रहेगी। जानकार मानते हैं कि यह विषय केवल नाम परिवर्तन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव भारतीय संविधान, भाषा और संस्कृति पर भी पड़ सकता है।

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Keywords

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