पेटीएम ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट गाइडलाइंस का उल्लंघन किया:ED ने कहा- विदेशों से मिले फंड की जानकारी RBI को नहीं दी, ₹611 करोड़ का नोटिस मिला था
पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशन लिमिटेड (OCL) और उसकी सब्सिडियरीज को मिले कारण बताओ नोटिस मामले में सोमवार को ईडी ने बयान जारी किया। ईडी ने कहा कि OCL ने सिंगापुर में फॉरेन इन्वेस्टमेंट की जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नहीं दी। इसके साथ ही कंपनी ने फॉरेन स्टेप-डाउन सब्सिडियरी बनाने की रिपोर्ट RBI को नहीं सौंपी। ईडी ने कहा OCL की सहायक कंपनी लिटिल इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड ने भी RBI की गाइडलाइंस का पालन किए बिना विदेशी निवेश हासिल किया। जांच में पाया गया कि सब्सिडियरी कंपनी नियरबाय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को मिले फॉरेन इन्वेस्टमेंट की रिपोर्ट RBI को निर्धारित समय सीमा के अंदर नहीं दी गई। शनिवार को मिला था कारण बताओ नोटिस पेटीएम को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) नियमों का उल्लंघन करने के मामले में ईडी से कारण बताओ नोटिस मिला था। यह मामला 2015 से 2019 के बीच 611 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन से जुड़ा है।611 करोड़ रुपए में से 345 करोड़ रुपए सब्सिडियरी कंपनी लिटिल इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े निवेश लेनदेन से संबंधित हैं। वहीं 21 करोड़ रुपए नियरबाय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हैं। बाकी राशि पेटीएम की पेरेंट कंपनी One97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड से जुड़ा है। पेटीएम ने 2017 में दोनों कंपनियों का अधिग्रहण किया था। पेटीएम ने कहा- सर्विसेस पर कोई असर नहीं पेटीएम ने कहा है कि ये नोटिस 28 फरवरी 2025 को मिला है। ये उल्लंघन उस समय हुए थे जब ये कंपनियां वन97 कम्युनिकेशंस की सहायक कंपनियां नहीं थीं। पेटीएम ने बताया कि मामले का समाधान किया जा रहा है। पेटीएम की सर्विसेज पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। पेटीएम का शेयर एक साल में 70% चढ़ा पेटीएम को मिले नोटिस की खबर का असर सोमवार को पेटीएम के शेयर पर दिख सकता है। शुक्रवार को पेटीएम का शेयर 1.59% की गिरावट के साथ 714 रुपए पर बंद हुआ था। एक साल में शेयर 70% बढ़ा है। वहीं इस साल शेयर में करीब 27% की गिरावट आई है। पेटीएम को Q3FY25 में ₹208 करोड़ का लॉस पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस का वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में नेट लॉस 208 करोड़ रुपए रहा। एक साल पहले की समान तिमाही में पेटीएम का घाटा 220 करोड़ रुपए था। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 36% गिरकर 1,828 करोड़ रुपए हो गया। एक साल पहले की समान तिमाही यानी, Q3FY24 में यह 2,850 करोड़ रुपए था। 1999 में लाया गया था फेमा एक्ट फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट यानी, FEMA को साल 1999 में एक पुराने अधिनियम FERA (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम) को बदलने के लिए पेश किया गया था। भारत में FEMA की शुरुआत का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना था। फेमा में भारत के सभी विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए प्रक्रियाओं की रूपरेखा दी गई है। इस अधिनियम के तहत ईडी को विदेशी मुद्रा कानूनों और नियमों के संदिग्ध उल्लंघनों की जांच करने, उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने और उन पर जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।

पेटीएम ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट गाइडलाइंस का उल्लंघन किया: ED ने कहा- विदेशों से मिले फंड की जानकारी RBI को नहीं दी, ₹611 करोड़ का नोटिस मिला था
Kharchaa Pani - यह खबर एक महत्वपूर्ण विकास की ओर इशारा करती है, जिसमें पेटीएम के विदेशी निवेश संबंधी गाइडलाइंस के उल्लंघन की बात की जा रही है। इस लेख में हम इस मुद्दे की गहराई में जाएंगे और देखेंगे कि यह पैसा और अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव डाल सकता है। यह लेख नेतनगरी टीम की ओर से बृंदा शर्मा द्वारा लिखा गया है।
पेटीएम का फॉरेन इन्वेस्टमेंट गाइडलाइंस का उल्लंघन
देश की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट कंपनी, पेटीएम (Paytm), का नाम अब एक गंभीर विवाद में आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पेटीएम पर आरोप लगाया है कि उसने विदेशी निवेश के संबंध में निर्धारित गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है। इसके तहत, विदेशों से मिले फंड की जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नहीं दी गई। इस मामले में ED ने पेटीएम को ₹611 करोड़ का नोटिस भी जारी किया है।
विदेशी फंड की जानकारी का महत्व
विदेशी निवेश के लिए भारतीय गाइडलाइंस में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। RBI के नियमों के अनुसार, किसी भी विदेशी फंड के निवेश के समय उस संबंध में सही जानकारी देना अनिवार्य है। पेटीएम द्वारा इस जानकारी को नजरअंदाज करना कानून के खिलाफ है। यह न केवल एक गंभीर उल्लंघन है बल्कि इससे भारतीय वित्तीय व्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
ED की कार्रवाई और प्रतिक्रिया
ED की कार्रवाई के बाद पेटीएम ने इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन कुछ जानकारों का मानना है कि यह एक बड़ी चिंता का विषय है और इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यदि इस मामले में पेटीएम पर कार्रवाई होती है, तो यह अन्य स्टार्टअप और कंपनियों को एक सबक भी सिखा सकता है कि उन्हें विदेशी निवेश को लेकर पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या इसका प्रभाव आर्थिक ढांचे पर पड़ेगा?
इस मामले का असर निश्चित रूप से भारत की वित्तीय स्थिति और विदेशी निवेशकों के प्रति उनकी धारणा पर पड़ेगा। यदि पेटीएम जैसे बड़े नामों पर ऐसे आरोप लगते हैं, तो यह निवेशकों के विश्वास को कमजोर कर सकता है। भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए यह सही संकेत नहीं होगा।
निष्कर्ष
पेटीएम के इस मुद्दे से प्राप्त ज्ञान हमें समझाता है कि उचित वित्तीय प्रक्रिया और गाइडलाइंस का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। अगर वित्तीय नियमों का उल्लंघन होता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सरकार और संबंधित एजेंसियों को चाहिए कि वे इस मामले की सुनवाई तेजी से करें और इस तरह के मामलों को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करें।
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