दिल्ली गंवाई, पंजाब की टेंशन, AAP मीटिंग की इनसाइड स्टोरी:केजरीवाल की फेस पॉलिटिक्स से तौबा, काम पर फोकस, इसकी 3 वजहें, 4 चुनौतियां
तारीख: 24 दिसंबर 2024 शराब पॉलिसी से जुड़े भ्रष्टाचार के केस में जमानत पर आए AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने एक इंटरव्यू में कहा- अगर जनता कहती है कि केजरीवाल ईमानदार है, तो मुझे वोट देना, वोट देकर दोबारा जिताना, तो मैं सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के नतीजे आए। 10 साल से सत्ता में बैठी AAP सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई। 48 सीटें जीतकर BJP ने 27 साल बाद दिल्ली में सरकार बना ली। ठीक 3 दिन बाद 11 फरवरी को अचानक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के 93 विधायकों को मीटिंग के लिए दिल्ली बुला लिया। दोपहर साढ़े 11 बजे मीटिंग शुरू हुई। इस मीटिंग में केजरीवाल सिर्फ 2 मिनट बोले लेकिन उन्होंने जो कहा, उससे ये साफ हो गया कि पंजाब में AAP किसी एक चेहरे पर निर्भर नहीं रहेगी। बल्कि दो साल बाद 2027 में सरकार के रिपीट होने का पूरा दारोमदार विधायकों के कामकाज पर रहेगा। जिस कमी की वजह से 10 साल सत्ता में रहने के बावजूद दिल्ली में वह चूक गए। इसकी बड़ी वजह ये है कि दिल्ली के बाद सिर्फ पंजाब में ही AAP की सरकार बनी। अगर यहां से भी सत्ता गंवा दी तो पार्टी के हाथ खाली हो जाएंगे। मगर, पंजाब जीतने में भी AAP के आगे अधूरे चुनावी वादे, नशा-माइनिंग पर चुनाव से पूर्व किए दावे जैसी कई चुनौतियां भी खड़ी हैं। कपूरथला हाउस, दिल्ली में बुलाई मीटिंग में क्या हुआ, इनसाइड स्टोरी पढ़ें... दैनिक भास्कर ने इसको लेकर पंजाब के अलग–अलग जिलों से 5 AAP विधायकों से बात की। उन्होंने बताया कि एक तरफ पंजाब के 80 विधायक बैठे थे। उनके सामने 5 कुर्सियां लगीं थी। इन पर अरविंद केजरीवाल, CM भगवंत मान, विधानसभा स्पीकर कुलतार संधवां, पार्टी के पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा और संगठन महासचिव संदीप पाठक बैठे थे। संदीप पाठक ने सबसे पहले मीटिंग को संबोधित किया पाठक ने कहा- पंजाबियों ने दिल्ली में आकर बहुत ज्यादा मेहनत की है। बाकी राज्यों से जब कोई भी प्रचार करने आता है तो वह सबसे पहले रहने और खाने की बात करते हैं। पंजाब एक ऐसा स्टेट है जिसके वालंटियरों ने कहा कि आप हमें काम दीजिए, हम करते हैं। किसी पंजाबी ने हमें रहने या खाने को नहीं कहा। सभी ने अपनी व्यवस्था खुद की है। नतीजों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। दिल्ली में वोट मार्जिन 3.6% है। जो विधायक हारे हैं वह कुछ ज्यादा अंतर से नहीं हारे। 5 साल में हमारी सरकार को केंद्र ने तंग करके रखा, लेकिन हमारे हौंसले टूटने वाले नहीं हैं। दूसरे नंबर पर CM भगवंत मान ने कहा मैं विधायकों की पूरी टीम का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने दिल्ली में आकर चुनाव में काम किया है। पंजाब में अब हमें डबल एनर्जी से काम करना है। विधायकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए लोगों के बीच जाना है। दिल्ली में धक्केशाही हुई है, जिस कारण पार्टी रह गई लेकिन हमने प्रयास जारी रखने हैं। पार्टी के आदर्शों और सुप्रीमो केजरीवाल के दिखाए रास्ते पर चल कर काम करना है। ये पॉजिटिव मीटिंग है। इसके बाद अरविंद केजरीवाल का संबोधन शुरू हुआ अरविंद केजरीवाल ने कहा- सभी खुश रहो। किसी को सैड (उदास) होने की जरूरत नहीं है। पहले से अधिक एनर्जी से सभी काम करो। सब एक्टिव हो जाओ। 2 साल का समय अभी बचा हुआ है। हमें पंजाब में सरकार रिपीट करनी है। दोगुनी रफ्तार से काम करो। लोगों से प्यार से बात करें। हम प्यार से दिल जीत सकते हैं। अगर कोई दफ्तर आता है तो उसे प्यार से डील करो। लोगों के बीच जाकर सभी तरह के उनके प्रोग्राम अटेंड करो। जब पहले मेरी सरकार बनी थी तो एक ही बात कही थी कि यदि मैंने काम किए हैं तो मुझे वोट डालना, अन्यथा न डालना। इसी तरीके से पंजाब में भी यही कहना है। संगठन में जिन वॉलंटियरों को पद नहीं मिले या जो नाराज हैं, उन्हें मनाओ। सभी वॉलंटियरों को जिम्मेदारी दी जाएगी। यदि किसी विधायक का काम नहीं होता तो वे मुझसे सीधा फोन पर संपर्क करें। अब हम फ्री ही हैं, पंजाब पर ध्यान देंगे। विधायकों की पावर भी बढ़ाई गई है। मीटिंग से जुड़े 4 अहम सवाल–जवाब पढ़िए... सवाल: मीटिंग में 93 में से 80 विधायक थे, बाकी 13 विधायक क्यों नहीं आए? जवाब: इस पर एक AAP विधायक ने बताया कि अमृतसर नॉर्थ से विधायक कुंवर विजय प्रताप काफी समय से नाराज चल रहे हैं। बाकी ज्यादातर विधायक विधानसभा कमेटियों की मीटिंग को लेकर टूर पर थे। चूंकि मीटिंग का मैसेज एक दिन पहले आया, इसलिए बाकी हाजिर नहीं हो सके। सवाल: कांग्रेस ने कहा था, AAP विधायक टूटेंगे, इस पर क्या चर्चा हुई? जवाब: मीटिंग में मौजूद आप MLA ने कहा कि इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। केजरीवाल ने विधायकों को काम करने के लिए कहा। सवाल: केजरीवाल ने विधायकों से कोई वन टु वन बात भी की? जवाब: आप MLA बताते हैं कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। अंदर की मीटिंग सिर्फ 5 मिनट ही चली। जब हम पहुंचे तो सारे विधायक पहले CM भगवंत मान से मिले। इसके बाद मीटिंग हॉल में आए। 1 मिनट संदीप पाठक और 2–2 मिनट CM मान और केजरीवाल ने संबोधित किया। इसके बाद वे निकल गए। मंत्री और विधायक लंच कर लौट आए। सवाल: क्या CM भगवंत मान को बदलने को लेकर कोई बात हुई? जवाब: ये ठीक है कि भगवंत मान CM पद के लिए कभी केजरीवाल की पसंद नहीं थे। 2022 के चुनाव के बीच भी वह सब कुछ छोड़कर घर बैठ गए थे। हालांकि बाद में उन्हें ही CM बनाया गया। ऐसा लग रहा है कि इस बार केजरीवाल मान के सिर पर सब कुछ नहीं छोड़ना चाहते। हालांकि AAP MLA कहते हैं कि मीटिंग में ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। पंजाब को लेकर टेंशन क्यों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट से समझें इसकी 3 वजहें... 1. यहां हारे तो 3 साल सत्ता वापसी का मौका नहीं मौजूदा समय में AAP की सरकार सिर्फ पंजाब में है। 2025 के चुनाव में वह दिल्ली हार चुकी है। इसके बाद पंजाब में चुनाव 2027 में, जबकि दिल्ली में 2030 में होंगे। ऐसे में यदि AAP पंजाब भी हार जाती है तो सत्ता में वापसी का मौका 3 साल बाद दिल्ली में ही मिलेगा। 2. पार्टी के कामकाज के लिए भी जरूरी सरकार किसी पॉलिटिकल पार्टी को चलाने के लिए सिर्फ संगठन ही जरूरी नही

दिल्ली गंवाई, पंजाब की टेंशन, AAP मीटिंग की इनसाइड स्टोरी: केजरीवाल की फेस पॉलिटिक्स से तौबा, काम पर फोकस, इसकी 3 वजहें, 4 चुनौतियां
लेखिका: नेहा शर्मा, तान्या मिश्रा, टीम नेटानागरी
परिचय
आम आदमी पार्टी (AAP) ने हाल ही में अपनी मीटिंग में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें दिल्ली में हार का सामना करना, पंजाब की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और केजरीवाल की फेस पॉलिटिक्स से तौबा शामिल हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि इस मीटिंग में क्या हुआ, केजरीवाल की नई रणनीतियों के पीछे की वजहें और उनकी पार्टी को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
दिल्ली में मिली हार का विश्लेषण
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली हार ने पार्टी के नेताओं के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि केजरीवाल सरकार की कुछ नीतियों और चुनावी रणनीतियों ने मतदाताओं में असंतोष पैदा किया है। इसके परिणामस्वरूप, AAP को चुनावी कड़वे अनुभव का सामना करना पड़ा।
पंजाब की स्थिति की जटिलताएँ
पंजाब में प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के साथ राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। यहां पर AAP ने सत्ता में आने के बाद कई मुद्दों का सामना किया है, जैसे कि किसान विरोध, बेरोजगारी और ड्रग्स का मुद्दा। ऐसे में पार्टी की कार्यप्रणाली और उनका रुख लोगों के लिए महत्वपूर्ण बनता जा रहा है।
केजरीवाल की फेस पॉलिटिक्स से तौबा
AAP की हालिया मीटिंग में, यह निर्णय लिया गया कि केजरीवाल को मतदाता के साथ सीधे जुड़ने के बजाय, उनके मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके पीछे की वजहें हैं:
- कार्यान्वयन पर ध्यान: पार्टी अब अपने चुनावी वादों को पूरा करने और विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- भ्रामक प्रचार से बचना: विवादों से दूर रहकर, AAP चाहती है कि वे अपने काम के जरिए जनता के सामने आएं।
- स्थायी बदलाव का लक्ष्य: टीम केजरीवाल इस बार केवल चुनावी जीत की बजाय, समाज में स्थायी परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
चुनौतियां जिनका सामना करना होगा
हालांकि AAP ने अपनी नई रणनीतियों पर ध्यान दिया है, लेकिन पार्टी को चार प्रमुख चुनौतियों का सामना करना होगा:
- विपक्षी दलों का दबाव: बीजेपी और कांग्रेस जैसे मुख्य विपक्षी दल निरंतर हमला कर रहे हैं।
- जनता की उम्मीदें: मतदाताओं को संतोषजनक परिणाम प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है।
- पार्टी में अनुशासन: AAP के अंदर कुछ मतभेद बढ़ सकते हैं, जिनका असर चुनावी रणनीतियों पर होगा।
- सामाजिक मुद्दे: किसी भी पार्टी को समाज में उतार-चढ़ाव के दौरान संतुलन बना कर चलना जरूरी है।
निष्कर्ष
दिल्ली में हार और पंजाब की टेंशन ने आम आदमी पार्टी को चिंतन करने पर मजबूर कर दिया है। केजरीवाल की नई रणनीति को लेकर जहाँ एक ओर उम्मीदें हैं, वहीं दूसरी ओर कई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। देखना यह है कि AAP अपने काम पर काबू पाकर वापसी करेगी या नहीं। इसके बारे में अधिक अपडेट के लिए, विज़िट करें kharchaapani.com।
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